लखनऊ। प्रदेश में शिक्षक दिवस के मौके पर बुधवार को जहां विभिन्न आयोजन हुए वहीं राजधानी में मानदेय बंद होने के विरोध में माध्यमिक वित्तविहीन शिक्षकों ने ‘शिक्षक दिवस‘ को ‘भिक्षक दिवस‘ के रूप में मनाया और भिक्षाटन किया। शिक्षकों ने हजरतगंज स्थित महात्मा गांधी प्रतिमा पर मानदेय समेत नौ सूत्रीय मांगों को लेकर प्रदेश सरकार के खिलाफ नारेबाजी की।
इस दौरान शिक्षक विधायकों व अन्य शिक्षकों ने सिर मुंडवा कर अपना विरोध दर्ज कराया। नाराज शिक्षकों ने मुख्यमंत्री के आवास पर भिक्षा मांगने के लिए जाने की कोशिश की तो पुलिस ने उन्हें मौके से ही जबरन उठाया और बसों में भर कर गिरफ्तार किया। इस दौरान कई महिला शिक्षक इस रवैये को लेकर रोने लगीं। मानदेय से वंचित माध्यमिक वित्तविहीन शिक्षक अपने आप को ठगा महसूस कर रहे हैं।
इसलिए उत्तर प्रदेश माध्यमिक वित्तविहीन शिक्षक महासभा के बैनर तले मंगलवार को आलमबाग स्थित ईको गार्डन पर प्रदर्शन करने के बाद ये लोग बुधवार को हजरतगंज स्थित गांधी प्रतिमा पहुंचे। प्रदर्शनकारी शिक्षकों ने विरोध दर्ज कराते हुए अपना सिर मुंडवाया। इनमें लखनऊ से शिक्षक विधायक उमेश द्विवेदी व बरेली-मुरादाबाद से शिक्षक विधायक संजय मिश्रा सहित अटल बिहारी कालेज, शाहजहांपुर की प्राचार्य रेनू मिश्रा आदि रहे।
प्राचार्य रेनू मिश्रा ने सिर मुंडन करवाते हुए कहा कि आज शिक्षक दिवस पर अपने मानदेय और नौ सूत्री मांगों को लेकर प्रदर्शन कर रहे हैं। योगी सरकार में शिक्षकों की सुनवाई नहीं हो रही है। शिक्षक महासभा के महासचिव अजय सिंह ने कहा कि मुख्यमंत्री से भीख के रूप में शिक्षक अपना अनुदान मांग रहे हैं। मानदेय बंद कर दिये जाने से शिक्षकों के परिवारों में भूखमरी की समस्या आ गयी है। उन्होंने मांग की है कि वित्तविहीन शिक्षकों और कर्मचारियों को समान कार्य-समान वेतन मिले।
सहायता प्राप्त विद्यालयों में कार्यरत शिक्षकों को विनियमित किया जाए। शिक्षकों व कर्मचारियों की पुरानी पेंशन योजना बहाल हो। महासभा ने कहा कि वित्तविहीन 135 विद्यालयों को अनुदान पर लिया जाए लिया जाए। वित्तविहीन विद्यालय में कार्यरत प्रत्येक कर्मचारी को बीमा व ईपीएफ देने के साथ दुर्घटना में शिक्षक की मृत्यु होने पर परिजनों को 20 लाख रुपये की सहायता राशि दी जाए।
शिक्षक दिवस पर उत्पीडऩात्मक कार्यवाही दुर्भाग्यपूर्ण-कांग्रेस
उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा शिक्षक दिवस के दिन माध्यमिक वित्तविहीन शिक्षकों एवं टी.ई.टी. के ऊपर लाठियां बरसाये जाने की उत्तर प्रदेश कांग्रेस कमेटी ने कड़ी निन्दा की है। प्रदेश प्रवक्ता ओंकारनाथ ने कहा कि सबसे दुर्भाग्यपूर्ण यह है कि शिक्षक दिवस के दिन राष्ट्रपति, प्रधानमंत्री से लेकर प्रदेश के राज्यपाल एवं मुख्यमंत्री तक ने शिक्षकों को बधाई संदेश भेजा है लेकिन किसी ने भी उनकी समस्या के समाधान हेतु कोई घोषणा नहीं की, उल्टे उन पर उत्पीडऩात्मक कार्यवाही की गयी।
प्रदेश कांग्रेस के प्रवक्ता ने कहा कि उत्तर प्रदेश सरकार ने बेसिक शिक्षा, माध्यमिक शिक्षा, उच्च शिक्षा एवं तकनीकी शिक्षा में कोई विशेष ध्यान नहीं दिया, जिससे शिक्षा का स्तर प्रदेश में निरन्तर गिरता गया। सरकार बेसिक शिक्षा के प्रति इतनी उदासीन है कि प्रदेश में तीन लाख पद शिक्षकों के खाली हैं और अभी तक भर्ती की कोई प्रक्रिया प्रारम्भ नहीं की गयी है। अनेक प्रयासों के बाद 68500 शिक्षकों के पद पर नियुक्ति की प्रक्रिया में लगभग 41000 शिक्षकों की भर्ती की जा सकी है।
ओंकार नाथ सिंह ने कहा कि प्रदेश के सभी सरकारी प्राइमरी स्कूलों में लगभग एक करोड़ सोलह लाख बच्चे शिक्षा ग्रहण कर रहे हैं। शिक्षा का स्तर अच्छा न होने के कारण लगभग एक करोड़ पचासी लाख बच्चे प्राइवेट स्कूलों में शिक्षा ग्रहण कर रहे हैं, जिनकी फीस बहुत अधिक है। यह प्राइवेट स्कूल सरकार के लाख कहने के बावजूद भी अपनी फीस कम करने के लिए तैयार नहीं हैं, दूसरी तरफ प्रदेश सरकार अपने विद्यालयों में बच्चों पर मात्र 1300 रुपये प्रतिमाह खर्च कर रही है। ऐसे में बच्चों की शिक्षा की गुणवत्ता कैसे प्राइवेट स्कूलों के मुकाबले में बराबरी पा सकती है।
सरकार इस बात पर बिल्कुल ध्यान नहीं दे रही है कि एक ही कक्षा में विभिन्न प्रकार के शिक्षकों द्वारा शिक्षण का जो कार्य सम्पादित किया जा रहा है उसका प्रभाव छात्रों में बुरी तरह पड़ रहा है। प्राइमरी स्कूलों में शिक्षा मित्र, जूनियर हाईस्कूल में अनुदेशक और डिग्री कालेजों में स्ववित्त पेाषित शिक्षकों को रेगुलर शिक्षकों के साथ जो शिक्षा प्रणाली अपनाई जा रही है वह बहुत ही दोषपूर्ण है। सरकार को जल्द से जल्द इसका समाधान ढूंढने की आवश्यकता है।