फिल्म ‘सजनी शिंदे का वायरल वीडियो’ 27 अक्टूबर को सिनेमाघरों में रिलीज होगी। इस फिल्म में राधिका मदान, निमरत कौर और भाग्यश्री अहम किरदार में नजर आएंगे । फिल्म की कास्ट ने बताया कि फिल्म इंडस्ट्री में परसेप्शन मौसम की तरह होता है। राधिका मदान ने अपने किरदार के बारे में भी बताया। निमरत कौर ने कहा कि फिल्म में दिए गए वन- लाइनर्स कमाल के हैं, और वे उन वन- लाइनर्स में असल जिंदगी में विश्वास रखती हैं।
राधिका मदान ने अपने किरदार ‘सजनी’ के बारे में बताया
फिल्म ‘सजनी शिंदे का वायरल वीडियो’ की कहानी के बारे में जब कास्ट के पूछा गया तो राधिका ने कहा, ‘फिल्म में काफी कुछ है। मैं चाहती हूं ऑडियंस खुद डिस्कवर करे, अभी ज्यादा बोलना ठीक नहीं है।’
आगे राधिका ने फिल्म में अपने किरदार ‘सजनी’ को लेकर कहा, ‘सजनी एक स्वीट, ऐम्बिशस, अहमदनगर की फिजिक्स टीचर हैं। वे पुणे में पढ़ाती हैं। एक अच्छी लाइफस्टाइल चाहती हैं, जिनके सपने बहुत बड़े हैं। उनका वीडियो वायरल होता है।’
फिल्म में दिए गए वन- लाइनर्स में निमरत असल जिंदगी में भी विश्वास रखती हैं
निमरत कौर फिल्म में एक कड़क पुलिस ऑफिसर के किरदार में दिख रही हैं। उन्होंने अपने किरदार के बारे में कहा, ‘ हम एक्टर्स शायद इसलिए बनते हैं कि अपने निजी जीवन में जो नहीं कर पाते, या जो हमारा नेचर नहीं है, वे हम बड़े पर्दे या ओटीटी पर करते हैं।
किरदार के साथ बहुत अच्छी जर्नी रही है। उनके आने के साथ ही आंधी, तूफान सब आ जाता है। बस वे अपना पर्पस निभाना चाहती हैं।’ उन्होंने आगे बताया कि फिल्म में दिए गए वन- लाइनर्स में निमरत असल जिंदगी में भी विश्वास रखती हैं।
निमरत ने बताया- मुझे कहा जाता था कि मेरी शक्ल बहुत मॉडर्न है
फिल्म इंडस्ट्री में ‘परसेप्शन’ को लेकर जब बात हुई और कास्ट से पूछा गया कि क्या वे कभी परसेप्शन का शिकार हुए हैं? इस सवाल पर निमरत ने कहा, ‘हां, और परसेप्शन बदलता भी रहता है। मुझे ऐसा लगता था कि अगर एक परसेप्शन बन जाएगा तो शायद चेंज नहीं होगा।
जैसे जब मैंने मॉडलिंग शुरू की थी, मुझे कहा जाता था कि मेरी शक्ल बहुत मॉडर्न है। आप देसी रोल्स नहीं कर सकते, फिर फिल्म लंच बॉक्स आई। मैंने कहा अब बताओ, उसके बाद कुछ और शुरू हो गया। ‘परसेप्शन’ मौसम की तरह है, जो चेंज होता ही रहता है।’
भाग्यश्री ने कहा- सबसे बड़ा परसेप्शन है कि बॉलीवुड में काम करने वाले लोग अच्छे नहीं होते हैं
भाग्यश्री ने कहा, ‘सबसे बड़ा परसेप्शन है कि बॉलीवुड में काम करने वाले लोग अच्छे नहीं होते हैं। ये बात हमें बार-बार प्रूफ करना पड़ती है। जैसे सोशल मीडिया पर अगर कोई खाना बनाता है, या झाड़ू लगाता है, तो लोग बोलते हैं, ये ऐसा नहीं करते होंगे क्योंकि इनके घर पर बहुत सारे लोग होंगे।
असल बात ये है कि घर तो अपना है, साफ हमें करना पड़ता है। हम सब खाना भी खाते ही हैं,तो बना भी सकते हैं। जैसे आप लोग हैं, वैसे ही हम लोग भी है। ऐसे में दिक्कत तब आती है जब लोग बहुत रूड और इनसेंसिटिव हो जाते हैं।’