बरेली : ब्राह्मण मतदाताओं पर टिकी भाजप-सपा और कांग्रेस की नजर

दैनिक भास्कर ब्यूरो

बरेली। निकाय चुनाव में महापौर पद के लिए भाजपा और सपा के प्रत्याशी घोषित करने की दृष्टि से अगले 48 घंटे बेहद अहम हैं। भाजपा से महापौर प्रत्याशी के लिए पहले आठ नामों का पैनल हाईकमान को भेजा गया था। मगर, अब उसमें से पांच नाम बाहर हो चुके हैं। तीन नामों का पैनल हाईकमान के समक्ष विचाराधीन है। इन तीन में से कोई एक भाजपा से महापौर पद का प्रत्याशी होगा। सपा ने पहले चरण के प्रत्याशियों की सूची जारी कर दी है। दूसरे चरण की प्रतीक्षा है। अभी सपा से बरेली का टिकट फिलहाल होल्ड पर है। यहां भी तीन नामों में से कोई एक प्रत्याशी घोषित किया जा सकता है। उनमें पहला नाम पूर्व मेयर डॉ. आईएस तोमर, दूसरा सुप्रिया ऐरन और तीसरा कोई नया चेहरा हो सकता है। बसपा ने महापौर पद के लिए अपने पत्ते नहीं खोले हैं। वहीं कांग्रेस से पार्टी के प्रदेश प्रवक्ता केबी त्रिपाठी का प्रत्याशी बनना लगभग तय है। तीनों दलों की नजरें फिलहाल ब्राह्मण मतदाताओं पर टिकी हैं।

भाजपा ने प्रत्याशी तय करने के लिए तीन नामों का पैनल भेजा

वर्ष 2017 में भाजपा ने नए चेहरे के तौर पर डॉ. उमेश गौतम पर दांव लगाया था। उसके नतीजे में 20 साल बाद नगर निगम की सीट पर कमल खिला। इस बार भी ब्राह्मण मतदाताओं की खासी संख्या को देखते हुए बाबा साहब डॉ. भीमराव आंबेडकर जयंती से एक दिन पहले प्रबुद्ध सम्मेलन बुलाकर साफ कर दिया कि वह इस वर्ग को उपेक्षित नहीं कर सकती। हालांकि इस प्रबुद्ध मतदाता सम्मेलन में प्रदेश के डिप्टी सीएम ब्रजेश पाठक को भी आना था। डिप्टी सीएम के न आने से प्रबुद्ध सम्मेलन फीका सा रहा। दूसरी बात आयोजकों ने सम्मेलन के प्रचार-प्रसार पर भी उतना ध्यान नहीं दिया, जितना देना चाहिए था। ब्राह्मण मतदाताओं की संख्या को देखते हुए भाजपा इस बार भी किसी तरह का खतरा नहीं उठाना चाहती। राजनीतिक पंडितों का मानना है कि इन समीकरणों के चलते दोबारा भी भाजपा से ब्राह्मण चेहरे को मौका दिया जा सकता है। हालांकि भाजपा से टिकट के दावेदार सिंधी, पंजाबी समुदाय से भी हैं।

बसपा ने महापौर प्रत्याशी के लिए अब तक नहीं खोले हैं पत्ते

मगर, उनकी बिरादरी की संख्या कम हैं। दूसरी बात इस बिरादरी के दावेदारों की अन्य बिरादरी के मतदाताओं पर पकड़ नहीं है। बिरादरी के दावेदार पूरी तरह भाजपा के वोट बैंक पर निर्भर हैं। उनका अपना खुद का वोट नहीं है। वहीं प्रमुख विपक्षी दल समाजवादी पार्टी के सामने पूर्व मेयर डॉ. आईएस तोमर को चुनाव लड़ाने का विकल्प खुला है। मगर, अधिक उम्र उनके रास्ते में रोड़ा बनी हुई है। सूत्रों के अनुसार पूर्व महापौर सुप्रिया ऐरन मेयर का चुनाव लड़ने से इनकार कर चुकी हैं। इसलिए बहुत कुछ संभव है कि सपा किसी नए चेहरे पर दांव लगाकर सबको चौंका दे। अगर भाजपा किसी गैर ब्राह्मण को अपना प्रत्याशी बनाती है तो सपा ब्राह्मण चेहरे पर दांव लगाकर बाजी पलट भी सकती है। फिलहाल, इस समय सबकी नजरें इस समय सपा और भाजपा के टिकट की घोषणा पर लगी हैं।

पूर्व विधायक पप्पू भरतौल की भी अहम भूमिका

निकाय चुनाव में भाजपा के पूर्व विधायक राजेश कुमार मिश्रा पप्पू भरतौल की भी अहम भूमिका होगी। भले ही वह चुनाव न लड़ें, लेकिन शहर के मतदाताओं के बीच उनका अपना जनाधार है। वर्तमान में विधायक न होने के बावजूद वह नियमित जनता की समस्याओं को सुनते हैं। उनके घर के बाहर रोजाना किसी विधायक से कम भीड़ नहीं लगती। वर्ष 2017 से पहले बरेली की राजनीति में जब ब्राह्मणों की भागीदारी न के बराबर थी। भाजपा और सपा में ब्राह्मण चेहरे दूरबीन लेकर ढूंढने से भी दिखाई नहीं देते थे। तब भाजपा ने विधानसभा चुनाव में पप्पू भरतौल पर दांव लगाकर सबसे कठिन मानी जाने वाली सीट बसपा से छीन ली थी। वर्ष 2022 के चुनाव में टिकट कटने के बाद पूर्व विधायक राजनीतिक रूप से शांत हैं। मगर, उनकी काम करने की शैली जनता में लोकप्रिय है। उन्होंने महापौर टिकट के लिए आवेदन नहीं किया है। मगर, तेज तर्रार नेता के तौर पर अब भी उनकी छाप है। किसी उलटफेर की स्थिति में उनकी भूमिका भी अहम हो सकती है।

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