बिहार का ओल्ड चंपारण मीट हाउस पूरे देश में सुर्खियां बटोर रहा

गोपाल कुमार खुशवाहा बिहार में एक जाना-पहचाना नाम है और वो भी इसलिए क्योंकि उनका ओल्ड चंपारण मीट हाउस पूरे देश में सुर्खियां बटोर रहा है। 2014 से शुरू हुआ सफर कई मायनों में खास है लेकिन सही प्लेटफार्म न मिलने की वजह से गोपाल के हौंसले पस्त होते दिखाई दे रहे हैं। गोपाल को पूरे देश में हांडी मटन और अहुना मटन के लिए जाना जाता है। लेकिन गोपाल ने हाल ही के वर्षों में अपना बीएमएच मैजिक मीट मसाला शुरू किया, जिसको लोगों के बीच काफी पसंद किया जा रहा है। आइए जानते हैं क्यों खास है पटना का आउटलेट ‘ओल्ड चंपारण मीट हाउस’ और ये बीएमएस मैजिक मसाला।

ओल्ड चंपारण मीट हाउस के संस्थापक गोपाल कुमार कुशवाह ने बताया हमारे आउटलेट का नाम ओल्ड चंपारण मीट हाउस है और हम बीएमएच मैजिक मसाला भी ऑनलाइन बेचते हैं। उन्होंने बताया की अगर आप पूरे भारत में इस तरह का व्यापार करते हैं जैसे मटन, चिकन बनाने वाली दुकानें और उनके पास यह मसाला होगा तो इस मसाले को हांडी मटन, मछली या फिर चिकन बनाते वक्त उसमें डालने भर से बेहद स्वादिष्ट और हेल्दी बनाया जा सकता है।

उन्होंने बताया की जिस तरह से मैगी मसाला को बनाया जाता है ठीक उसी तरह से इस मसाले को भी तैयार किया गया है।गोपाल ने बताया की इस मसाले में घर के किसी दूसरे मसाले को मिलाने की जरूरत नहीं पड़ती है। हां अगर घर में कुटा हुआ मसाला है तो आप जरूर प्रयोग कर सकते हैं लेकिन बाजार में मिलने वाले मसाले में मिलावट होती है जिस वजह से वह स्वाद नहीं आ पाता।

उन्होंने बताया जो हमारे हाथों की रेसिपी है अगर आप उसका प्रयोग करते हैं तो आपको कम से कम 80 फीसदी शुद्धता मिल जाएगी । ऐसा इसलिए है क्योंकि जिस तापमान पर हम उन मसालों को पका रहे हैं उससे इसमें शुद्धता बनी रहती है।

गोपाल ने बताया कि हर मसाले के पैकेट पर उस में डाली जाने वाली चीजें पहले से ही लिख दी जाती है, इसके बाद ही उसे लाइसेंस मिलता है।

गोपाल ने बताया कि हमने 26 तरह के मसालों को मिलाकर यह एक मसाला तैयार किया है। उनमें से कुछ है हल्दी, लाल मिर्च, काली मिर्च, तेजपत्ता, छोटी इलायची, बड़ी इलाइची, लौंग, जावित्री अजवाइन जैसे मसाले का इस्तेमाल किया गया है।उन्होंने कहा कि कोई भी काम अगर आप दिल से ना करें तो उसे बिल्कुल भी नहीं करना चाहिए। हम शुरू से ही यही चाहते थे कि चार आदमी हम लोगों को जानें। हम कुछ ऐसा काम करना चाहते थे ताकि लोग हमें जाने और इसलिए मैंने यह काम शुरू किया।

उन्होंने कहा कि मैंने देश के लोगों को यह रेसिपी सिखाई। ऑनलाइन, ऑफलाइन दोनों तरीकों से लोगों को यह रेसिपी सिखाई। आज मैं लोगों को व्हाट्सएप पर इसकी ट्रेनिंग भी देता हूं। हमने 2014 में ओल्ड चंपारण मीट हाउस की नींव रखी थी और 2016 में पहला वीडियो अपलोड करके यह जानकारी लोगों तक पहुंचाई। दूरदर्शन पर 8 एपिसोड में यह रेसिपी मैंने लोगों सिखाई। उन्होंने 42 देशों को यह वीडियो भेजा। मैंने लोगों से यह कहता हूं कि ज्ञान, विज्ञान और पकवान जितना बांटोगे यह उतना बढ़ेगा और घटेगा तो बिल्कुल नहीं।

