नई दिल्ली.अगले लोकसभा चुनाव में कांग्रेस की रणनीति जहां 250-275 सीटों पर लड़ने की है, वहीं भाजपा ने 450 से 480 सीटों पर चुनाव लड़ने का लक्ष्य तय किया है। पार्टी हाईकमान का स्पष्ट निर्देश है कि ‘भाजपा कहीं भी टीम ‘बी’ बन कर नहीं लड़ेगी। यानी जहां गठबंधन की सरकार है, वहां भी भाजपा गठबंधन पार्टी से ज्यादा या बराबर सीटों पर लड़ेगी। पार्टी कार्यकर्ता इसी सोच के साथ लोकसभा चुनाव की तैयारी करें।’
भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह ने भी पार्टी पदाधिकारियों के साथ हाल ही में हुई बैठक में स्पष्ट किया है कि 450 से 480 सीटों पर चुनाव लड़ा जाना है। पिछले हफ्ते महाराष्ट्र प्रवास के दौरान भी शाह ने पदाधिकारियों के साथ बैठक में प्रदेश की सभी 48 सीटों पर चुनाव लड़ने के लिए तैयार रहने का निर्देश दिया था। भाजपा के एक रणनीतिकार ने बताया कि 50 सीटें बढ़ाने की संभावना पार्टी महाराष्ट्र, पंजाब, आंध्रप्रदेश और तमिलनाडु में देख रही है।
2014 में 428 सीटों पर लड़ी थी चुनाव:2014 में भाजपा ने अब तक की सर्वाधिक 428 सीटों पर उम्मीदवार उतारे थे। तब उसे 282 सीटों पर जीत मिली थी। 2019 में भाजपा का दक्षिण के राज्य तमिलनाडु पर विशेष फोकस होगा। यहां एआईएडीएमके की नेता जयललिता के निधन के बाद उनकी पार्टी कमजोर हुई है। भाजपा इसका फायदा उठाना चाह रही है। यह भी कयास हैं कि तमिलनाडु, केरल, कर्नाटक, तेलंगाना, आंध्रप्रदेश, ओडिशा, पश्चिम बंगाल में शायद ही किसी पार्टी से भाजपा चुनाव पूर्व गठबंधन करे। इन राज्यों की करीब-करीब सभी सीटों पर चुनाव लड़ने की रणनीति तैयार की जा रही है।
गठबंधन वाले इन पांच राज्यों में सीटें बढ़ाना चुनौती
पंजाब: 2014 में पंजाब की 13 में से 3 सीटों पर भाजपा लड़ी थी। ये सीटें अमृतसर, होशियारपुर, गुरदासपुर थी। अब पार्टी आनंदपुर साहिब, जालंधर, लुधियाना सीटों पर भी दावे का मन बना रही है।
उत्तर प्रदेश: सुहेलदेव भारतीय समाज पार्टी के नेता और योगी सरकार में मंत्री ओम प्रकाश राजभर ने भाजपा के खिलाफ मोर्चा खोल दिया है। वहीं अपना दल में दो गुट होने से भी भाजपा को स्थिति मुफीद नहीं लग रही।
बिहार: यहां लोक जनशक्ति पार्टी नेता रामविलास पासवान तो अपनी सीटों को लेकर आश्वस्त हैं, लेकिन राष्ट्रीय लोक समता पार्टी के नेता उपेन्द्र कुशवाहा दबाव बना रहे हैं। कुशवाहा को यदि तीन से कम सीटें मिलती हैं तो वे गठबंधन छोड़ सकते हैं। वहीं भाजपा कम से कम यहां 20 सीट पर चुनाव लड़ना चाहती है। बाकी 20 सीट जेडीयू, एलजेपी और आरएलएसपी को देना चाहती है।
महाराष्ट्र:भाजपा ने यहां अकेले चुनाव लड़ने की बात कह दी है। भाजपा और शिवसेना का गठबंधन विधानसभा चुनाव के वक्त ही टूट चुका था। मगर चुनाव बाद दोनों दल साथ आ गए। अब फिर दोनों अलग-अलग चुनाव लड़ने की बात कह चुके हैं।
आंध्रप्रदेश:विशेष राज्य के मुद्दे पर टीडीपी ने भाजपा का साथ छोड़ा। अब यहां भाजपा अकेले चुनाव लड़ेगी। भाजपा ने यहां संगठन को मजबूत करना शुरू कर दिया है। राष्ट्रीय महासचिव राम माधव को प्रभारी के तौर पर तैनात किया है। चुनाव बाद वाईएसआर कांग्रेस से गठबंधन भी हो सकता है।
अकेले चुनाव लड़ने की रणनीति:पार्टी अधिक से अधिक सीटों पर लड़ने और अपने दम पर बहुमत हासिल करने की रणनीति पर काम कर रही है। सहयोगी दलों के साथ सम्मानजनक समझौता करेंगे। एनडीए के घटक दलों की संख्या भी कम न हो, यह भी प्रयास किया जा रहा है।’
– अरुण सिंह, राष्ट्रीय महासचिव, भाजपा