दिल्ली के राऊज एवेन्यू कोर्ट ने गुरुवार को महिला पहलवानों के यौन शोषण मामले में भारतीय कुश्ती संघ के पूर्व अध्यक्ष और भाजपा सांसद बृजभूषण शरण सिंह के खिलाफ आरोप तय करने के मामले पर फैसला सुरक्षित रख लिया है। एडिशनल मेट्रोपोलिटन मजिस्ट्रेट प्रियंका राजपूत ने सभी पक्षों की दलीलें सुनने के बाद 18 अप्रैल को फैसला सुनाने का आदेश दिया।
दिल्ली पुलिस की ओर से 27 फरवरी को कहा गया था कि अगर हम चाहते तो छह अलग-अलग एफआईआर दर्ज कर सकते थे लेकिन इससे ट्रायल में देरी होती। इसका विरोध करते हुए बृजभूषण भूषण शरण सिंह के वकील ने कहा था कि अगर आरोपों में निरंतरता नहीं है तो अलग-अलग आरोपों में एक एफआईआर दर्ज नहीं हो सकती। बृजभूषण शरण सिंह की ओर से इस मामले में आरोप मुक्त करने की मांग की गई थी। बृजभूषण की तरफ से कहा गया था कि अपराध की सूचना देने में काफी देरी की गई। उन्होंने कहा था कि शिकायतकर्ता के बयानों में काफी विरोधाभास है।
बृजभूषण शरण सिंह की ओर से कहा गया कि विदेश में हुई घटना का क्षेत्राधिकार इस अदालत के पास नहीं है। विदेश में हुई घटना इस कोर्ट के क्षेत्राधिकार में नहीं आती है। उन्होंने कहा था कि देश के बाहर हुए अपराध के ट्रायल का क्षेत्राधिकार इस अदालत के पास नहीं है, क्योंकि अपराध देश और उसके बाहर भी हुआ है। ऐसे में मुकदमा चलाने के लिए संबंधित अथॉरिटी से इजाजत लेनी होती है।
दिल्ली पुलिस ने 6 जनवरी को सुनवाई के दौरान कहा था कि इस मामले का क्षेत्राधिकार इसी कोर्ट का बनता है। इसके पहले दिल्ली पुलिस ने बृजभूषण शरण सिंह पर आरोप लगाया था कि उसने महिला पहलवानों को धमकाते हुए मुंह बंद रखने को कहा था। दिल्ली पुलिस ने एक पुरुष पहलवान के बयान का हवाला देते हुए कहा था कि इस मामले के सह आरोपित विनोद तोमर के दफ्तर में केवल महिलाओं को ही प्रवेश करने की इजाजत थी।
कोर्ट ने 20 जुलाई, 2023 को बृजभूषण शरण सिंह और विनोद तोमर को जमानत दी थी। इससे पहले 7 जुलाई 2023, को कोर्ट ने दिल्ली पुलिस की ओर से दाखिल चार्जशीट पर संज्ञान लिया था। दिल्ली पुलिस ने 15 जून, 2023 को राऊज एवेन्यू कोर्ट में चार्जशीट दाखिल की थी। चार्जशीट में भारतीय दंड संहिता की धारा 354, 354डी, 354ए और 506 (1) के तहत आरोप लगाए गए हैं।