उन्होंने कहा कि हांडी में मटन पकाने का एक फायदा और भी है और जिसे विज्ञान भी मानता है कि हांडी का पीएच लेवल और अल्काइन लेवल संतुलित होता है। नेपाल में बनाया जाने वाला हांडी मटन दरअसल खुली हांडी में पकाया जाता है जबकि मोतिहारी में हांडी को बंद कर मटन पकाया जाता है। लेकिन हमने जब हांडी में मटन पकाना शुरू किया तो हमने हांडी के चारों तरफ आटे की लोई और ऊपर छोटा छेद कर दिया।

गोपाल ने बताया कि होता क्या है कि जब आप इस तरह से मटन को पकाते हैं तो हांडी उस क्षेत्र से ऑक्सीजन लेना शुरू कर देती है और जब मटन पकता है तो हांडी के ढक्कन पर ओंस की बूंदे जमना शुरू हो जाती हैं और जब वह पिघलती है तो पीएच लेवल और अल्काइन जैसे 12 मिनरल्स मटन में बढ़ जाते हैं लेकिन ऐसा सिर्फ धीमी आंच पर पकाने में होता है।

गोपाल ने बताया कि उन्होंने हांडी मटन को ना सिर्फ राष्ट्रीय स्तर पर बल्कि अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भी पहचान दिलाई है। उन्होंने कहा कि इस बाबत उन्हें अमेरिका से भी बुलावा आया था। जहां मुझे रेसिपी शेयर करने के लिए पैसे की पेशकश की गई थी लेकिन मैंने कहा कि यह विद्या है और आप चाहे तो ऑनलाइन रेसिपी बनाना भी सीख सकते हैं।

गोपाल ने बताया कि इस काम की शुरुआत उन्होंने बाहर देशों की कंपनियां या कैसे व्यापार कर रही हैं उसे देखकर ही शुरू किया। उन्होंने कहा कि मैं एक मशीन बनाई जिसमें आप आप मटन को डाल दीजिए और मटन खुद बनता रहेगा। इसके अलावा हांडी मटन जिसे हाथ से बार-बार हिलाना होता है। मैंने सब तरीके की मशीन तैयार करके रखी हुई है लेकिन जब तक सरकार की तरफ से मदद नहीं मिलेगी तब तक आप किसी सपने को आधार नहीं दे सकते हैं।

गोपाल ने कहा कि केंद्र सरकार ने भले ही कोई व्यवस्था कर रखी हो लेकिन जब तक आपके पास जमीन नहीं होगी तब तक आप कैसे किसी काम की शुरुआत कर सकते हैं। मैंने सरकार से यही कहा था कि मेरे पास 50 तरह की डिश है और मैं उन्हें एक प्लेटफार्म पर लाने के लिए एक जगह चाहता हूं। मैंने कहा था कि मुझे छोटी सी जगह दीजिए जहां मैं उस तरह की चीजों को रख सकूं।

उन्होंने बताया कि मैं 10 तरीके के मटन तैयार कर सकता हूं और जब बात वेज और नॉनवेज की हो तो मैं ढेर सारी डिश तैयार कर सकता हूं उसके लिए मुझे एक प्लेटफार्म की जरूरत होगी।

गोपाल ने कहा कि जो कुछ प्रमुख डिश हैं वह है अहुना मटन, बंबू मटन, जिसमें बांस मटन को बनाने के लिए मैंने बांस को ही प्रेशर कुकर में ही बदल दिया और उसके अंदर ही ग्रेवी तैयार कर दी। उन्होंने कहा कि मैंने हर चीज की फिजिक्स-केमिस्ट्री देखते हुए वह काम किया ताकि किसी भी चीज में कोई अनहेल्दी गुण ना हो।

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