नए दिल्ली ; राहुल गाँधी तो अपने आप में मिशाल ही हैं, भारत को आज़ाद कराने वाले बड़े घराने में जन्म लेने वाले बुद्धिमान 45 वर्षीय युवा जिसके हांथों में उसी कांग्रेस की बागडोर है, जिसने राहुल जी के नेतृत्व में लगातार सर्वाधिक चुनाव हारने का कीर्तिमान अपने नाम किया है.
राहुल जी के चुनावी दौरे हों या सबसे बड़े लोकतंत्रीय देश की संसद ही क्यों न हो बड़े ही ख़ास अंदाज़ में राजनीति करते हैं.बता दें कि चुनाव प्रचार के लिए भोपाल पहुंचे कांग्रेस के शीर्ष नेता राहुक गाँधी, कमलनाथ और ज्योतिरादित्य सिंधिया रोड शो के दौरान एक चाय की दुकान पर चाय-समोसे का लुफ्त उठा रहे थे तभी दुकान के कर्मचारी ने चाय के बारे में पूछा तो राहुल जी ने आँख मारी.
युवा राजकुमार राहुल जी ने प्रिया प्रकाश नाम की वह सुन्दर सी लड़की जिसने अपनी नयन कला से सबको मोहित कर लिया था, और विख्यात हुईं थीं, आत्मसात कर लिया. राहुल जी ने प्रधानमन्त्री मोदी की को प्यार की राजनीति वाली बात बताई और फिर मोदी जी के पास जा कर उन्हें गले लगाया परन्तु वापस जब अपनी जगह पार आकर बैठे तब अपने एक साथी नेता की तरफ देखा, और राहुल गाँधी जी ने हू-बहू उसी अंदाज़ में उस साथी नेता को आँख मारी जिस प्रकार उस बाला ने मारी थी.
राहुल जी में सीखने की बड़ी कला है, उस प्रिया प्रकाश से राहुल जी ने कुछ यूँ सीख लिया कि, भोपाल में जब एक चाय वाले ने पूंछा सर चाय कैसी है? राहुल जी अपने उसी संसदीय अंदाज़ में चाय के गिलास पकडे हाथ को उठाया और बिना कुछ बोले मुस्कुराते हुए आँख मार दी, जिससे सब समझ गए कि चाय बढ़िया है. यदि वह राजनीति ही करना चाहते हैं तो उन्हें अपने पूर्वजो के जीवन को आत्मसात करना चाहिए नाकि किसी लड़की को, यदि राहुल एक लड़की की अदा को आत्मसात करते हैं,
तो उन्हें प्रधानमंत्री बनने के सपने देखने की बजाय एक अच्छा कलाकार या अभिनेता बन जाना चाहिए. 45 वर्ष में खुद को युवा मानना अच्छी बात है लेकिन संसद में तरुणाई का प्रदर्शन शोभा नहीं देता है. देश चलाने वाले प्रधानमन्त्री के पद पर एक परिपक्व और समझदार राजनेता की ज़रूरत है, जो आँख मारे तो मारे, मनोरंजन करे तो करे, देश के प्रति सचेत भी रहे, वह सम्प्रभुता का ख्याल भी रखे और देश के मिज़ाज़ और ज़रूरत को परखने के साथ विकास को गति प्रदान करने वाला भी हो.