जिला परिषद चुनावों में एक-दूजे के खिलाफ चौटाला परिवार, बेटे के बहाने गढ़ रानियां विधानसभा को है बचाना

हरियाणा की राजनीति में चर्चित चौटाला परिवार के बीच एक बार फिर चुनावी जंग छिड़ गई है। इस बार परिवार जिला परिषद के चुनावों में एक दूसरे के खिलाफ उतरेगा। हालांकि यह पहली बार नहीं है जब चौटाला परिवार के सदस्य जिला परिषद के चुनाव में एक दूसरे के खिलाफ चुनावी मैदान में उतर रहे हो। इससे पहले तीन बार चौटाला परिवार जिला परिषद के अध्यक्ष पद के लिए एक दूसरे के लिए खिलाफ उतर रहा है।

सिरसा जिला परिषद के चुनावों में रानियां विधानसभा क्षेत्र के वार्ड नंबर 6 से अभय चौटाला के बेटे कर्ण चौटाला ने नामांकन भरा है। अब इसी वार्ड से बिजली मंत्री रणजीत सिंह चौटाला अपने बेटे गगनदीप चौटाला को उतारने की घोषणा कर चुके हैं। हालांकि बेटे गगनदीप को सक्रिय राजनीति में उतारकर उनका लक्ष्य जिला परिषद का अध्यक्ष पद पाना नहीं है, बल्कि अपने गढ़ रानियां विधानसभा को बचाना है।

दादा के लिए पोता बन सकता है चुनौती

रानियां विधानसभा हलका 2009 में परिसीमन में बना। 2009 और 2014 का विधानसभा चुनाव रणजीत चौटाला ने कांग्रेस की टिकट पर लड़ा और दोनों बार इनेलो के उम्मीदवारों से हार गए। रणजीत कांग्रेस की टिकट कटने पर पहली बार 2019 के विधानसभा चुनाव जीते और भाजपा को समर्थन देकर मंत्री बने। रणजीत सिंह लंबे अर्से बाद चुनाव जीते थे।

दूसरी ओर इनेलो पूरे प्रदेश में एकमात्र ऐलनाबाद सीट पर काबिज है। अभय सिंह के बेटे कर्ण चौटाला ने अब तक विधानसभा का चुनाव नहीं लड़ा। 2 साल बाद आने वाले विधानसभा चुनावों में इनेलो कर्ण को इस सीट से अपना उम्मीदवार घोषित कर सकती है। ऐसे में रणजीत सिंह इसे अभी से अपने लिए चुनौती समझ रहे हैं। इसलिए अपना गढ़ बचाने के लिए पोते के सामने बेटे गगनदीप को उतार रहे हैं।

नगर पालिका चेयरमैन में हार चुका है रणजीत समर्थक

हाल ही में हुए रानियां नगर पालिका के चुनावों में रणजीत सिंह का समर्थक उम्मीदवार इनेलो समर्थक उम्मीदवार से भारी अंतर से हार गया। इससे बिजली मंत्री की अपने हलके पर पकड़ ढीली महसूस होने की चर्चाएं चल पड़ी। लेकिन बेटे को जिला परिषद में उतार कर बिजली मंत्री अपने विरोधियों को अपनी राजनीतिक मजबूती का संदेश देना चाहते हैं।

1996 में अभय और रवि में हुआ था मुकाबला

वर्ष 1996 में पहली बार चौधरी देवीलाल के दो पोतों में जिला परिषद के चुनाव को लेकर टकराव हुआ। ओपी चौटाला के बेटे अभय चौटाला और उनके भाई प्रताप चौटाला के बेटे रवि चौटाला जिला परिषद के चुनाव में आमने सामने खड़े हुए। अभय चौटाला ने उस चुनाव में रवि चौटाला को हरा दिया। तब अभय चौटाला जिला परिषद के वाइस चेयरमैन बने। साल 2005 में पंचायती चुनावों में अभय सिंह चौटाला फिर से जिला परिषद के चुनाव में उतरे और जिला परिषद के अध्यक्ष बने।

2016 में भाभी के सामने देवर

साल 2016 में जिला परिषद के डबवाली क्षेत्र में अभय चौटाला की पत्नी कांता चौटाला ने नामांकन दाखिल किया। परंतु उसी वार्ड से अभय के चचेरे भाई आदित्य चौटाला ने नामांकन दाखिल कर दिया। कांता चौटाला की हार हुई और आदित्य की जीत। इसी समय अभय के बेटे कर्ण चौटाला भी चोपटा क्षेत्र के जोन से चुनाव लड़े और जीत हासिल की। चेयरमैन का पद महिला के लिए आरक्षित था। इसलिए कर्ण चौटाला जिला परिषद के वाइस चेयरमैन बने। जबकि चेयरमैन इनेलो की पार्षद रेणु बाला को बनाया गया।

2022 में कर्ण चौटाला के समक्ष चाचा गगनदीप

जिला परिषद का चेयरमैन पद सामान्य है। अबकी बार चौटाला परिवार से कर्ण चौटाला ही सबसे बड़े दावेदार है। कर्ण चौटाला ने रानियां विधानसभा क्षेत्र के जोन से नामांकन दाखिल किया। ओमप्रकाश चौटाला के छोटे भाई और रिश्ते में कर्ण के दादा लगने वाले रणजीत सिंह इसी विधानसभा से विधायक है। रणजीत सिंह ने इसे अपने लिए एक चुनौती समझा। इसलिए सक्रिय राजनीति से दूर अपने बेटे गगनदीप को चुनाव मैदान में उतार दिया।

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