
रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने रविवार को आत्मनिर्भर भारत बनने की दिशा में बड़ा ऐलान किया। उन्होंने कहा कि विदेशों से आयात होने वाले 101 रक्षा उत्पादों पर प्रतिबंध लगाया जा रहा है। इन्हें अब देश में ही तैयार किया जाएगा। इसका मकसद देश के रक्षा बाजार को मजबूत करना है। इन उपकरणों को रक्षा अनुसंधान और विकास संस्थान (डीआरडीओ) द्वारा तैयार डिजाइन की मदद ली जाएगी। इसे तीनों सेनाओं की जरूरत के आधार पर तैयार किया जाएगा। भारत और चीन के बीच लद्दाख के कुछ अहम इलाकों में अब भी तनाव है। 15 जून की हिंसक झड़प के बाद चीन अब तक तीन अहम इलाकों से पीछे नहीं हटा है।
शनिवार को हुई थी बातचीत
भारत और चीन के बीच शनिवार को मेजर जनरल स्तर की बातचीत हुई थी। यह करीब 8.30 घंटे चली। माना जा रहा है कि बातचीत के दौरान पूर्वी लद्दाख के दौलत बेग ओल्डी (डीबीओ) और देप्सांग समेत लाइन ऑफ एक्चुअल कंट्रोल (एलएसी) के तनाव वाले इलाकों से सेना पीछे हटाने को लेकर चर्चा हुई।
चीनी सेना देप्सांग, पैंगोंग त्सो लेक और गोगरा से अब तक पीछे नहीं हटी है। भारत ने उसे फौरन इन इलाकों से पीछे हटने को कहा है।
और उत्पादों के आयात पर लग सकती है रोक
रक्षा मंत्री ने कहा कि सभी स्टेकहोल्डर्स से बातचीत के बाद और उत्पादों (उपकरणों) के आयात पर रोक लगाई जाएगी। फिलहाल जो फैसले किए गए हैं, वे 2020 से 2024 के बीच लागू किए जाएंगे। 101 उत्पादों की लिस्ट में आर्मर्ड फाइटिंग व्हीकल्स (AFVs) भी शामिल हैं। मंत्रालय ने 2020-21 के लिए पूंजी खरीद बजट को घरेलू और विदेशी रूट में बांट दिया है। वर्तमान वित्त वर्ष में ही करीब 52,000 करोड़ रुपये का अलग बजट तैयार किया गया है।
चीन के साथ कोर कमांडर लेवल की बातचीत फेल
पूर्वी लद्दाख में लाइन ऑफ एक्चुअल कंट्रोल पर तनाव बरकरार है। कुछ फ्रिक्शन पॉइंट्स से चीनी सेना पीछे हटी है मगर देपसांग और पैंगोंग त्सो में टस से मस होने को तैयार नहीं। दोनों देशों के बीच कोर कमांडर स्तर पर कई दौर की बातचीत बेनतीजा रहने के बाद, शनिवार को मेजर-जनरल स्तर की बातचीत शुरू हुई है। भारत ने साफ कहा कि देपसांग से चीन को अपने सैनिक वापस बुलाने होंगे।
सेना हर मोर्चे पर है अलर्ट
केंद्र सरकार की तरफ से बॉर्डर पर सेना को ‘फ्री-हैंड’ मिला हुआ है। रक्षा मंत्री भी कह चुके हैं कि सेना किसी भी स्थिति से निपटने के लिए तैयार रहे। फिलहाल सीमा पर भारत और चीन, दोनों के ही हजारों सैनिक भारी गोला-बारूद के साथ तैनात हैं। तनाव कम करने के लिए दोनों देशों के बीच, मिलिट्री और डिप्लोमेटिक, दोनों चैनल्स के जरिए बातचीत हो रही है।















