केंद्रीय माध्यमिक शिक्षा बोर्ड (CBSE)की 10वीं और 12वीं की परीक्षाओं की तारीखों का छात्र बेशब्री से इंतजार कर रहे हैं. ऐसे में स्टूडेंट्स के लिए अच्छी खबर आई है. केंद्रीय शिक्षा मंत्री रमेश पोखरियाल निशंक ने कहा कि सीबीएसई 10वीं और 12वीं परीक्षा की डेटशीट 2 फरवरी 2021 को जारी की जाएगी. उन्होंने यह घोषणा तब कि जब वह सीबीएसई सहोदय स्कूल अध्यक्षों व सचिवों के साथ वीडियो कॉफ्रेंसिंग के जरिए बातचीत कर रहे थे.
बता दें कि सीबीएसई 10वीं-12वीं की परीक्षा 4 मई से शुरू होंगी और 10 जून तक चलेंगी. प्रैक्टिकल एग्जाम 1 मार्च से होंगे. परीक्षाओं के परिणाम 15 जुलाई तक जारी हो जाएंगे. सीबीएसई बोर्ड परीक्षार्थियों को अब विषयवार डेटशीट का इंतजार है जो 2 फरवरी को खत्म हो जाएगा.
शिक्षा मंत्री ने कहा कि सीबीएसई समेत देश के विभिन्न शिक्षा बोर्डों ने नई शिक्षा नीति को लागू करने की दिशा में काम शुरू कर दिया है. सीबीएसई बोर्ड इस दिशा में प्रेरणादायी साबित होगा. नई शिक्षा नीति के तहत होने वाले सुधारों का रास्ता इसी बोर्ड से होकर निकलेगा.
उन्होंने कहा कि नई शिक्षा नीति में छठी कक्षा से ही विद्यार्थी वोकेश्नल एजुकेशन हासिल कर सकेंगे. छठी कक्षा से ही उन्हें अपना करियर संवारने का मौका मिलेगा.
नई शिक्षा नीति 2020 से स्कूली शिक्षा में होने वाले बदलावों पर संवाद करते हुए उन्होंने कहा, ‘एनईपी से बच्चों में बचपन से ही शोध व अनुसंधान का हुनर पैदा होगा. बच्चों में सबसे ज्यादा सोचने की क्षमता होती है. नई शिक्षा नीति राष्ट्रीय भी है और अंतर्राष्ट्रीय भी. टैलेंट को भी खोजा जाएगा। उत्कृष्ट कोटि का कंटेंट भी देंगे. पेटेंट भी कराएंगे.’
शिक्षा मंत्री ने वेबिनार के जरिए एक हजार से अधिक स्कूलों के प्रमुखों के साथ शैक्षणिक सत्र 2021-22 से पाठ्यक्रम और स्कूल की प्रक्रियाओं में शामिल किए जाने वाले परिवर्तनों पर चर्चा की.
सीबीएसई की तरफ से जारी बयान के मुताबिक, नई शिक्षा नीति 2020 देश में 21वीं सदी की पहली शिक्षा नीति है. इसमें प्राथमिक कक्षाओं से लेकर वरिष्ठ माध्यमिक स्तर को शामिल किया गया है. इसका उद्देश्य शिक्षा का सार्वभौमिकरण और शिक्षा को सुलभ, न्यायसंगत, और समावेशी बनाना है. यह तब ही संभव होगा, जब इसे चरणबद्ध तरीके से लागू किया जाए. ऐसे में स्कूलों को वास्तव में शिक्षण और सीखने की प्रक्रिया को फिर से परिभाषित करने और परिवर्तन को देखने के लिए नई शिक्षा नीति के उचित क्रियान्वयन के उद्देश्य से शैक्षणिक संरचना को बदलने की आवश्यकता है.