मंडप में दूल्हा किया कुछ ऐसा कि वरमाला फेंक बोली दुल्हन- कुंवारी मर जाऊं लेकिन..

आज के समय में लड़कियां काफी निडर हो चुकी हैं. सच्चाई का पक्ष लेने की खातिर वह बड़ी से बड़ी कुर्बानी देने से भी पीछे नहीं हटती. भले वह फैसला उनकी पूरी जिंदगी से ही क्यूँ ना जुड़ा हो. कुछ ऐसा ही मामला हाल ही में हमारे सामने आया है. जहाँ पटना की रहने वाली एक लड़की ने बुराई का विरोध करने के लिए एक ऐसा कदम उठाया, जिससे उसकी पूरी दुनिया ही बदल गई. दरअसल, यह पूरा मामला एक किसान परिवार की बेटी निभा कुमारी का है. निभा मधुबनी जिले के खुटौना प्रखंड की रहने वाली है.

निभा ने नशे के खिलाफ एक ऐसा अहम फैसला लिया, जिससे उसके पूरे परिवार के होश उड़ गए. मिली जानकारी के अनुसार निभा की शादी मधुबनी के ही एक गांव में रहने वाले रंजीत कुमार कामत के साथ तय हुई थी. शादी के कारण घर में चारों तरफ खुशियां ही खुशियां फैली हुई थी और सभी नाच-गाकर अपनी खुशी की सीमा बयां कर रहे थे. वहीं दूसरी ओर बराती नशे में धुत शादी का मजा लूट रहे थे. दूल्हा भी अपने मामा के साथ लगातार शराब पीने में व्यस्त था. अपने शराबी पति को देखकर निभा गुस्से से आग बबूला हो गई. हद तो तब हो गई जब दूल्हे ने मंडप पर ही मामा से बीयर की डिमांड कर दी यह सुनते ही निभा ने शादी के लिए साफ इनकार कर दिया.

निभा के शादी से इंकार करने पर वहां मौजूद सभी लोग दंग रह गए. सब के सवालों का जवाब देते हुए निभा ने बताया कि वह कुंवारी रहना पसंद करेगी लेकिन पियक्कड़ से शादी हरगिज़ नहीं करेगी. इतना कहते ही उसने अपनी वरमाला गले से उतार कर फेंक दी. विभाग द्वारा इस फैसले को देखकर वहां मौजूद सभी लोग हैरान थे. हालांकि सभी लोगों ने निभा को शादी ना तोड़ने के लिए कहा लेकिन वह अपनी जिद पर कायम रही. शादी के इस अहम रिश्ते को तोड़ते हुए उस वक्त ना तो निभा को कमजोर आर्थिक स्थिति का एहसास हुआ और ना ही लोगों द्वारा उठाए जाने वाले सवालों का.

निभा द्वारा इस कदम को उठाने के बाद उसकी हिम्मत और हौसला देखकर गांव की सभी महिलाओं एवं लड़कियों ने उसको सराहा. सभी गांव वालों ने यह फैसला लिया कि वह अपनी जिंदगी में नशे को नहीं आने देंगे. गांव की औरतों को इस बात की खुशी थी कि नशे के खिलाफ पहली बार एक औरत ने आवाज उठाई है. निभा की इस हिम्मत को देखकर उसकी चर्चा पूरे इलाके में होने लगी तभी गांव के एक शख्स सुधाकर कामत ने उसे शादी का प्रस्ताव रखा और दोनों की राजी खुशी शादी करवा दी गई.

निभा जैसी लड़कियां हमारे भारत देश का गर्व है. अगर बाकी लड़कियां भी निभा की तरह नशे और दहेज़ के खिलाफ आवाज़ उठाने सीख लेंगी तो वो दिन दूर नहीं जब हमारा भारत देश बुराईयों से कौसों दूर होगा. क्यूंकि जिस तरह से दहेज़ एक बुराई है, ठीक उसी तरह से नशा भी एक ऐसी बुराई है जो धीरे धीरे इंसान को अंदर से खोखला कर देता है और उसको रिश्तों का एहसास भुला देता है.

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