
नई दिल्ली । चंद्रयान-2 ने 22 जुलाई को लॉन्चिंग के बाद पहली बार अपने एलआई4 कैमरे से पृथ्वी की तस्वीरें भेजीं हैं जिसे भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) ने रविवार को अपने ट्विटर हैंडल पर जारी की हैं। पहली तस्वीर के कैप्शन में लिखा है- ‘चंद्रयान 2 में विक्रम लैंडर द्वारा क्लिक की गई पृथ्वी की सुंदर तस्वीरों का पहला सेट 3 अगस्त, 2019 17:28 UT पर चंद्रयान 2 LI4 कैमरा द्वारा क्लिक की गई पृथ्वी।’ दूसरी तस्वीर के कैप्शन में इसरो ने लिखा है- ‘3 अगस्त, 2019 17:29 UT पर चंद्रयान 2 LI4 कैमरे ने कुछ ऐसी देखी पृथ्वी।’
#ISRO
Earth as viewed by #Chandrayaan2 LI4 Camera on August 3, 2019 17:34 UT pic.twitter.com/1XKiFCsOsR— ISRO (@isro) August 4, 2019
भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन के सबसे महत्वपूर्ण प्रोजेक्ट चंद्रयान-2 का सफर सोमवार को दिन के 2 बजकर 43 मिनट पर श्रीहरिकोटा के सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र से शुरू हुआ था। चांद के दक्षिणी ध्रुव तक का सफर तय करने निकला चंद्रयान-2 अब पृथ्वी के चारों तरफ 5 के बजाय 4 ही चक्कर लगाएगा क्योंकि 24 जुलाई को पृथ्वी की कक्षा में जाने का समय करीब एक मिनट बढ़ा दिया गया है। इसरो ने 24, 26 और 29 जुलाई को चंद्रयान-2 का धरती की पहली, दूसरी और तीसरी कक्षा में परिवर्तन कराया था।
चंद्रयान-2 ने शुक्रवार को धरती की चौथी कक्षा में सफलता पूर्वक प्रवेश करके चांद तक पहुंचने के 15 अहम पड़ावों में से चार को पूरा कर लिया है। इसरो के मुताबिक चंद्रयान-2 लगातार पृथ्वी की कक्षा से आगे बढ़ रहा है, इसीलिए 2 अगस्त (शुक्रवार) को 3 बजकर 27 मिनट पर चंद्रयान-2 की कक्षा में चौथी बार सफलतापूर्वक बदलाव किया था। अभी तक की सारी गतिविधियां सामान्य हैं और चार दिन बाद 6 अगस्त को यह धरती की अगली कक्षा में प्रवेश करेगा।
चंद्रयान-2 की पेरिजी (पृथ्वी से कम दूरी) 277 किलोमीटर और एपोजी (पृथ्वी से ज्यादा दूरी) 89,472 किमी कर दी गई है। चांद के गुरुत्व क्षेत्र में प्रवेश करने पर चंद्रयान-2 के प्रोपेलिंग सिस्टम का इस्तेमाल इसकी रफ्तार धीमी करने के लिए किया जाएगा, ताकि यह चांद की प्रारंभिक कक्षा में प्रवेश कर सके। पृथ्वी के प्रभाव वाले क्षेत्र से चांद के आभामंडल में यह 14 अगस्त को प्रवेश करेगा। 14 अगस्त से 20 अगस्त तक चांद की तरफ जाने वाली लंबी कक्षा में प्रवेश करेगा।
इसके बाद चंद्रयान-2 चांद की तरफ जाने वाली कक्षा में यात्रा करके 20 अगस्त को चांद की कक्षा में पहुंचेगा। इसके बाद 31 अगस्त तक वह चांद के चारों तरफ चक्कर लगाएगा। 01 सितम्बर को विक्रम लैंडर ऑर्बिटर से अलग होने के बाद चांद के दक्षिणी ध्रुव की तरफ यात्रा शुरू करेगा। 5 दिन की यात्रा के बाद 6 सितम्बर को विक्रम लैंडर चांद के दक्षिणी ध्रुव पर उतरेगा। लैंडिंग के करीब 4 घंटे बाद रोवर प्रज्ञान चांद की सतह पर विभिन्न प्रयोग करने के लिए उतरेगा।