अमेरिकी अंतरिक्ष एजेंसी नासा ने चंद्रयान-2 के विक्रम लैंडर को लेकर खुलासा किया है। नासा ने ट्वीट कर विक्रम लैंडर के मलबे की फोटो जारी की हैं। विक्रम लैंडर का मलबा चांद की सतह पर तय लैंडिंग साइट से 750 मीटर दूर मिला।
The #Chandrayaan2 Vikram lander has been found by our @NASAMoon mission, the Lunar Reconnaissance Orbiter. See the first mosaic of the impact site https://t.co/GA3JspCNuh pic.twitter.com/jaW5a63sAf
— NASA (@NASA) December 2, 2019
नासा ने अपने लूनर टोही यान कैमरा से क्लिक की तस्वीरों को शेयर किया है। फोटो में चंद्रमा पर साइट के परिवर्तन और उसके पहले व बाद के प्रभाव बिंदु को दिखाया गया है। तस्वीरों में नीले और हरे रंग के डॉट्स दुर्घटना से जुड़े हुए मलबे को दर्शाते हैं।
बता दें कि चंद्रयान-2 को 22 जुलाई को दोपहर 2.43 बजे श्रीहरिकोटा (आंध्रप्रदेश) के सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र से लॉन्च किया गया था। प्रक्षेपण के 17 मिनट बाद ही यान सफलतापूर्वक पृथ्वी की कक्षा में पहुंच गया था। 2 सितंबर को दोपहर 01 बजकर 15 मिनट पर चंद्रयान-2 के ऑर्बिटर को लैंडर ‘विक्रम’ से अलग किया गया था। लैंडर और रोवर को 7 सितंबर को चंद्रमा की सतह पर सॉफ्ट लैंडिंग करनी थी।
चंद्रमा की सतह से 2.1 किलोमीटर की ऊंचाई तक विक्रम सामान्य तरीके से नीचे उतरा। इसके बाद लैंडर का धरती से संपर्क टूट गया। हालांकि चंद्रयान का मुख्य अंतरिक्ष यान ‘ऑर्बिटर’ अभी भी चंद्रमा की कक्षा में है और वह कम से कम 7 वर्ष तक चंद्रमा के चारों ओर चक्कर लगाना जारी रखेगा। ऑर्बिटर में लगे आठ पेलोड 100 किलोमीटर की दूरी से अलग-अलग डाटा इकट्ठा करेंगे।
चेन्नई के इंजीनियर को मिला क्रेडिट
नासा ने अपने तरफ से जारी बयान में ये भी कहा है कि, ’26 सितंबर को क्रैश साइट की एक तस्वीअर जारी की गई थी और विक्रम लैंडर के सिग्नल्स की खोज करने के लिए लोगों को बुलाया गया था।’ पर लैंडर विक्रम के मलबे की एक सकारात्मक पहचान चेन्नई के शनमुगा सुब्रमण्यन नाम के इंजीनियर ने की।इस दौरान इंजीनियर ने नासा के LRO से संपर्क साधा। वहीं अब जब नासा की तरफ से लैंडर विक्रम को लेकर इतना बड़ा खुलासा किया गया है ऐसे में इसरो ने अब नासा से सारी जानकारी मांगी है। माना जा रहा है, बहुत जल्द नासा ये रिपोर्ट भारत को सौंपेगा।