भास्कर ब्यूरो
बरेली : शीशगण। ग्रामीण क्षेत्रों में स्वास्थ्य सेवाएं भगवान भरोसे है शासन की तरफ से सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र में स्वास्थ्य सेवाएं मुहैया कराने का दावा किया जाता है, लेकिन दावे सिर्फ कागज़ तक ही सीमित है। जहां डॉक्टरो की गैर मौजूदगी में वार्ड बॉय के भरोसे सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र का संचालन होता है।
शीशगढ़ कस्बे में सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र नाम मात्र को है। कस्बे में बने सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र का उद्घाटन 2018 में प्रभारी मंत्री रहे बृजेश पाठक ने किया था लगभग 5 करोड़ की लागत से बने सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र में आज तक किसी भी डॉक्टर की तैनाती नहीं हो पाई अस्पताल वार्ड बॉय के सहारे चल रहा है।
स्वास्थ्य केंद्र में आठ कर्मचारियों की टीम अस्पताल में रहती है मगर अभी तक किसी भी डॉक्टर की तैनाती शीशगढ़ कस्बे के सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र में नहीं हो पाई। हालात यह है कि कर्मचारी किराए के भवन में रहने को मजबूर हैं।सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र की बिल्डिंग के पीछे डॉक्टरों तथा कर्मचारियों के रहने की व्यवस्था की गई थी। मगर वह अधर में लटकी हुई है अस्पताल के अंदर महिलाओं तथा पुरुषों के लिए कोई भी शौचालय चालू हालत में नहीं है। उत्तर प्रदेश सरकार के स्वास्थ्य मंत्री कितने भी दावे और वादे कर लें मगर शीशगढ़ कस्बे में सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र का हाल नहीं बदल पाए।
2014 में सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र की नीव तत्कालीन मुख्यमंत्री अखिलेश यादव तथ शीशगढ़ नगर पंचायत के चेयरमैन हाजी गुड्डू द्वारा रखी गई थी मगर 7 साल बीत जाने के बाद भी शीशगढ़ कस्बे के सामुदायिक केंद्र में एक अदद डॉक्टर की तैनाती नहीं हो पाई शीशगढ़ कस्बे के लोग मेडिकल कराने के लिए भी 25 किलोमीटर दूर बहेड़ी जाना पड़ता है।
कस्बे में तैनात महिला एएनएम ने भी अपने अलग-अलग क्लीनिक खोल दिए हैं वह लोग अस्पताल में आए लोगों को अपने क्लीनिक पर जाने के लिए बोलते हैं और कहते हैं यहां पर स्वास्थ्य सेवाएं नहीं है अपना जच्चा और बच्चा कि अगर सेहत चाहते हैं तो हमारे क्लीनिक पर चलें वहां जाकर गरीब कमजोर लोगों से मोटी रकम वसूली जाती है