वॉशिंगटन. अमेरिकी रक्षा विभाग पेंटागन ने बुधवार को कहा कि राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प के आदेश पर पाकिस्तान को दी जाने वाली 1.66 बिलियन डॉलर (करीब 12 हजार करोड़ रुपए) की मदद रद्द कर दी गई है। एक दिन पहले ही ट्रम्प ने पाकिस्तान को मूर्ख करार दिया था। उन्होंने कहा था कि अमेरिका ने पाकिस्तान को अरबों डॉलर दिए, लेकिन उसने ओसामा बिन लादेन की पाक के ऐबटाबाद में मौजूदगी के बारे में नहीं बताया।
निराश हो चुका है अमेरिका
बराक ओबामा के कार्यकाल के दौरान अफगानिस्तान, पाकिस्तान और मध्य एशिया मामलों के उपमंत्री रहे डेविड सिडनी के मुताबिक- इस साल जनवरी से ही पाक की मदद रोकी जा रही है। ये अमेरिका की निराशा को ही दिखाता है। पाक ने आतंकी गुटों पर सख्त कार्रवाई नहीं की। सिडनी ने यह भी कहा कि पाकिस्तान के नेता हमेशा वादा करते हैं लेकिन उस पर कायम नहीं रहते। उनकी तरफ से गंभीरतापूर्वक सहयोग नहीं किया गया। केवल ट्रम्प प्रशासन ही नहीं बल्कि ज्यादातर अमेरिकी पाक से निराश हो चुके हैं। सिडनी कहते हैं, “पाक को सोचना चाहिए कि अमेरिका क्या चाहता है, आखिर ट्रम्प किस बात की अपील कर रहे हैं? बात सिर्फ इतनी है कि पाक के आतंकी गुट लश्कर-ए-तैयबा, तालिबान से पड़ोसी देशों को खतरा है। इन पर कार्रवाई होनी चाहिए।”एक अमेरिकी थिंक टैंक सेंटर फॉर स्ट्रैटजिक एंड इंटरनेशनल स्टडीज ने कहा कि यह निराशा पाकिस्तान के लोगों की परेशानियों को अनदेखा नहीं करती।
तालिबान को दिए जा रहे हथियार
सिडनी का आरोप है कि अभी भी तालिबान को हथियार, लड़ाके और पैसा आसानी से मिल रहा है। तालिबान कमांडरों को पाक में पनाह दी जाती है, उनके परिवार भी वहां रहते हैं। तालिबान आतंकी पाक में बैठकें और ट्रेनिंग कैंप संचालित करते हैं। अगर पाक तालिबान पर सख्ती बरते तो अफगानिस्तान में शांति आ जाएगी। इसी साल सितंबर में भी अमेरिका ने पाक की 300 मिलियन डॉलर (करीब 2100 करोड़ रुपए) की मदद रद्द कर दी थी। अमेरिका ने इसकी वजह बताते हुए कहा था कि हक्कानी नेटवर्क और तालिबान पाक की जमीन पर फल-फूल रहे हैं और वह उन पर कोई कार्रवाई नहीं कर रहा।
लादेन के बारे में जानता था पाक
कुछ दिन पहले ट्रम्प ने कहा था कि पाकिस्तान के लोगों को पता था कि लादेन कहां छिपा है। उनके मुताबिक, “मैं न्यूयॉर्क टाइम्स की रिपोर्टर कार्लोटा गाल की किताबक द रॉन्ग एनिमी की बात से एकदम सहमत हूं। पाक सेना के कुछ अफसर लादेन के ठिकाने के बारे में जानते थे।”