वोडाफोन और एयरटेल के बाद अब रिलायंस जियो ने भी मंगलवार को टैरिफ में बढ़ोतरी करने की घोषणा की। फिलहाल कंपनी ने ये नहीं बताया है कि किस प्लान में कितने रुपये बढ़ाए जाएंगे। अगले कुछ हफ्तों में इसका ऐलान किया जाएगा। इससे पहले रिलायंस जियो ने नॉन जियो कॉलिंग के लिए पैसे लेने शुरू किए थे।
रिलायंस जियो ने एक बयान में कहा, ‘मीडिया रिपोर्ट्स में जैसा कहा जा रहा है, हम समझते हैं कि TRAI टेलीकॉम टैरिफ को लेकर कंसल्टेशन प्रोसेस शुरू करने वाला है। अन्य ऑपरेटरों की तरह, हम भी सरकार के साथ काम करेंगे और रेग्यूलेटरी रिजीम को मजबूत करेंगे ताकि भारतीय कस्टमर्स के फायदे के लिए इंडस्ट्री मजबूत हो सके। इसके मद्देनजर अगले कुछ हफ्तों में हम टैरिफ में बढ़ोतरी करने जा रहे हैं।
ट्राई के आंकड़ों के मुताबिक, इस साल सितंबर में Jio ने 69.83 लाख नए उपयोगकर्ताओं को अपने नेटवर्क में जोड़ा। जबकि वोडाफोन आइडिया और भारती एयरटेल ने 49 लाख से ज्यादा उपयोगकर्ता खो गए। हालांकि, वोडाफोन आइडिया देश में सब्सक्राइबर बेस (37.24 करोड़) के मामले में सबसे बड़ी दूरसंचार सेवा बनी हुई है, इसके बाद Jio (35.52 करोड़) और भारती एयरटेल (32.55 करोड़) का नंबर आता है।
30 सितंबर 2019 तक, वोडाफोन आइडिया की ग्राहक संख्या 31.73 प्रतिशत थी, रिलायंस जियो की 30.26 प्रतिशत और भारती एयरटेल की 27.74 प्रतिशत बाजार हिस्सेदारी थी।
इससे पहले सोमवार को कर्ज में डूबे टेलीकॉम ऑपरेटर वोडाफोन आइडिया और एयरटेल ने 1 दिसंबर से मोबाइल सेवाओं की दरें बढ़ाने की घोषणा की थी। हालांकि, कंपनी ने प्रस्तावित टैरिफ बढ़ोतरी की सीमा या विवरण का खुलासा नहीं किया है।
वोडाफोन आइडिया ने एक बयान में कहा, ‘यह सुनिश्चित करने के लिए कि उसके ग्राहक विश्व स्तरीय डिजिटल अनुभवों का आनंद लेना जारी रख सकें, वोडाफोन आइडिया 1 दिसंबर 2019 से प्रभावी रूप से अपने टैरिफ की कीमतों में वृद्धि करेगा।’
भारती एयरटेल ने एक बयान में कहा, दूरसंचार क्षेत्र में तेजी से बदलती प्रौद्योगिकी के साथ अत्यधिक पूंजी के निवेश की लगातार जरूरत है। इसलिए, यह अत्यंत महत्वपूर्ण है कि उद्योग डिजिटल इंडिया के दृष्टिकोण का समर्थन करने के लिए हमेशा व्यावहारिक रहे। इसमें कहा गया, तदनुसार, एयरटेल दिसंबर से कीमतों में उचित वृद्धि करेगी।
बता दें कि दूरसंचार ऑपरेटर वोडाफोन आइडिया ने 30 सितंबर को समाप्त दूसरी तिमाही में 50,921 करोड़ रुपये का कंसोलिडेटेड नुकसान दर्ज किया। यह किसी भी भारतीय कंपनी का सबसे बड़ा क्वाटर्ली नुकसान है। पिछले साल की समान तिमाही में कंपनी को 4,874 करोड़ रुपये का नुकसान हुआ था।
नतीजों के बाद कंपनी ने अपने आप को बाजार में बनाए रखने पर चिंता व्यक्त की थी और कहा था कि अब वह सरकार की राहत पर निर्भर है। नतीजों के एक दिन पहले आदित्य बिड़ला समूह ने कहा था कि अगर सरकार समायोजित सकल राजस्व (एजीआर) को लेकर 39,000 करोड़ रुपये से ज्यादा की देनदारी पर बड़ी राहत नहीं देती, तो वह कंपनी में और निवेश नहीं करेगी।
इस तिमाही एयरटेल को भी झटका लगा है। गुरुवार को जारी नतीजों के मुताबिक एयरटेल को जुलाई-सितंबर, 2019 तिमाही में 23,045 करोड़ रुपये का घाटा हुआ है। वहीं पिछले साल की दूसरी तिमाही में कंपनी को 119 करोड़ रुपये का मुनाफा हुआ था। एयरटेल को भी AGR की वजह से इस तिमाही में तेज झटका लगा है। उसे AGR कुल 28,450 करोड़ रुपये चुकाने हैं।
सुप्रीम कोर्ट का एजीआर पर फैसला पिछले महीने आया था। सरकार का पक्ष यह था कि टेलीकॉम कंपनियों की सालाना एजीआर की गणना करने में गैर टेलीकॉम कारोबार से होने वाली आय को भी जोड़ा जाए।
कोर्ट ने सरकार के पक्ष को मंजूरी दी थी। सालाना एजीआर के ही एक हिस्से का भुगतान टेलीकॉम कंपनी लाइसेंस और स्पेकट्रम शुल्क के रूप में करती है। इस फैसले का सबसे बुरा असर वोडाफोन इंडिया लिमिटेड पर पड़ा।