नकली शराब बनाने से विभागीय व पुलिस अफसर बेफिक्र
बेरोक-टोक धधक रहीं कच्ची शराब की भठ्ठियां
अंकुश लगाने में नाकाम है आबकारी विभाग
भास्कर न्यूज
बांदा। होली नजदीक आते ही अवैध शराब का धंधा तेजी से बढ़ने लगा है। शराब माफिया की भट्ठियां धधकने लगी हैं। होली नजदीक आते ही केन और यमुना किनारे आबाद गांवों में कच्ची शराब की भठ्ठियां धधकने लगी हैं। आबकारी व पुलिस विभाग की टीमें कार्रवाई के बजाए मूक दर्शक बनी हैं। कच्ची शराब बनाने वालों पर विभाग अंकुश नहीं लग पा रहा है।
केन और यमुना नदी के किनारे गांवों में अवैध शराब का धंधा जमकर फल फूल रहा है। होली नजदीक आते ही शराब माफियाओं की भट्टियां धधकने लगी हैं, ताकि पर्व आते ही मोटी आमदनी की जा सके। होली नजदीक आते ही इसकी डिमांड में बढ़ोतरी हुई है। कारण मजदूर और देहात के लोगों के लिए महंगी अंग्रेजी शराब पीनी मुमकिन नहीं है। इसके चलते अवैध देशी शराब से यह लोग अपनी शौक पूरा करते हैं। इसे बनाने में यूरिया खाद से लेकर खतरनाक जानलेवा रसायन तक प्रयोग किए जाते हैं। इसकी बिक्री के लिए जिलेभर में अवैध शराब बनाने वालों ने अपना नेटवर्क तक तैयार कर लिया है। इस नेटवर्क में महिलाओं से लेकर बच्चों तक को जोड़ा गया है। अवैध देशी शराब का निर्माण शहर के आसपास स्थित गांवों से लेकर दूर दराज के केन और यमुना नदी के किनारे गांवों में होता है। अधिकारियों के अनुसार पुलिस और आबकारी विभाग ने अवैध कच्ची शराब पर अंकुश लगाने के लिए बड़े पैमाने पर तैयारियां शुरू की हैं। इसके लिए छापामार कार्रवाई की जा रही है।
तीव्रता बढ़ाने को मिलाते रासायनिक दवाएं
अवैध शराब बनाने के लिए महुआ, गुड़ तथा चावल का इस्तेमाल उचित माना जाता है लेकिन कच्ची शराब की तीव्रता को बढ़ाने के लिए इसमें यूरिया, नौसादर, आक्सीटोसिन, डायजेपाम जैसे रासायनिक दवाओं का मिश्रण किया जाता है। अशिक्षित लोगों की इस अवैध धंधे में लिप्त होने के चलते इन दवाओं की मात्रा असंतुलित होने पर कभी-कभी शराब प्रेमियों के लिए कच्ची शराब जानलेवा साबित हो जाती है। लंबे समय से चल रहे इस अवैध कारोबार में जिम्मेदारों की मूक सहमति बनी हुई है जिसके चलते इस कारोबार पर पूर्ण विराम नहीं लग पा रहा है।
भट्ठी संचालक कराते हैं घर तक आपूर्ति
कच्ची शराब बनाने वाले ठिकानों से शराब बेचने के साथ ही भट्ठी संचालक अपने एजेंटों के माध्यम से होम डिलेवरी भी कराते हैं। यह शराब नगर से लेकर गांवों में चलने वाले ठिकानों पर ट्यूब अथवा गैलन में रख कर पहुंचाई जा रही है। कुछ धंधेबाज पुलिस की आंख में धूल झोंकने के लिए रसोई गैस सिलेंडर का भी इस्तेमाल कर रहे हैं।