नई दिल्ली, । आलोक वर्मा को छुट्टी पर भेजे जाने के फैसले के खिलाफ दायर याचिकाओं पर सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने सीवीसी की रिपोर्ट पर आलोक वर्मा को जवाब दाखिल करने का निर्देश दिया है। कोर्ट ने कहा कि सीवीसी की रिपोर्ट पूरक है और ये मिलीजुली है। इसलिए इस मामले में और जांच की जरूरत है।
कोर्ट ने शुक्रवार को सुनवाई के दौरान आलोक वर्मा को 19 नवंबर तक जवाब दाखिल करने का निर्देश दिया। मामले की सुनवाई 20 नवंबर को होगी। कोर्ट ने आलोक वर्मा को सीलबंद लिफाफे में ही जवाब दाखिल करने का निर्देश दिया है।
कोर्ट ने कहा कि सीवीसी रिपोर्ट और आलोक वर्मा का जवाब सीलबंद ही रखा जाए। ऐसा करना सीबीआई की छवि को बचाने के लिए जरूरी है। कोर्ट ने सीबीआई के नव नियुक्त अंतरिम डायरेक्टर एम नागेश्वर राव द्वारा लिए गए फैसलों पर कोई सुनवाई नहीं की। कोर्ट में मोईन कुरैशी केस के मामले में सतीश साना की याचिका पर भी सुनवाई नहीं की गयी। इसी के साथ कोर्ट ने कांग्रेस नेता मल्लिकार्जुन खड़गे की याचिका पर भी सुनवाई टाल दी। कोर्ट ने सीबीआई डीएसपी एके बस्सी की याचिका पर भी आज सुनवाई नहीं की।
सुनवाई के दौरान बस्सी के वकील राजीव धवन ने कहा कि वे इस मामले पर बहस करना चाहते हैं। इस पर चीफ जस्टिस ने कहा कि आप वही हैं, जिनका ट्रांसफर पोर्ट ब्लेयर कर दिया गया। पोर्ट ब्लेयर सुंदर जगह है। कोर्ट का मूड भांपते हुए मल्लिकार्जुन खड़गे के वकील कपिल सिब्बल ने कहा कि हमारे मुवक्किल की याचिका पर भी बाद में सुनवाई हो सकती है।
सुनवाई की शुरुआत में चीफ जस्टिस रंजन गोगोई ने कहा कि सीवीसी ने अपनी रिपोर्ट दाखिल कर दी है। जस्टिस एके पटनायक ने भी अपनी रिपोर्ट दे दी है। चीफ जस्टिस ने आलोक वर्मा के वकील फाली एस नरीमन से कहा कि हम आपको सीवीसी रिपोर्ट की प्रति सीलबंद लिफाफे में दे सकते हैं। सुनवाई के दौरान राकेश अस्थाना की ओर से पेश वरिष्ठ वकील मुकुल रोहतगी ने कहा कि रिपोर्ट को सार्वजनिक किया जाए। चीफ जस्टिस ने रोहतगी की इस मांग को खारिज कर दिया।
सीवीसी की ओर से पेश सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कहा कि हमें भी रिपोर्ट दी जाए। तब चीफ जस्टिस ने कहा कि आप किसकी तरफ से पेश हुए हैं तो तुषार मेहता ने कहा कि सीवीसी की तरफ से। तब चीफ जस्टिस ने कहा कि आपने रिपोर्ट तैयार की है और आपके पास ही रिपोर्ट नहीं है। सुनवाई के दौरान अटार्नी जनरल ने भी सीवीसी रिपोर्ट की प्रति की मांग की लेकिन कोर्ट ने उनकी मांग को भी खारिज कर दिया। कोर्ट ने कहा कि सभी रिपोर्ट्स को गोपनीय रखा जाए।
पिछले 12 नवंबर को सुप्रीम कोर्ट के आदेश के मुताबिक सीवीसी ने आलोक वर्मा और राकेश अस्थाना के खिलाफ जांच रिपोर्ट दायर की थी । पिछले 26 अक्टूबर को सुप्रीम कोर्ट ने आदेश दिया था कि सुप्रीम कोर्ट के रिटायर्ड जज एके पटनायक की निगरानी में सीवीसी आलोक वर्मा और राकेश अस्थाना के खिलाफ जांच पूरी करे ।
