17 साल पहले भागलपुर की तरह ही 2005 में पटना भी बम धमाकों से दहला था। एक साथ 27 लोगों की मौत से तांडव मच गया था। घायलों की चीख पुकार के बीच पुलिस ने हर बड़े विस्फोट की तरह इस घटना को भी पटाखा की अवैध फैक्ट्री से जोड़कर बारूद की आग को ठंडा कर दिया था। 11 साल बाद 2016 में जब इस घटना का आतंकी तार जुड़ा तो बिहार पुलिस सवालों के घेरे में आ गई। इस बार भी भागलपुर ब्लास्ट में चल रही पुलिस की कवायद कुछ ऐसी ही है। वहां भी हुए ब्लास्ट को पुलिस पटाखा विस्फोट से जोड़ देख रही है।
बांग्लादेश में रची गई थी पटना ब्लास्ट की साजिश
2005 की मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक 15 सितंबर 2005 को पटना के खुसरूपुर की मियां टोली में हकीम मियां के घर में बड़ा विस्फोट हुआ था। पुलिस की थ्योरी में घटना पटाखे की अवैध फैक्ट्री में विस्फोट बताई गई, लेकिन 11 साल बाद साल 2016 में इसका आतंकी कनेक्शन जुड़ गया। श्रमजीवी एक्सप्रेस को उड़ाने के लिए आतंकियों ने मियां टोली के घर में विस्फोटक बनाया था और बाद में उसे उड़ा दिया था।
यह खुलासा जौनपुर में हुए श्रमजीवी एक्सप्रेस विस्फोट कांड में कोर्ट से फांसी की सजा पाने वाले आतंकी (मुख्य आरोपी) रोनी उर्फ आलमगीर के स्वीकारोक्ति बयान से हुआ था। मुख्य आरोपित के खुलासे के बाद इस घटना का बांग्लादेश का कनेक्शन सामने आया और पटना पुलिस की जांच की थ्योरी सवालों के घेरे में आ गई।
पुलिस ने आतंकी कनेक्शन से किया था इनकार
पटना के खुशरुपुर में 15 सितंबर 2005 को हुए बम धमाके के बाद घटनास्थल पर पहुंचे तत्कालीन डीजीपी आशीष रंजन सिन्हा ने विस्फोट को दुर्घटना बताया था। इस घटना के पीछे डीजीपी ने आतंकी या उग्रवादी घटना से इनकार किया था। राष्ट्रपति शासन लागू होने के कारण मौके पर पह़ुंचे जद(यू) नेता नीतीश कुमार (मुख्यमंत्री) ने तब घटना को लेकर प्रशासन से काफी तल्ख सवाल पूछे थे। घटना के 11 साल बाद जब मुख्य आरोपित के बयान से आतंकी कनेक्शन जुड़ा तो पूर्व डीजीपी आशीष रंजन सिन्हा ने जांच का विषय बताया। उन्होंने कहा था कि आतंकी रोनी का बयान कहां तक सही है, वेरिफाई करना होगा।
यह देखना होगा कि उसकी इस बात को अदालत ने माना है या नहीं। अगर उसका बयान सही है, तब तो फिर से उस मामले का जांच करना उचित होगा। सीआरपीसी के तहत यह प्रावधान है कि किसी पुराने मामले में नया तथ्य आने पर पुलिस कोर्ट से आदेश लेकर फिर से जांच कर सकती है। हालांकि समय के साथ 2022 में पूरा मामला ठंडा पड़ गया है।
मास्टर माइंड के खुलासे से मचा था हड़कंप
2005 में हुई विस्फोट की घटना के 11 साल बाद साल 2016 में मास्टर माइंड के बयान से खुलासा हुआ था कि बांग्लादेश के रानीनगर निवासी आतंकी रोनी का पार्लर था। बांग्लादेश के रानीबाजार स्थित स्काई ब्यूटी पार्लर में रोनी ने साथियों के साथ श्रमजीवी एक्सप्रेस को उड़ाने की साजिश रची थी। घटना को अंजाम देने के लिए आतंकियों का ग्रुप पश्चिम बंगाल के रास्ते ट्रेन से खुसरूपुर पहुंचा था। इसके बाद मियां टोली में आतंकियों ने बम बनाने सामान लिया और वहीं बम बनाए। 28 जुलाई 2005 को राजगीर से दिल्ली जा रही श्रमजीवी एक्सप्रेस की जनरल बोगी में यूपी के हरपालगंज स्टेशन के पास आतंकियों ने ब्लास्ट करने के कुछ समय बाद हकीम मियां के घर (पटाखा फैक्ट्री) को भी उड़ा दिया था, जिसमें बम बनाए गए थे।
RDX का हुआ था इस्तेमाल
श्रमजीवी एक्सप्रेस ब्लास्ट में आरडीएक्स के इस्तेमाल की बात आई थी। बिहार के पुराने पुलिस अधिकारियों का कहना है कि खुसरूपुर की मियां टोली में अवैध पटाखा फैक्ट्री में हुए विस्फोट के बाद आस पास हाहाकार मच गया था। हकीम मियां के घर व पटाखा फैक्ट्री के साथ आसपास के कई मकान भागलपुर की घटना की तरह मलबे में तब्दील हो गए थे। धमाका इतना तेज था कि एक किलो मीटर तक उसकी आवाज सुनी गई थी।
इस घटना में 27 लोगों की मौत के अलावा 50 से अधिक लोग घायल हुए थे। इस घटना को लेकर पहले से ही विस्फोटकों के बीच आरडीएक्स होने की आशंका जताई जा रही थी। क्योंकि श्रमजीवी ब्लास्ट में भी आतंकियों ने आरडीएक्स, अमोनियम नाइट्रेट, फ्यूल ऑयल का मिश्रण व अन्य विस्फोटकों का इस्तेमाल किया था।
तीन पुलों का मिला था नक्शा
खुसरूपुर में भी विस्फोट स्थल पर जिलेटिन की छड़, तीन ड्रम खतरनाक रसायन और काफी मात्रा में विस्फोटक सामान मिले थे। मीडिया रिपोर्ट में यह बात भी सामने आई थी कि घटना में राज्य के तीन प्रमुख पुलों (राजेंद्र सेतु, गांधी सेतु व कोईलवर पुल) का नक्शा भी मिला था। आशंका पुल उड़ाने को लेकर विस्फोटक जमा किए जाने की थी। यही कारण है कि पुरानी घटना से सबक लेकर अब पुलिस को भागलपुर ब्लास्ट में हर एंगल को खंगालाने की बात कही जा रही है, क्योंकि भागलपुर की घटना पटना की तरह बड़ी है।