टी-20 वर्ल्ड कप में बड़ा उलटफेर, जिम्बाब्वे ने वर्ल्ड चैंपियन पाकिस्तान को एक रन से चखाया मजा

क्वालिफायर से सुपर-12 में प्रवेश पाने वाली जिम्बाब्वे ने ऑस्ट्रेलिया में चल रहे टी-20 वर्ल्ड कप में सबसे बड़ा उलटफेर किया है। उसने 2009 की वर्ल्ड चैंपियन पाकिस्तान को एक रन से हराया। जिम्बाब्वे की इस जीत में सबसे बड़ा हाथ पूर्व भारतीय कोच लालचंद राजपूत का है।

2007 में भारत को वर्ल्ड चैंपियन बनाने वाले राजपूत ने ही थकी-हारी जिम्बाब्वे टीम में नई जान फूंकी है। 4 साल पहले यह टीम 2019 के वनडे वर्ल्ड कप के लिए क्वालिफाई भी नहीं कर सकी थी। राजपूत 2018 में जिम्बाब्वे टीम के हेड कोच बने थे।

आज की स्टोरी में हम जानेंगे कि एक जमाने में दमदार टीम बनती जा रही जिम्बाब्वे अचानक रसातल में कैसे चली गई और एक भारतीय की मदद से यह फिर से पुराने रुतबे को कैसे हासिल करने में जुटी है।

सबसे पहले वो चौकाने वाली जीत…

पर्थ का मैदान…पाक-जिम्बाब्वे के लाखों दर्शक अपनी-अपनी पसंदीदा टीम को चियर कर रहे थे। इस मुकाबले के रिजल्ट ने क्रिकेट जगत को चौंका दिया। 27 अक्टूबर को खेले इस मुकाबले में जिम्बाब्वे ने पाकिस्तान को एक रन से शिकस्त दी। उसने पहले खेलते हुए 20 ओवर में 8 विकेट पर 130 रन बनाए। जवाब में पाक बल्लेबाज 8 विकेट पर 129 रन ही बना सके। इस हार के साथ पाकिस्तान सेमीफाइनल की होड़ से करीब-करीब बाहर हो गया है।

लालचंद राजपूत ने किया टीम का कायापलट
जिम्बाब्वे की टीम के कायापलट में पूर्व भारतीय कोच लालचंद राजपूत का हाथ है। ये वही कोच हैं जिन्होंने टीम इंडिया को 2007 में वर्ल्ड चैंपियन बनाया था। राजपूत 2018 में जिम्बाब्वे की टीम के कोच बने थे। तब टीम औसत से भी कम थी।

अपनी टीम की जीत पर राजपूत कहते हैं कि टीम अब अच्छी बन गई है। जब मैं जुड़ा था तब टीम काफी कमजोर थी और प्रदर्शन निराशाजनक था। हम (2019) वर्ल्ड कप के लिए भी क्वालिफाई भी नहीं कर पाए थे। फिर हमने काफी मेहनत की। टीम में युवा खिलाड़ी आए हैं और सीनियर खिलाड़ी भी मौजूद हैं। तो दोनों का मिश्रण काफी अच्छा है। हमारी गेंदबाजी अच्छी हो गई है और हमने फील्डिंग पर भी काम किया है। पाकिस्तान के खिलाफ आपने देखा कि हमारी फील्डिंग और बालिंग कितनी शानदार थी और इसकी वजह से ही हमने मैच जीता।

एंडी फ्लावर-ग्रांट फ्लावर जैसे खिलाड़ी थे
2003 वर्ल्ड कप से पहले तक टीम जिम्बाब्वे अच्छी मानी जाती थी। उसके पास एंडी फ्लावर, ग्रांट फ्लावर जैसे खिलाड़ी थी। पहले नील जॉनसन, मरे गुडविन, पॉल स्ट्रैंग, हेनरी ओलोंगा और हीथ स्ट्रीक भी टीम का हिस्सा रह चुके हैं। टीम ने कई अहम जीत भी हासिल की हैं। 1999 और 2003 के वनडे वर्ल्ड कप में टीम सुपर सिक्स में पहुंची थी। हालांकि, टीम कम रन रेट के कारण 1999 वर्ल्ड कप सेमीफाइनल में हिस्सा बनाते-बनाते रह गई थी।

इस पर कोच कहते हैं तब खिलाड़ी अच्छे थे। इस कारण टीम बड़ी टीमों को टक्कर दे देती थी।

..और गिरता गया प्रदर्शन
2004 से 2007 के बीच बड़े खिलाड़ियों के जाने के बाद टीम का प्रदर्शन गिरता गया। वहां का क्रिकेट बद से बदतर हो गया। 2019 वर्ल्ड कप के लिए क्वालिफाई नहीं कर पाने के कारण सरकार ने वहां के क्रिकेट बोर्ड को निलंबित कर दिया और अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट परिषद (ICC) ने जिंबाब्वे को अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट से 6 महीने के लिए निलंबित भी कर दिया।

