बरेली: आला हजरत का उर्स आज से सियासी तकरीर पर रोक

बरेली। हर साल उर्स-ए-रज़वी में आने वाले ज़ायरीन की संख्या में इज़ाफ़ा हो रहा है। दुनिया भर के अलग अलग मुल्क व भारत के कोने कोने से लोग आला हज़रत के उर्स में बरेली आते हैं।
उर्स के मंच से कोई भी सियासी तकरीर नहीं की जाएगी। मंच से उलेमा को सियासी बयानबाजी पर रोक लगा दी है। उर्स के मंच जहां पर होगा वहां सियासी तकरीर नहीं की जाएगी। उलेमा को सिर्फ मजहबी, मुसलमानों के मौजूदा हालात जैसे मसले पर ही तकरीर करने की हिदायत दी गई है। वहीं दहेज हटाएंगे बेटी बचाएंगे का संदेश दिया जाएगा।

दरगाह प्रमुख मौलाना सुब्हानी मियां ने ऐलान किया है कि इस्लामिया मैदान में आयोजित होने वाले 106 वें उर्स में अबकी बार सभी रजस कराने उर्स होंगे। कोई भी शख्स किसी भी व्यवस्था का प्रभारी नहीं होगा। उर्स में सहयोग के लिए 1100 रजाकार लगाए गए है जो इस्लामिया मैदान, दरगाह और शहर के चप्पे चप्पे पर तैनात रहेंगे। उर्स-ए-रजवी में दुनियाभर से आने वाले उलेमा व वक्ताओं को तकरीर करने के लिए विशेष टॉपिक दिए जा रहे हैं। नासिर कुरैशी ने बताया कि इस बार खास टॉपिक नामूस-ए-रिसालत (नबी करीम की अजमत), मुस्लिम बच्चे, बच्चियां और उनकी परवरिश, दहेज हटाएंगे, बेटी बचाएंगे आदि मुद्दे पर देश विदेश के सुन्नी, सूफी, खानकाही, बरेलवी मुसलमानों तक स्टेज से खास पैगाम दिया जाएगा।

यह खास टॉपिक पर करेंगे तकरीर –

उलेमा की तकरीर के लिए विषय तय किये गए। इस समय देश में फैली सामाजिक बुराइयों जैसे महिलाओं के साथ होने वाले जुल्म व ज्यादती, बढ़ती दुष्कर्म की घटनाएं, सूदी कारोबार, आपसी लड़ाई झगड़े और हत्याए, शिक्षा के क्षेत्र में मुसलमानों का पिछड़ापन, शादियों में फिजुलखर्ची, निकाह व तलाक, भारतीय कोर्ट-कचहरी में बढ़ते मुकदमों की संख्या के मद्देनजर अपने छोटे-मोटे मसलों को घरों में निपटाने जैसे अहम मुद्दों के लिए देश भर में अभियान चलाने की अपील व आह्वान उर्स-ए-रजवी के स्टेज से उलेमा करेंगे। साथ ही सोशल मीडिया पर भड़काऊ पोस्ट न करनें। जैसे मुद्दों पर नौजवानों से भी उलमा अपील करेंगे।

मथुरापुर जामियातुर रजा मदरसे से होगी तकरीर
मथुरापुर स्थित जामियातुर रजा मदरसे में उर्स के मंच तैयार किए गए हैं। उर्स प्रभारी सलमान मियां ने बताया कि सभी रस्में काजी-ए-हिंदुस्तान मुफ्ती मोहम्मद असजद रजा खां कादरी की सरपरस्ती में होंगी। देश विदेश से आए उलमा और सज्जादगान को तकरीर के लिए टॉपिक दे दिए गए हैं। उर्स के मंच से सियासत को लेकर कोई भी तकरीर नहीं की जाएगी।

