बरेली : कांस्टेबल शर्मा की शानदार मूछों पर फिदा हुए SSP

दैनिक भास्कर ब्यूरो

बरेली। लावारिस फिल्म में अमिताभ बच्चन का डायलॉग मूछें हो तो नत्थू लाल जी जैसी। हर किसी की जुबां पर बरबस तब आ जाता है, जब वह किसी की शानदार ताव भरी मूंछें देखता है। मूछों की कहानी यहीं पर खत्म नहीं होती। मूछों को लेकर हिंदी में कई मुहावरे लिखे गए हैं। मूंछ नहीं तो कुछ नहीं। मूंछ की पूछ, बाकी सब छूंछ। मूंछ का बाल, मूंछें मुड़वा दूंगा, मूछों पर ताव देना, मूछों की लड़ाई। यह सब मुहावरे मूछों के महत्व को लेकर ही गढ़े गए हैं। मूंछें रौब झाड़ने, आन बान और शान से भी जोड़ी जाती हैं।

एसएसपी प्रभाकर चौधरी ने 1000 रुपये पुरस्कार, प्रशस्ति पत्र से किया सम्मानित

बरेली में तैनात टर्नआउट प्रमोटेड हेड कांस्टेबल मनोज शर्मा ऐसी ही शानदार ताव भरी मूछों के मालिक हैं। उन्हें देखकर एसएसपी प्रभाकर चौधरी भी खुश हो गए। उन्होंने मनोज शर्मा को 1000 और प्रशस्ति पत्र से सम्मानित किया। एसपी सिटी राहुल भाटी, एसपी ट्रैफिक राम मोहन सिंह और एएसपी विक्रम दहिया ने भी मनोज शर्मा की मूछों की जमकर तारीफ की। मंगलवार को मनोज शर्मा अपनी शानदार मूछों की वजह से चर्चा में रहे।

मूछों के रखरखाव को लेकर दिया जाता था प्रोत्साहन भत्ता

अब वह लंबे चौड़े कद और शानदार मूछों वाले पुलिसकर्मी नहीं रहे। मूछों वाले पुलिसकर्मियों की संख्या भी लगातार घटती जा रही है। आरआई लाइन बताते हैं कि बरेली में किसी को मूछों के रखरखाव को लेकर प्रोत्साहन भत्ता नहीं दिया जाता है। आईजी रेंज डॉक्टर राकेश कुमार सिंह के कार्यालय में तैनात हेड कांस्टेबल मनोज शर्मा ने बताया कि वह काफी दिनों से मूंछ रख रहे हैं। मूंछ के रखरखाव और साज-सज्जा में सुबह काफी समय लगता है। नियमित नाई के पास भी जाना पड़ता है। मूंछ प्रोत्साहन भत्ते के बारे में उन्होंने बताया कि शासनादेश की उन्हें जानकारी नहीं थी। लेकिन योगी सरकार ने ₹500 महीने मूंछ प्रोत्साहन भत्ता रखा है इसके लिए वह प्रयास करेंगे।

आन बान और शान से जुड़ी रही हैं मूंछें

मूंछें हमेशा आन बान और शान से जुड़ी रही हैं। यही वजह है की मूछें आज भी चेहरे पर एक अलग आकर्षण का केंद्र बिंदु रहती हैं। फिल्मी कहानियां और उपन्यास में मूछों को लेकर कई शानदार संवाद गढ़े गए हैं। ठाकुर साहब ने बोला कि उनकी मूंछ के बराबर भी सामने वाला नहीं। मूछों पर ताव देकर जमीदार ने अपनी खुद्दारी का लोहा मनवाया। लाला के पास मूंछ गिरवी रखकर भी कुछ हासिल नहीं हुआ। मतलब मूंछ हमेशा व्यक्तित्व और चरित्र के प्रदर्शन का प्रतिनिधित्व करती रही है।

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