बरेली। सरल, सहज, समर्पित – संतोष गंगवार की राजनीतिक यात्रा में यह तीन शब्द हमेशा उनकी टैग लाइन रहे हैं। लोगों ने बरसों बरस उनको सरलता से राजनीति करते, स्कूटर मोटरसाइकिल से ही कहीं भी आते जाते, मिलते जुलते देखा है। आठ बार के सांसद, केंद्र में कई बार के मंत्री, भाजपा के एक बड़े राजनेता कभी अपने फौज फाटे के लिए नहीं जाने गए। अब वह झारखंड के राज्यपाल बन गए हैं। उत्तर प्रदेश के अकेले ऐसे नेता जो कहीं राज्यपाल बने हैं। शपथ लेकर अपने घर लौटे लेकिन आज बरेली वालों ने महामहिम का लाव लश्कर भी देखा और उनके राजनीतिक संदेश को भी समझा।
बीते कुछ महीनों का अतीत बताता है कि टिकट कटने, पत्नी के दुखद निधन के बाद संतोष गंगवार राजनीतिक निर्वात में रहे। राजनीतिक निर्वात यानी पॉलिटिकल वैक्यूम। इस वक्त ने काफी कुछ सिखाया – समझाया, उनको भी, उनके कैंप को भी। आज का दिन उनके समर्थकों के लिए एक उत्सव का दिन था। कल दिल्ली में प्रधानमंत्री से मिलकर रात करीब एक बजे वह बरेली पहुंचे।
आधी रात को आतिशबाजी हुई। भाजपा के क्षेत्रीय अध्यक्ष दुर्विजय सिंह शाक्य, मेयर डा. उमेश गौतम, जिलाध्यक्ष आदेश प्रताप सिंह, महानगर अध्यक्ष अधीर सक्सेना, पूर्व अध्यक्ष राजकुमार शर्मा, आईवीआरआई के निदेशक डा. त्रिवेणी दत्त, भाजपा के क्षेत्रीय सह मीडिया प्रभारी मनीष अग्रवाल, डीसीबी चेयरमैन वीरेन्द्र गंगवार वीरू, धर्मविजय गंगवार, भुजेन्द्र गंगवार, रमेश जैन समेत कई नेताओं कार्यकर्ताओँ ने स्वागत सत्कार किया। सुबह पांच साढ़े पांच बजे से फिर लोग जुटने लगे।
हालांकि सुबह घर का नजारा बिल्कुल अलग था। बड़ी संख्या में सुरक्षा के जवान, बम स्क्वाड, डॉग स्क्वायड, अशोक की लाट लगी गाड़ियों का काफिला, सुरक्षा की कई गाड़ियां, फायर ब्रिगेड से लेकर दो-दो एंबुलेंस की गाड़ियां, लाव लश्कर से भरा एक बड़ा काफिला और बहुत कुछ। लोगों ने संतोष जी के आसपास ऐसा कभी कुछ नहीं देखा था, क्योंकि आदतन केंद्र में मंत्री रहने के दौरान भी उन्होंने एक गनर तक को रखना कभी बहुत पसंद नहीं किया।
सुबह से ही महामहिम के बैक टू बैक कई कार्यक्रम लगे थे। उन्होंने अलखनाथ मंदिर में दर्शन किये, सर्किट हाउस में अफसरों नेताओं से मिले, बरेली क्लब में शिक्षा और आर्य समाज के प्रतिष्ठित सत्य स्वरुप परिवार के बेटे कर्नल अभय स्वरूप के एक पुस्तक विमोचन में शामिल हुए। विकास भवन में मीडिया वालों से मिले। भगवान बिरसा मुंडा को याद किया। नाथ नगरी को भगवान बैजनाथ की धरती से जोड़ा और यह भी कहा कि यह सिर्फ मेरी नहीं आप सभी की उपलब्धि है। देर शाम तक उन्होंने कई कार्यक्रमों में हिस्सा लिया।
एक बड़े की तरह समझाया और एक सधे हुए राजनेता के रूप में संदेश दिया। वह भी बिना बोले, बिना शब्दों के, संदेश अन्तर्निहित था – बेटी को लेकर, श्रुति गंगवार – एक आईआईटियन, सफल बिजनेस वूमेन, मिलनसार और विनम्र व्यक्तित्व की धनी, पूरे वक्त महामहिम के साथ साथ रहीं। कदम से कदम मिलाकर। उनके पति सुबोध सचान भी हर वक्त साथ रहे, मैनेजमेंट को मजबूती से संभालते हुए।
राजनीतिक पर बारीक निगाह रखने वालों ने समझ लिया कि भविष्य की मंशा क्या है। फिलहाल देर रात तक बरेली में कई कार्यक्रमों में हिस्सा लेकर संतोष गंगवार दिल्ली लौट गए। वहां उनकी गृह मंत्री अमित शाह से मुलाकात है, इसके बाद वह अपने राजभवन रांची रवाना हो जायेंगे।