मुस्लिम मुद्दों पर जारी होगा एजेंडा
ऑल इंडिया मुस्लिम जमात की ओर से मुस्लिम एजेंडा जारी किया जाएगा। संगठन के प्रवक्ता डा. अनवर रजा कादरी ने 12 राज्यों के उलेमा व बुद्धिजीवी की बैठक होगी। मुसलमान के मिसाइल पर विस्तार से चर्चा की जाएगी। बैठक में समान नागरिक संहिता, वक्फ संशोधन बिल, पैगंबर इस्लाम की शान में गुस्ताखी जैसे मुद्दे शामिल होंगे। मुस्लिम समाज के अंदर बुराइयों जैसे नशा, लड़कियों को संपत्तियों में हक देने जैसे मसले पर चर्चा होगी। उलमा मुस्लिम एजेंडा जारी करेंगे।

शरीयत के नज़र में आला हज़रत द्वारा दिये फतवों पर भी पूरा अमल किया जाता है। इसलिए वाहिद यह एक ऐसा उर्स है जिसमें औरतों की भीड़ नहीं देखी जाती। यह आला हज़रत के फतवे के ही रूहानी ताकत है कि उनके उर्स में सिर्फ मर्द हज़रात ही आते हैं, औरतें नहीं आती। उर्स में महिलाओं के आने पर सख्त मना है। बाकायदा इसके लिए दरगाह से अपील भी होती है और उर्स के पोस्टर में लिखा जाता है कि महिलायें उर्स में न आयें।

अगर, अनजाने में उर्स में महिलाएं आ भी जाती हैं तो उन्हें दरगाह की तरफ से दरगाह के मेहमान खाने और इस्लामिया गर्ल्स कॉलेज में ठहराने की व्यवस्था होती है। बताया जाता है औरतों की यहाँ आने की रोक बहुत पहले से है। आला हज़रत दरगाह के अव्वल सज्जादानशीन हुज्जतुल ईस्लाम मुफ्ती हामिद रज़ा खान के ज़माने से ये रोक ऐलान है। इसको लेकर आला हज़रत का फतवा भी है औरत का मजार पर जाना जायज नहीं। 

उर्स में लाखों की संख्या में लोग यहाँ आते हैं। पूरा शहर सिर्फ मर्द जायरीन की ही भीड़ दिखती है। होटल या कोई गेस्ट हाउस शहर के सभी बारात घर, आम लोगो के घरों पर जायरीन की ठहरने की जगह तक कम पड़ जाती है। अगर, आप अंदाज़ा लगाए सकते हैं सिर्फ मर्द ज़ायरीन की भीड़ से ही पूरा पैक हो जाता है जबकि इसमें महिलायें नहीं होती। अगर महिलाएं भी उर्स में अपने परिवार के साथ आने लगें तो भीड़ का आलम क्या होगा।

वर्जन- नासिर कुरैशी, दरगाह आला के जानकार
“उर्स-ए-रजवी के दौरान जो महिलाएं अनजाने में बरेली आ जाती रुकने की व्यवस्था है, उनके परदे के साथ दरगाह मेहमान खाने और इस्लामिया गर्ल्स में की जाती है। उर्स में बने हेल्पलाइन दफ्तर से भी महिलाओं को पर्दे में रहने की ताकीद की जाती है।”

वर्जन- मुफ्ती खुर्शीद आलम रज़वी, शहर इमाम जामा मस्जिद, बरेली।

“इमाम-ए-अहले सुन्नत आला हज़रत इमाम अहमद रज़ा खां फाजिले बरेलवी का पैगाम पूरी दुनिया के लिए है की अपनी औरतों को मज़ारात पर न भेजो। औरतों का मज़ार पर जाना जायज़ नहीं। यही वजह है इस फतवे पर अमल किया जाता है। बिलखुसूस उर्स के इस अय्याम में औरतों का आना सख्त मना है।”

वर्जन- उस्मान रजा खां, रज़ा एक्शन कमेटी
“कुल शरीफ के दिन आला हज़रत के दीवानों का शहर में समंदर होता है। यह उनके फतवे का ही असर है ये ऐसा उर्स है जहाँ महिलाओं का आना मना है ये फतवे का अमल है और इस पर अमल भी किया जाता है।”

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