सुनवाई के दौरान आलोक वर्मा की ओर से वरिष्ठ वकील फाली एस नरीमन ने कहा था कि केंद्रीय सतर्कता आयोग (सीवीसी) ने सीबीआई निदेशक को हटाने का आदेश जिस दिन किया, उसी दिन केंद्र ने भी दूसरे व्यक्ति को सीबीआई निदेशक के पद पर नियुक्त किया । उन्होंने कहा था कि सीवीसी का केवल सुपरवाइजरी रोल है। सीबीआई निदेशक की नियुक्ति एक उच्चाधिकार कमेटी करती है। सीवीसी की ओर से सॉलीसिटर जनरल तुषार मेहता ने कहा था कि जांच दस दिनों में पूरी नहीं हो सकती है। लेकिन कोर्ट ने कहा था कि ये मामला लंबा नहीं खिंचा जाना चाहिए।
कोर्ट ने कहा था हम इस मामले की पड़ताल करेंगे। कोर्ट ने कहा कि अंतरिम निदेशक नागेश्वर राव कोई नीतिगत फैसला नहीं लेंगे। वे केवल रूटीन काम करेंगे। कोर्ट ने सीबीआई के अंतरिम निदेशक नागेश्वर राव के सारे फैसलों की जानकारी कोर्ट में सीलबंद लिफाफे में दाखिल करने का निर्देश दिया था ।
सुनवाई के दौरान राकेश अस्थाना की ओर से पूर्व अटार्नी जनरल मुकुल रोहतगी ने कहा था कि उनकी याचिका पर भी सुनवाई होनी चाहिए। तब चीफ जस्टिस ने कहा कि आपकी याचिका हमारे समक्ष लिस्ट नहीं हुई है। हम आपकी पर याचिका बाद में सुनवाई करेंगे। अस्थाना ने जबरन छुट्टी पर भेजे जाने के केंद्र सरकार के फैसले को चुनौती दी है।
ज्ञातव्य है कि अपने पद से हटाये जाने के बाद सीबीआई डायरेक्टर आलोक वर्मा ने 24 अक्टूबर को सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया था। आलोक वर्मा ने जबरन छुट्टी पर भेजे जाने के केंद्र सरकार के फैसले को चुनौती दी है। आलोक वर्मा ने याचिका में कहा है कि कुछ बहुत संवेदनशील मामलों में कार्रवाई को लेकर सीबीआई में सभी अधिकारियों में एक राय होती थी , लेकिन स्पेशल डायरेक्टर राकेश अस्थाना की राय अलग होती थी। याचिका में कहा गया है कि एक स्वतंत्र सीबीआई की जरूरत है । वर्तमान स्थिति से निकालने के लिए ये जरूरी है कि सीबीआई को केंद्रीय कार्मिक एवं प्रशिक्षण मंत्रालय से स्वतंत्र किया जाए। इसकी वजह से सीबीआई के स्वतंत्र कामकाज पर असर पड़ता है। याचिका में कहा गया है कि वे उन केसों की जानकारी दे सकते हैं, जिनकी वजह से ये स्थिति उत्पन्न हुई है। वे काफी संवेदनशील मामले हैं।
आलोक वर्मा ने याचिका में कहा है कि केंद्र का रातों रात का मुझे हटाने का फैसला दिल्ली स्पेशल पुलिस एस्टाबलिशमेंट एक्ट की धारा 4बी का उल्लंघन है। धारा 4बी के तहत सीबीआई प्रमुख का पद दो साल तक सुरक्षित रहता है। एक्ट की धारा 4ए के मुताबिक सीबीआई निदेशक की नियुक्ति उच्चाधिकार प्राप्त पैनल के जरिये होता है। इस पैनल में प्रधानमंत्री, नेता प्रतिपक्ष और चीफ जस्टिस होते हैं। धारा 4बी(2) सीबीआई डायरेक्टर के ट्रांसफर के लिए इस कमेटी की सहमति जरूरी है। लेकिन केंद्र सरकार ने इस कानून का उल्लंघन किया है ।
सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई के खास अंश
- सीबीआई के नंबर 1 आलोक वर्मा को सीवीसी से क्लीन चिट नहीं
- सीवीसी की रिपोर्ट अस्थाना को नहीं मिलेगी।
- सीवीसी की रिपोर्ट आलोक वर्मा को दी जाएगी।
- सीबीआई के डॉयरेक्टर को सीलबंद लिफाफे में जवाब देना होगा।
- आलोक वर्मा को जवाब देने के लिए सुप्रीम कोर्ट ने समय दिया है।
- सीवीसी की रिपोर्ट पर मुख्य न्यायाधीश ने कहा कि डिटेल्ड रिपोर्ट के अवलोकन के लिए समय चाहिए।