वर्मा पर हफ्तेभर में फैसला करे उच्चाधिकार कमेटी, नीतिगत फैसले नहीं कर सकेंगे आलोक
नई दिल्ली । केंद्र सरकार को बड़ा झटका देते हुए सुप्रीम कोर्ट ने सीबीआई निदेशक आलोक वर्मा को जबरन छुट्टी पर भेजे जाने के केंद्र सरकार के फैसले को निरस्त कर दिया है। कोर्ट ने आलोक वर्मा को उनके पद पर बहाल कर दिया है। कोर्ट ने कहा है कि दिल्ली स्पेशल पुलिस एस्टाबलिशमेंट एक्ट के तहत उच्चाधिकार कमेटी एक हफ्ते में उनके मामले पर फैसला करे। उच्चाधिकार कमेटी के अंतिम फैसला आने तक आलोक वर्मा कोई नीतिगत फैसला नहीं लेंगे। आज फैसला सुनाने के दिन चीफ जस्टिस छुट्टी पर थे जिसकी वजह से ये फैसला कोर्ट नंबर 1 की बजाय कोर्ट नंबर 12 में जस्टिस संजय किशन कौल ने सुनाया।
CBI Director Alok Verma's plea: Supreme Court says the High Power Committee under DSPE Act to act within a week to consider his case. https://t.co/Pjcq6RWPL8
— ANI (@ANI) January 8, 2019
सुप्रीम कोर्ट ने पिछले 6 दिसंबर को सभी पक्षों की दलीलें सुनने के बाद फैसला सुरक्षित रख लिया था। दिल्ली स्पेशल पुलिस एस्टाबलिशमेंट एक्ट के तहत उच्चाधिकार कमेटी में प्रधानमंत्री, नेता विपक्ष और चीफ जस्टिस शामिल हैं।
Alok Verma was investigating the #RafaleScam, so he was illegally & undemocratically removed from his position. Today the SC has proven to PM Modi that democracy will always fight back.
Where will NoMo hide, now that all his skeletons are falling out of the closet.— Congress (@INCIndia) January 8, 2019
इस कमेटी को एक हफ्ते के अंदर आलोक वर्मा पर फैसला करना है। लेकिन तब तक कोई नीतिगत फैसला आलोक वर्मा नहीं ले सकते हैं। वर्मा 31 जनवरी को रिटायर होनेवाले हैं। ऐसे में अगर उच्चाधिकार कमेटी कोई फैसला भी लेती है तो वर्मा के लिए दो हफ्ते का ही समय मिलेगा किसी भी मामले पर फैसला करने के लिए। मामले पर सुनवाई के दौरान कोर्ट ने केंद्र सरकार से पूछा था कि दो आला अधिकारियों का झगड़ा रातों रात सामने नहीं आया।
Chief Justice of India Ranjan Gogoi is on leave today and the judgement on CBI Director Alok Verma’s plea will be pronounced by Justice Sanjay Kishan Kaul in court number 12. (File pic of Ranjan Gogoi) pic.twitter.com/2OYK9Vq1Cd
— ANI (@ANI) January 8, 2019
ऐसा जुलाई से चल रहा था। उन्हें आधिकारिक काम से हटाने से पहले चयन समिति से बात करने में क्या दिक्कत थी? 23 अक्टूबर को अचानक फैसला क्यों लिया गया ? जस्टिस संजय किशन कौल ने सीवीसी के लिए सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता से पूछा था कि अगर हम ये मान लें कि उस समय की परिस्थितियों के अनुसार सरकार की कार्रवाई जरूरी थी तो आपने चयन समिति से संपर्क क्यों नहीं किया? तब तुषार मेहता ने कहा था कि कानूनन इसकी जरूरत ही नहीं थी। तुषार मेहता ने कहा था कि अपनी जांच और उस समय के हालात के चलते हम इस निष्कर्ष पर पहुंचे थे कि एक अति गंभीर स्थिति आ गयी है| ऐसे में आलोक वर्मा को और अधिक काम करने नहीं दिया जा सकता। इसलिए हमने उन्हें छुट्टी पर भेजना ही उचित समझा।
केजरीवाल ने राफेल से जोड़ा केस
दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने सुप्रीम कोर्ट के फैसले का स्वागत किया है. उन्होंने कहा कि मोदी सरकार ने देश की सभी संस्थाओं को बर्बाद कर दिया है. केजरीवाल ने सवालिया लहजे में कहा कि क्या राफेल घोटाले की जांच रोकने के लिए कोर्ट ने आधी रात को सीबीआई डायरेक्टर को नहीं हटाया?