दिल्ली शराब घोटाले में सुप्रीम कोर्ट ने अरविंद केजरीवाल को 1 जून तक की अंतरिम जमानत दे दी है। जस्टिस संजीव खन्ना की अध्यक्षता वाली बेंच ने केजरीवाल को 2 जून को सरेंडर करने का आदेश दिया है। कोर्ट ने 7 मई को अंतरिम जमानत पर दोनों पक्षों की दलीलें सुनने के बाद फैसला सुरक्षित रख लिया था।
कोर्ट ने कहा कि अगस्त, 2022 में ईडी की ईसीआईआर के बाद से 21 मार्च, 2024 तक केजरीवाल बाहर थे। उन्हें हाई कोर्ट से संरक्षण न मिलने पर 21 मार्च को ईडी ने गिरफ्तार कर लिया था। सुप्रीम कोर्ट में अंतरिम जमानत का विरोध करते हुए ईडी ने कहा था कि चुनाव के लिए प्रचार करने का अधिकार न तो मौलिक है, न ही संवैधानिक अधिकार। यहां तक कि ये कानूनी अधिकार भी नहीं है। सुप्रीम कोर्ट 2017 में चुनाव आयोग बनाम मुख्तार अंसारी के मामले में ये फैसला दे चुका है।
सुनवाई के दौरान ईडी की ओर से पेश एएसजी एसवी राजू ने कोर्ट को बताया कि जब आबकारी नीति से जुड़े घोटाले की जांच शुरू हुई थी, तब केजरीवाल की भूमिका की जांच नहीं हो रही थी। जैसे-जैसे जांच आगे बढ़ी तो उनकी भूमिका सामने आई। जस्टिस खन्ना ने कहा था कि यह एक असाधारण स्थिति है। चुनाव चल रहा है और एक मुख्यमंत्री जेल में है। यह सामान्य मामला नहीं है। जस्टिस खन्ना ने कहा था कि हम अंतरिम जमानत पर सुनवाई इसलिए नहीं कर रहे कि केजरीवाल राजनेता हैं बल्कि प्रत्येक व्यक्ति के लिए कुछ विशेष और असाधारण परिस्थिति हो सकती है। हम यह देखने की कोशिश कर रहे हैं कि केजरीवाल के लिए चुनाव ऐसी असाधारण स्थिति है क्या।
सुप्रीम कोर्ट ने 15 अप्रैल को केजरीवाल की याचिका पर ईडी को नोटिस जारी किया था। केजरीवाल ने दिल्ली हाई कोर्ट के फैसले को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी है। इससे पहले 9 अप्रैल को दिल्ली हाई कोर्ट की जस्टिस स्वर्णकांता शर्मा की अध्यक्षता वाली बेंच ने गिरफ्तारी को चुनौती देने वाली अरविंद केजरीवाल की याचिका खारिज कर दी थी।