पाकिस्तान की जीत गेंम चेंजर होगी
कोच कहते हैं, ‘मेरा टारगेट टीम को सुपर-12 के लिए क्वालिफाई करना था। अब जो मिल रहा है वह उम्मीद से बेहतर है। हां, मैं इतना जरूर कहूंगा कि पाकिस्तान के खिलाफ मिली जीत जिम्बाब्वे के क्रिकेट के लिए गेम चेंजर साबित होगी।’

भारतीय ने किया जिम्बाब्वे का कायापलट:लालचंद राजपूत ने टीम में जान फूंकी, पाक को हराया अब सेमीफाइनल पर नजर
पर्थ43 मिनट पहले

क्वालिफायर से सुपर-12 में प्रवेश पाने वाली जिम्बाब्वे ने ऑस्ट्रेलिया में चल रहे टी-20 वर्ल्ड कप में सबसे बड़ा उलटफेर किया है। उसने 2009 की वर्ल्ड चैंपियन पाकिस्तान को एक रन से हराया। जिम्बाब्वे की इस जीत में सबसे बड़ा हाथ पूर्व भारतीय कोच लालचंद राजपूत का है।

2007 में भारत को वर्ल्ड चैंपियन बनाने वाले राजपूत ने ही थकी-हारी जिम्बाब्वे टीम में नई जान फूंकी है। 4 साल पहले यह टीम 2019 के वनडे वर्ल्ड कप के लिए क्वालिफाई भी नहीं कर सकी थी। राजपूत 2018 में जिम्बाब्वे टीम के हेड कोच बने थे।

आज की स्टोरी में हम जानेंगे कि एक जमाने में दमदार टीम बनती जा रही जिम्बाब्वे अचानक रसातल में कैसे चली गई और एक भारतीय की मदद से यह फिर से पुराने रुतबे को कैसे हासिल करने में जुटी है।

सबसे पहले वो चौकाने वाली जीत…

पर्थ का मैदान…पाक-जिम्बाब्वे के लाखों दर्शक अपनी-अपनी पसंदीदा टीम को चियर कर रहे थे। इस मुकाबले के रिजल्ट ने क्रिकेट जगत को चौंका दिया। 27 अक्टूबर को खेले इस मुकाबले में जिम्बाब्वे ने पाकिस्तान को एक रन से शिकस्त दी। उसने पहले खेलते हुए 20 ओवर में 8 विकेट पर 130 रन बनाए। जवाब में पाक बल्लेबाज 8 विकेट पर 129 रन ही बना सके। इस हार के साथ पाकिस्तान सेमीफाइनल की होड़ से करीब-करीब बाहर हो गया है।

जीत की तस्वीर…सिकंदर रजा प्लेयर ऑफ द मैच रहे थे। उन्होंने 3 विकेट चटकाए।
जीत की तस्वीर…सिकंदर रजा प्लेयर ऑफ द मैच रहे थे। उन्होंने 3 विकेट चटकाए।
लालचंद राजपूत ने किया टीम का कायापलट
जिम्बाब्वे की टीम के कायापलट में पूर्व भारतीय कोच लालचंद राजपूत का हाथ है। ये वही कोच हैं जिन्होंने टीम इंडिया को 2007 में वर्ल्ड चैंपियन बनाया था। राजपूत 2018 में जिम्बाब्वे की टीम के कोच बने थे। तब टीम औसत से भी कम थी।

अपनी टीम की जीत पर राजपूत कहते हैं कि टीम अब अच्छी बन गई है। जब मैं जुड़ा था तब टीम काफी कमजोर थी और प्रदर्शन निराशाजनक था। हम (2019) वर्ल्ड कप के लिए भी क्वालिफाई भी नहीं कर पाए थे। फिर हमने काफी मेहनत की। टीम में युवा खिलाड़ी आए हैं और सीनियर खिलाड़ी भी मौजूद हैं। तो दोनों का मिश्रण काफी अच्छा है। हमारी गेंदबाजी अच्छी हो गई है और हमने फील्डिंग पर भी काम किया है। पाकिस्तान के खिलाफ आपने देखा कि हमारी फील्डिंग और बालिंग कितनी शानदार थी और इसकी वजह से ही हमने मैच जीता।

राजपूत ने कहा- ‘भारतीय टीम के साथ उस वक्त काम करने का अनुभव काम तो आया ही है। हमने टीम के खिलाड़ियों को उसी तरह से तैयार किया, लेकिन मैदान पर खिलाड़ियों को अपना सौ प्रतिशत देना होता है। हम लोग टीम को मानसिक तौर पर बेहतर बना सकते हैं और विपक्षी टीम के खिलाफ प्लानिंग बना सकते हैं, जिससे टीम को मदद मिलती है।’

