भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) के प्रमुख के शिवन ने कहा है कि चन्द्रयान-2 मिशन के तहत भले ही लैंडर विक्रम से चांद की सतह पर उतरते समय संपर्क टूट गया हो फिर भी इससे प्राप्त अनुभवों से यह माना जाना चाहिए कि अभियान 95 फीसद सफल रहा है।
इसरो द्वारा चन्द्रमा के दक्षिण ध्रुव पर भेजे गए चन्द्रयान मिशन के तहत लैंडर विक्रम को शनिवार सुबह पृथ्वी के इस उपग्रह की सतह पर उतरना था। लैंडर विक्रम की 31 किलोमीटर दूरी से शुरू की गई इस यात्रा में उसका संपर्क 2 किमी की दूरी रह जाने के बाद टूट गया था।
इसरो प्रमुख ने कुछ टीवी चैनलों से बातचीत में कहा कि तकनीकी प्रदर्शन के लिहाज से अभियान 95 फीसद सफल रहा है। लैंडर ने 31 किमी से लेकर 2 किमी तक की यात्रा की और उसके बाद हमारा उससे संपर्क टूट गया। यह सफलता 100 प्रतिशत सफलता के बेहद करीब है। दूसरी ओर हम लैंडर से दोबारा संपर्क साधने का प्रयास कर रहे हैं।
उन्होंने बताया कि चन्द्रयान में अधिक ईंधन लादा गया है। इसके चलते अभियान भले ही एक साल का हो, लेकिन वह साढ़े सात साल तक खींचा जा सकता है। इसमें उच्च गुणवत्ता वाले कैमरे लगे हुए हैं, जिससे चन्द्रमा की सतह की हर तस्वीर को पृथ्वी पर भेजा जा सकता है।
इसरो प्रमुख ने बताया कि इस अभियान में मिली कुछ असफलता का दूसरे अभियानों पर असर नहीं पड़ेगा। इसरो 2020 के अंत तक गगनयान अभियान के तहत मनुष्य को अंतरिक्ष में भेजेगा। इसके अलावा भी इससे पहले कुछ अभियान हैं जिन्हें तय समय पर ही पूरा किया जाएगा।