बांदा : कथक के साथ अभिनय कला में जान डालेंगी शिल्पा

मशहूर टेलीविजन कलाकार शिल्पा रायजादा ने शुरू की कथक की क्लास

अपनी बुआ और नृत्य गुरु श्रद्धा निगम से कथक के गुण सीखने आई बांदा

कहा : चलते रहने का नाम ही जिंदगी, रुके तो होंगे सफलता से कोसों दूर

भास्कर न्यूज

बांदा। टेलीविजन की दुनिया की मशहूर अदाकारा शिल्पा रायजादा का कहना है कि चलते रहने का नाम ही जिंदगी और किसी पड़ाव पर रूके तो सफलता हमसे कोसों दूर पहुंच सकती है। उन्होंने शहर के स्वराज कालोनी में आयोजित एक प्रेस कांफ्रेन्स के दौरान बताया कि उन्होंने खुद के आत्मविश्वास को सीढ़ी बनाकर अभिनय के क्षेत्र में आगे कदम बढ़ाए हैं, जिसमें उनके परिवार का पूरा सहयोग रहा और वह सफलता के करीब पहुंच रही हैं।

शहर के स्वराज कालोनी गली नंबर 5 में अपनी बुआ और कथक नृत्य गुरु श्रद्धा निगम के घर पहुंची टेलीविजन कलाकार शिल्पा रायजादा ने पत्रकारों से बात करते हुए बताया कि वह यहां अपनी बुआ से कथक के गुण सीखने आई हैं और कथक के जरिए अभिनय कला में जान डालने का प्रयास करेंगी। बताती हैं कि कभी कभी किसी किरदार में परंपरागत नृत्य कला की आवश्यकता होती है, लेकिन जानकारी के आभाव में या तो वह किरदार पीछे छूट जाता है या फिर अभिनय के साथ सही न्याय नहीं हो पाता। ऐसे में उन्होंने अभिनय से ब्रेक लेकर पहले कथक के गुर सीखने का मन बनाया है। शिल्पा के अनुसार सफलता के लिए जीवनभर काम करने की जरूरत होती है और काम करने से ही कला में निखार आता है। उनका मानना है कि एक महिला का संपूर्ण जीवन ही अलग-अलग किरदारों से भरा होता है। वह अभिनय के क्षेत्र में करीब दस से मेहनत कर रही हैं और अब तक करीब दर्जन भर अलग-अलग सीरियलों में विभिन्न किरदार निभा चुकी हैं। उन्होंने स्टार प्लस के हमारी देवरानी की पद्मिनी से अभिनय की शुरूआत करते हुए स्टार प्लस में ये रिश्ता क्या कहलाता है की सुरेखा गोयनका, माता की चौकी की सीता, जी टीवी में जोधा अकबर की शहनाज, वीर शिवाजी की बेगम रुकसार, कृष्णाबेन खाखरावाला की बिन्नी आदि विभिन्न किरदारों में अपनी अभिनय कला से जान फूंकने का काम किया है। मध्य प्रदेश के बैतूल जिले के गांव पाथाखेड़ा में जन्मी शिल्पा बताती हैं कि पहले तो उन्होंने नेगेटिव रोल्स में किस्मत आजमाई, लेकिन धीरे धीरे वह मेन लीड में शामिल हो गईं और आज उनके पास कई नए सीरियलों के ऑफर हैं। हालांकि वह इस समय अभिनय के क्षेत्र से एक छोटे ब्रेक के मूड में हैं और बुआ के साथ रहकर नृत्यकला में हाथ आजमाना चाहती हैं। बतातीं हैं कि अच्छे और बुरे लोग हर क्षेत्र में होते हैं, मनुष्य को अपने भाव अच्छे रखने चाहिए तो भगवान भी उनके साथ अच्छा ही करते हैं। उन्होंने बुंदेलखंड की लड़कियों को पूरे आत्मविश्वास के साथ अपने हुनर का प्रदर्शन करने की सलाह दी, साथ ही अभिभावकों को भी बच्चों की प्रतिभा पर ध्यान देने व उसके निखार में सहयोगी बनने की अपील की।

नृत्य गुरु के नाम से विख्यात हैं बुआ श्रद्धा
टेलीविजन की दुनिया का जाना पहचाना नाम शिल्पा रायजादा की बुआ श्रद्धा निगम वैसे तो शहर में किसी परिचय की मोहताज नहीं हैं, लेकिन बताते चलें कि वह समाजसेवा के क्षेत्र में हमेशा सक्रिय रहती हैं और अपनी कथक कला का ज्ञान अपने आसपास फैलाती रहती हैं। उन्हें कथक कला के जुड़े लोग नृत्य गुरु के नाम से जानी जाती हैं। नृत्य कला गृह में कथक क्लास के अलावा वह कलार्पण संस्था की केंद्रीय अध्यक्ष हैं और समाजसेवा के क्षेत्र में अग्रणी नाम हैं। हालांकि वह अपने पुत्र कर्ण निगम के साथ पेट्रोल पंप का व्यवसाय भी संचालित करती हैं। 

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