अर्श से फर्श और फर्श से अर्श तक की कहानी…

एंडी फ्लावर-ग्रांट फ्लावर जैसे खिलाड़ी थे

2003 वर्ल्ड कप से पहले तक टीम जिम्बाब्वे अच्छी मानी जाती थी। उसके पास एंडी फ्लावर, ग्रांट फ्लावर जैसे खिलाड़ी थी। पहले नील जॉनसन, मरे गुडविन, पॉल स्ट्रैंग, हेनरी ओलोंगा और हीथ स्ट्रीक भी टीम का हिस्सा रह चुके हैं। टीम ने कई अहम जीत भी हासिल की हैं। 1999 और 2003 के वनडे वर्ल्ड कप में टीम सुपर सिक्स में पहुंची थी। हालांकि, टीम कम रन रेट के कारण 1999 वर्ल्ड कप सेमीफाइनल में हिस्सा बनाते-बनाते रह गई थी।

2003 के वर्ल्ड कप में जिम्बाब्वे के आखिरी सुपर-8 मुकाबले में एंडी फ्लावर ने 38 रन बनाए थे। हालांकि टीम वह मैच श्रीलंका से 74 रन से हार गई थी। उसके बाद भी सुपर-6 में जगह बनाने में कामयाब रही थी। टीम छठवें नंबर पर रही थी।
2003 के वर्ल्ड कप में जिम्बाब्वे के आखिरी सुपर-8 मुकाबले में एंडी फ्लावर ने 38 रन बनाए थे। हालांकि टीम वह मैच श्रीलंका से 74 रन से हार गई थी। उसके बाद भी सुपर-6 में जगह बनाने में कामयाब रही थी। टीम छठवें नंबर पर रही थी।
इस पर कोच कहते हैं तब खिलाड़ी अच्छे थे। इस कारण टीम बड़ी टीमों को टक्कर दे देती थी।

यह तस्वीर 1999 वर्ल्ड कप में जिम्बाब्वे के आखिरी सुपर-8 मुकाबले की है। तब टीम पाकिस्तान से 148 रन से हारी थी और -0.266 के रन रेट के कारण सेमीफाइनल में प्रवेश करने से चूक गई थी।
यह तस्वीर 1999 वर्ल्ड कप में जिम्बाब्वे के आखिरी सुपर-8 मुकाबले की है। तब टी
म पाकिस्तान से 148 रन से हारी थी और -0.266 के रन रेट के कारण सेमीफाइनल में प्रवेश करने से चूक गई थी।
…और गिरता गया प्रदर्शन
2004 से 2007 के बीच बड़े खिलाड़ियों के जाने के बाद टीम का प्रदर्शन गिरता गया। वहां का क्रिकेट बद से बदतर हो गया। 2019 वर्ल्ड कप के लिए क्वालिफाई नहीं कर पाने के कारण सरकार ने वहां के क्रिकेट बोर्ड को निलंबित कर दिया और अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट परिषद (ICC) ने जिंबाब्वे को अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट से 6 महीने के लिए निलंबित भी कर दिया।

पाकिस्तान की जीत गेंम चेंजर होगी

कोच कहते हैं, ‘मेरा टारगेट टीम को सुपर-12 के लिए क्वालिफाई करना था। अब जो मिल रहा है वह उम्मीद से बेहतर है। हां, मैं इतना जरूर कहूंगा कि पाकिस्तान के खिलाफ मिली जीत जिम्बाब्वे के क्रिकेट के लिए गेम चेंजर साबित होगी।’

सेमीफाइनल में भारत पहुंचा तो किससे होगी भिड़ंत:जानिए ग्रुप-1 का पूरा समीकरण, टॉप-4 टीमों के 3-3 अंक

शुक्रवार के मुकाबले बारिश की भेंट चढ़ने के बाद ग्रुप-1 की 6 में से 4 टीमें न्यूजीलैंड, ऑस्ट्रेलिया, इंग्लैंड और आयरलैंड 3-3 पॉइंट पर अटकी हुई हैं। इससे ग्रुप में कॉम्पिटिशन बढ़ गया है। भारतीय टीम अगर टूर्नामेंट के सेमीफाइनल में पहुंचती है, तो इन्हीं में से किसी एक के साथ भिड़ंत हो सकती है। हम इस स्टोरी में जानेंगे कि ग्रुप-1 में टॉप-2 पोजीशन पर रहने के लिए टीमों को आगे क्या करना होगा।

विराट कोहली आउट ऑफ फॉर्म हैं…उन्हें टीम से ड्रॉप कर दिया जाना चाहिए…भारतीय टीम में उनकी जगह नहीं बनती …। ये कुछ ऐसे स्टेटमेंट हैं जो दो महीने पहले तक सुर्खियों में बने हुए थे। इनके पीछे ठोस वजह भी थी। विराट करीब तीन साल कोई शतक नहीं जमा पाए थे। उनके शॉट बेजान साबित हो रहे थे और औसत-स्ट्राइक रेट में लगातार गिरावट आ रही थी। तभी शुरू होता है एशिया कप। यहां से विराट की किस्मत ने पलटी मारी।

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