पश्चिम बंगाल के पूर्व मंत्री पार्थ चटर्जी के खिलाफ प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने बड़ा खुलासा किया है। ईडी ने दावा किया है कि पार्थ ने अपनी मृत पत्नी के नाम पर बने ट्रस्ट के माध्यम से काला धन सफेद किया। इस ट्रस्ट के जरिए कोलकाता के पाटुली इलाके में करोड़ों रुपये की संपत्ति खरीदी गई।
ईडी ने शिक्षक भर्ती घोटाले के मामले में कोलकाता की विशेष अदालत में पांचवा पूरक आरोपपत्र दाखिल करते हुए कहा कि पार्थ के दामाद कल्याणमय भट्टाचार्य ने खुद स्वीकार किया है कि यह संपत्ति पार्थ के नकद पैसों से खरीदी गई थी।
मृत पत्नी के नाम पर खरीद ली जमीन
जांच में खुलासा हुआ है कि जून 2019 में 1.17 करोड़ नकद देकर ट्रस्ट के नाम पर 18 कट्ठा जमीन खरीदी गई। इस धनराशि को पार्थ के नाकतला स्थित आवास से एकत्र किया गया था। दामाद ने बयान में बताया कि पार्थ ने उन्हें भरोसा दिलाया था कि यह जमीन उनकी मृत पत्नी बबली चटर्जी के नाम पर अस्पताल बनाने के लिए खरीदी जा रही है।
ईडी के अनुसार, ट्रस्ट की बैंकिंग और अन्य वित्तीय लेनदेन को पार्थ के करीबी सहयोगी संभालते थे। जांचकर्ताओं का आरोप है कि पार्थ ने अपने दामाद को इस्तेमाल कर काले धन को सफेद किया और उन पर नजर रखने के लिए अपने भरोसेमंद लोगों को तैनात किया।
कल्याणमय ने यह भी बताया कि ट्रस्ट को अलग-अलग दाताओं से चेक के माध्यम से धन प्राप्त हुआ। हालांकि, उन्होंने इन दाताओं के अस्तित्व के बारे में अनभिज्ञता जाहिर की, जिससे इन लेनदेन की पारदर्शिता पर सवाल उठे हैं।
ईडी के सामने दामाद ने खोली पार्थ की पोल
ईडी का कहना है कि मार्च 2024 में पार्थ के दामाद कल्याणमय ने स्वेच्छा से अपना बयान दिया और यह भी स्पष्ट किया कि उन्होंने किसी दबाव में आकर बयान नहीं दिया। ईडी ने इस बयान को अदालत में सबूत के तौर पर पेश करने का निर्णय लिया है।
जांच के दौरान यह भी सामने आया है कि पार्थ चटर्जी ने ट्रस्ट के माध्यम से काले धन को सफेद करने के लिए एक संगठित योजना बनाई थी। यह घोटाला परोपकार के नाम पर चलाया जा रहा था, लेकिन इसके पीछे अवैध गतिविधियों का जाल था।