कप्तान साहब! अपराधी को संरक्षण दे रहे या कर्तव्य पथ से विमुखता की ओर बढ़ रहे आपके पड़री थानेदार


० चालिस दिन पूर्व छिनैती की घटना को अंजाम देने वाले को महज आधे घंटे बाद छोड़ दिया गया
० आज तक नहीं हो सकी पीड़ित के पैसे की बरामदगी
० छिनैती के पैसे से छोटे भाई ने बड़े भाई को जेल से रिहा कराया
० सिर्फ ‘देखते हैं’ की परिभाषा बार बार पढ़ा रहे थानेदार

मिर्जापुर।
कप्तान साहब। आप हर सप्ताह क्राइम मीटिंग लेते हैं और क्राइम मीटिंग में अपने मातहत अधिकारियों को क्राइम पर नकेल कसने की नसीहत भी देते हैं, लेकिन उस नसीहत का कितना पालन हो रहा है। जरा पड़री के थानेदार से तो पूछ लीजिए कि वह अपराध और अपराधियों को लेकर कितने संजीदा हैं। जी हां, हम बात कर रहे हैं चालिस दिन पूर्व पड़री थाना क्षेत्र के चट्टर नदी पर हुए 16 हजार पांच सौ रुपए की छिनैती की घटना की। इस घटना की आपके थानेदार ने ना तो आज तक प्राथमिकी दर्ज की और ना ही संबंधित आरोपी को गिरफ्तार कर उसे बरामदगी का ही जहमत उठाया। बल्कि लोगों के बताने पर जिस अपराधी को पकड़ा उसे छोड़ने के लिए खाकी पर सफेद वर्दी भारी पड़ गई।

और अब तो आपके थानेदार पीड़ित पक्ष का मोबाइल भी उठाना उचित नहीं समझते। हां इतना जरूर है कि संबंधित अपराधी ने इस घटना में छिने गए रुपयों से अपने बड़े भाई जोकि जेल में बंद था, उसे छुड़ा लिया है। प्रतीत होता है कि पुलिस खुद एक अपराधी को छुड़ाने के लिए छोटे अपराधी पैदा करना शुरू कर चुकी हैं। कप्तान साहब! सवाल यह कि ‘अपराधी को संरक्षण दे रहे या कर्तव्य पथ से विमुखता की ओर बढ़ रहे हैं आपके पड़री थानेदार’ यह तो खुद वे ही बता सकते हैं।‌

  कप्तान साहब! अगर घटना के ठीक दूसरे दिन दबाव में आकर पकड़े गये अपराधी को आपके थानेदार न छोड़ते तो बरामदगी भी हो जाती और उसका बड़ा भाई छोटे भाई द्वारा किये गये छिनैती के पैसों से जेल से रिहा भी न होता। लेकिन उन्होंने ऐसा करने की बजाय पीड़ित पक्ष से कहा कि आप मुकदमा मत लिखाइये हम पैसे की रिकवरी कराकर देंगे। लेकिन आश्वासनों की घुट्टी पिलाते पिलाते थानेदार ने चालिस दिन का वक्त गुजार दिया। न मुकदमा लिखा, न अपराधी को छोड़ने के बाद पुनः पकड़ा और न ही पिडित के रुपये ही दिला सके। 

       उल्लेखनीय है कि बीते 18 नवंबर को सुबह पडरी थाना क्षेत्र के पुतरिहां गांव स्थित चट्टर नदी में स्नान करने गए अधेड़ को चकमा देकर उससे ₹16500 नगद छिनैती की गई थी। भुक्तभोगी ने छिनैती की सूचना स्थानीय पुलिस को दी थी। पडरी बाजार निवासी शीतला प्रसाद अग्रहरि पुत्र स्वर्गीय ढकेलू साव अग्रहरि मसाला बेचने का काम करते हैं। विगत 2 साल से वे अपनी बढ़ती हुई जमा पूंजी हमेशा अपनी सदरी में रखे रहते थे। बताया जाता है कि 18 नवंबर को सुबह लगभग 7:30 बजे अपने आवास पर यहां से स्नान करने के लिए चट्टर नदी में गए हुए थे। वह ₹16500 और अपने कमरे की चाबी अपनी  सदरी में रखे हुए थे। इस दौरान एक नवयुवक नदी के घाट पर आकर शीतला प्रसाद का चप्पल पानी में फेंक दिया। भुक्तभोगी ने बताया कि वह जैसे ही चप्पल लेने के लिए पानी मे गये। इसी बीच उक्त अज्ञात शातिर उनकी सदरी लेकर भाग निकला। 

पानी से निकलने के बाद भुक्तभोगी शीतला प्रसाद ने उक्त युवक का काफी पीछा भी किया लेकिन शातिर युवक भागने में सफल रहा। भुक्तभोगी ने पढ़री थाने पहुंचकर घटना की जानकारी देते हुए चकमा देकर छीने गए रुपए 16500 की बरामदगी करने की मांग पुलिस से की। थानाध्यक्ष का उस समय कहना था कि मामले की पड़ताल सक्रियता से की जा रही है। मामले के तह तक जल्द ही पहुँचा जाएगा। उन्होंने शिवलोक मंदिर के पास से एक शातिर अपराधी को लोगों के सुरागकशी पर उठाया और यह भी साफ हो गया कि उसी अपराधी ने घटना को अंजाम दिया है। लेकिन थानाध्यक्ष उसे दोबारा थाने पर बुलाकर रिकवरी करने की बजाय चुपचाप बैठ गये। लगभग पंद्रह दिन पूर्व पिडित पक्ष के पूछने पर बताया कि अरे वो तो उस पैसे से जेल में बंद अपने भाई को छुड़ा लिया है। विगत शनिवार को थानेदार ने फोन पर कहा कि मैं लगातार बाहर था, आज थाना दिवस पर इत्मीनान से बैठा था, अब देखता हूं। इससे तो यही प्रतीत होता है कि पंडरी पुलिस पहले अपराधी को पकड़ती है और इसके बाद अपराधी को जेल से रिहा कराने के लिए एक और अपराध कारित कराकर नया अपराधी तैयार करती है। 

 वहीं दूसरी ओर यह पता चला कि अधेड़ शीतला प्रसाद से साढ़े सोलह हजार की छिनैती करने वाला आरोपी पुलिस के पास से मुक्त होते कुछ ही दिनों बाद मुंबई भाग गया है। बताया जाता है कि पिडित का पैसा न मिलने से वह लगातार सदमे में है और कोई भी कदम उठा सकता है। पुलिसिया किंकर्तव्यविमूढ़ता से यदि उस परिवार में कोई अप्रिय घटना होती है, तो उसकी जिम्मेदारी  आखिर कौन लेगा। बहरहाल रविवार को थाना प्रभारी से बात हुई तो सब कुछ जानते हुए पहले तो अजनबियों की तरह बात किते और कुरेदने पर उनका कहना था कि हमें कर्जा थोड़े न दिये है।

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