बरेली। वैशाख माह के शुक्ल पक्ष की अष्टमी तिथि के दिन मां बगलामुखी की जयंती मनाई जाती है। मां बगलामुखी उन दस महाविद्याओं में से एक हैं, जिन्हें तंत्र से जुड़ी सबसे बड़ी देवी माना गया है। कहा जाता है यह वही दिन है जिस दिन देवी बगलामुखी अवतरित हुई थी। बगलामुखी माता को पितांबरी भी कहा जाता है। मां बगलामुखी जयंती हर वर्ष वैशाख माह में शुक्ल पक्ष की अष्टमी तिथि को मनाई जाती है। कहा जाता है यह वही दिन है, जिस दिन देवी बगलामुखी अवतरित हुई थी। सच्ची आस्था और सही विधि से पूजा की जाए तो मां बगलामुखी देवी अपने भक्तों को शत्रुओं से जुड़ी तमाम समस्याओं से दूर रखती हैं।
धार्मिक मान्यता के अनुसार, मां बगलामुखी की पूजा दस महाविद्या के रूप में भी की जाती है। इसी वजह से देश के कई राज्यों में इन्हें बुद्धि की देवी के नाम से जाना जाता है। मां बगलामुखी की पूजा खासतौर पर कोर्ट-कचहरी और शत्रुओं से छुटकारा पाने के लिए की जाती है। देवी को बगलामुखी, पीताम्बरा, बगला, वल्गामुखी, वगलामुखी, ब्रह्मास्त्र विद्या आदि नामों से भी जाना जाता है।
वहीं बुधवार को पीलीभीत बाई पास रोड सिल्वर स्टेट स्थित सिद्धयोग शक्ति दरबार ट्रस्ट ने मां बगलामुखी जयंती मनाई। इस अवसर पर सैकड़ों श्रद्धालुओं ने पीले वस्त्रों को धारण करके मां बगलामुखी के मंत्र का जाप, प्रार्थना,आरती एवं हवन में भाग लिया और विभिन्न पीले व्यंजनो का भोग लगाया। सिद्ध गुरुदेव गोविन्द ने संबोधित करते हुए कहा कि दुर्गा चालीसा में बताया गया है कि सभी शक्तियां माँ दुर्गा का ही रूप हैं नमो नमो दुर्गा सुख करनी, नमो नमो अम्बे दुख हरनी…….मातंगी धूमावती माता भुवनेश्वरी बगला सुख दाता… मां बगलामुखी भक्तो को सुख प्रदान करते हुए भय को हरण कर विजय दिलाती है परन्तु इनकी साधना सरल नहीं है सिद्धगुरु की कृपा से बीजमंत्र मिलता है।
उन्होंने आगे बताया कि माँ बगलामुखी स्तंभन की शक्ति हैं 10 महाविद्याओं में से एक है जीवन में सफलता पाने के लिए इनकी शक्ति अत्यंत आवश्यक है साधना मार्ग में आगे बढ़ने के लिए भी मां बगलामुखी की शक्ति बहुत महत्वपूर्ण है साधना के उच्च स्तरों पर पहुंचने के लिए मां बगलामुखी की स्तंभन शक्ति अत्यंत आवश्यक है वरना साधना के उच्च स्तर पर पहुंचने के बावजूद भी निचली अवस्था में आ जाते हैं और अपनी शक्तियां खो देते हैं लेकिन जो साधक मां बगलामुखी की स्तंभन शक्ति साधना करते हैं वे उच्च अवस्था को प्राप्त करके आत्मज्ञान को उपलब्ध हो जाते है।
सिद्ध गुरुमां आस्था ने बताया कि सिद्धयोग शक्ति दरबार में पिछले 29 वर्षों से मां बगलामुखी की साधना कराई जा रही है और प्रत्येक गुरुवार को पीले वस्त्र पहन कर इसके लिए अलग से विशेष साधना का आयोजन होता है। उन्होंने बताया कि दरबार प्रांगण में मां बगलामुखी जयंती के उपलक्ष्य में पिछले 7 दिनों से 21 साधक पीले वस्त्र पहनकर माँ बगलामुखी का सिद्ध मंत्र का जाप कर रहे थे वह साधना अब पूर्ण हुई।
कार्यक्रम के अंत में शाम 7:30 बजे से मां बगलामुखी के हवन का आयोजन हुआ इसमें 40 से अधिक साधकों ने आहुतियां दी, आरती के पश्चात प्रसाद वितरण हुआ। अंत में साधकों ने गुरुदेव गुरुमां के चरणों में प्रणाम करके आशीर्वाद प्राप्त किया।
इस अवसर पर उत्कर्ष अग्रवाल, स्वाति अग्रवाल, रिचा मेहरोत्रा, राजीव शर्मा, शशि मिश्रा, मुनीश राजपूत ,राघवेंद्र अग्रवाल, आशा अग्रवाल, कंचन अग्रवाल, पुष्पी शर्मा , विमल मेहरोत्रा , अवनीश मिश्रा, नेहा मिश्रा , अनामिका मेहरोत्रा, सुमिधा मेहरोत्रा, मनोज सक्सेना, विमल मेहरोत्रा, अवनीश मिश्रा, देवेश मिश्रा, अमर सिंह, वीर सिंह, संदीप कुमार, अनिल अवस्थी, हर्षित अग्रवाल, सहित सैकड़ों साधक उपस्थित रहे।