नई दिल्ली । सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद बहाल हुए सीबीआई निदेशक आलोक वर्मा ने बुधवार को पहले ही दिन पूरे रंग में दिखे। उनको जबरन छुट्टी पर भेजने के बाद अंतरिम निदेशक नियुक्त किए गए एम नागेश्वर राव द्वारा किये गय़े पहले के तकरीबन सभी तबादला आदेशों को बुधवार को तत्काल प्रभाव से रद्द कर दिया।
CBI director Alok Verma withdraws transfer orders made by M Nageswara Rao who was appointed as interim CBI Director. Section 4 and 5 of transfer orders not withdrawn. pic.twitter.com/MytrkgBf4M
— ANI (@ANI) January 9, 2019
सीबीआई के दो अधिकारियों के बीच चली इस वरिष्ठता की जंग और भ्रष्टाचार के आरोपों के बाद केंद्र सरकार ने सीवीसी की सिफारिश पर सीबीआई निदेशक आलोक वर्मा को छुट्टी पर भेज दिया था, जिसे आलोक वर्मा ने सुप्रीम कोर्ट में चुनौती थी। सुप्रीम कोर्ट द्वारा पद पर बहाल किये जाने के बाद आलोक वर्मा ने बुधवार को अपने प्रशासनिक अधिकारों का उपयोग करते हुए पिछले तबादलों को तत्काल प्रभाव से रद्द कर दिया।
इससे पहले संयुक्त निदेशक नागेश्वर राव को सीबीआई का अंतरिम निदेशक नियुक्त किये जाने के बाद सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि नए अंतरिम मुखिया कोई भी नीतिगत फैसला नहीं ले सकते हैं। हालांकि अधिकारियों का तबादला करना प्रशासनिक प्रक्रिया में आता है, इसलिए नागेश्वर राव ने अगली सुबह ही कई अधिकारियों के तबादले किए थे, जिनमें अस्थाना के खिलाफ भ्रष्टाचार के मामले की जांच करने वाले अधिकारी डीएसपी एके बस्सी, डीआईजी एम के सिन्हा, संयुक्त निदेशक एके शर्मा भी शामिल थे। उससे पहले सीबीआई निदेशक आलोक वर्मा और विशेष निदेशक राकेश अस्थाना के बीच छिड़ी जंग में केंद्र सरकार ने सीवीसी की रिपोर्ट के आधार पर आलोक वर्मा को जबरन छुट्टी पर भेज दिया था। सुप्रीम कोर्ट ने सीबीआई निदेशक आलोक वर्मा को जबरन छुट्टी पर भेजे जाने के केंद्र सरकार के फैसले को मंगलवार को निरस्त कर दिया। कोर्ट ने आलोक वर्मा को सीबीआई निदेशक के पद पर बहाल कर दिया।
अपने 44 पेजों के फैसले में सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि दिल्ली स्पेशल पुलिस एस्टाबलिशमेंट एक्ट के तहत उच्चाधिकार कमेटी एक हफ्ते में उनके मामले पर फैसला करे। उच्चाधिकार कमेटी के अंतिम फैसला आने तक आलोक वर्मा कोई नीतिगत फैसला नहीं लेंगे। सुप्रीम कोर्ट ने पिछले 6 दिसंबर को सभी पक्षों की दलीलें सुनने के बाद फैसला सुरक्षित रख लिया था। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि सीबीआई निदेशक को ट्रांसफर पर भेजा जाना छुट्टी के समान नहीं है।
कोर्ट ने कहा कि सीबीआई की स्वतंत्रता बनाए रखने के लिए बनी उच्चाधिकार कमेटी की मंजूरी के बिना ट्रांसफर कानून के खिलाफ है। संस्थान का मुखिया एक रोल मॉडल होता है। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि सरकार को आलोक वर्मा को छुट्टी पर भेजने के पहले उच्चाधिकार समिति से पूर्व अनुमति के बिना सीबीआई डायरेक्टर को उनके अधिकार से वंचित करने का कोई प्रावधान नहीं है। 23 अक्टूबर, 2018 को सीबीआई के निदेशक आलोक वर्मा और स्पेशल डायरेक्टर राकेश अस्थाना को केंद्र सरकार ने जबरन छुट्टी पर भेज दिया था।
दोनों अधिकारियों ने एक-दूसरे के खिलाफ भ्रष्टाचार के आरोप लगाए थे। केंद्र सरकार ने दोनों को छुट्टी पर भेजने के साथ ही सीबीआई के संयुक्त निदेशक एम नागेश्वर राव को सीबीआई के निदेशक का अंतरिम निदेशक बनाया था। मंगलवार को सुप्रीम कोर्ट ने एम नागेश्वर राव को अस्थायी कार्यभार सौंपने के केंद्र के आदेश को भी निरस्त कर दिया । सीबीआई के इतिहास में यह पहली बार था जब सीबीआई के दो वरिष्ठ अधिकारियों ने एक दूसरे पर भ्रष्टाचार के आरोप लगाये थे। इस मामले से आम जनमानस के बीच में देश की इस प्रतिष्ठित एजेंसी की साख भी गिरी। उल्लेखनीय है कि आलोक वर्मा का कार्यकाल 31 जनवरी, 2019 को खत्म हो रहा है।