हिमालय पर बैठा चीनी दुश्मन नहीं बचेगा, रूस भारत को भेज रहा है पहाड़ों के लिए घातक रायफलें

भारतीय सेना ने लद्दाख में चीनी सैनिकों पर नकेल कस दी है. चीन ने दगाबाजी करके पैंगोंग झील के उत्तरी किनारे में फिंगर-4 से फिंगर-8 तक की चोटियों पर कब्जा कर लिया था. भारत ने जवाब देते हुए दक्षिण किनारे में अहम चोटियों पर पहुंचकर अपनी स्थिति मजबूत की है. उत्तरी किनारे में भी भारत ने अपनी पोजिशन बदली है और सैनिकों को उन हाइट्स पर तैनात किया है, जिससे फिंगर-4 की एरिया सामने दिखती है. यानी कुल मिलाकर पलड़ा भारत का भारी है.

ऐसे में अब भारतीय सेना के सबसे आधुनिक और घातक हथियारों के जखीरे में और इजाफा होने जा रहा है. भारत और रूस ने अडवांस्ड AK-47 203 राइफलों की डील फाइनल कर ली है. खास बात यह है कि पुराने मॉडल से उलट यह राइफल हिमालय जैसे ऊंचे इलाकों के लिए बेहतर होती है. चीन के साथ लद्दाख से लेकर पूर्वोत्तर राज्यों तक की सीमा पर जारी तनाव और हाल के वक्त में हुईं सैन्य झड़पों को देखते हुए यह डील एक अहम मौके पर की गई है.

रूसी मीडिया ने जानकारी दी है कि भारत के रक्षामंत्री राजनाथ सिंह के रूस दौरे पर यह फैसला किया गया है. AK-47 का यह सबसे अडवांस्ड वर्जन इंडियन स्मॉल आर्म्स सिस्टम (INSAS) असॉल्ट राइफल को रिप्लेस करेगा. INSAS का इस्तेमाल 1996 से चला आ रहा है और उसमें हिमालय की ऊंचाई पर जैमिंग और मैगजीन के क्रैक जैसी समस्याएं पैदा होने लगी हैं.

रूस के स्पूतनिक न्यूज के मुताबिक भारतीय सेना को 7.7 लाख राइफल्स की जरूरत है जिसमें एक लाख आयात की जाएंगी और बाकी का उत्पादन भारत में किया जाएगा. राइफल्स का भारत में निर्माण इंडो-रशिया राइफल्स प्राइवेट लिमिटेड (IRRPL) के संयुक्त ऑपरेशन के तहत किया जाएगा. यह ऑर्डनेंस फैक्ट्री बोर्ड (OFB) और कालाश्निकोव कंसर्न और रोसोबोरोनएक्सपॉर्ट के बीच की गई डील है.

AK-203 राइफल की ये है खासियत
रूस निर्मित AK-203 राइफल दुनिया की सबसे आधुनिक और घातक राइफलों में से एक है. हर राइफल की कीमत 1100 डॉलर हो सकती है. इसमें टेक्नॉलजी ट्रांसफर और उत्पादन इकाई स्थापित करने की कीमत शामिल है. AK-203 बेहद हल्‍की और छोटी है जिससे इसे ले जाना आसान है. इसमें 7.62 एमएम की गोलियों का इस्‍तेमाल किया जाता है.

यह राइफल एक मिनट में 600 गोलियां या एक सेकंड में 10 गोलियां दाग सकती है. इसे ऑटोमेटिक और सेमी ऑटोमेटिक दोनों ही मोड पर इस्‍तेमाल किया जा सकता है. इसकी मारक क्षमता 400 मीटर है. सुरक्षाबलों को दी जाने वाली इस राइफल को पूरी तरह से लोड किए जाने के बाद कुल वजन 4 किलोग्राम के आसपास होगा.

रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह शंघाई सहयोग संगठन (एससीओ) की बैठक में हिस्सा लेने के लिए रूस की राजधानी मास्को पहुंचे हैं. अधिकारियों ने कहा कि सिंह रूसी पक्ष से भारत को एस-400 मिसाइल रक्षा प्रणालियों की समय पर आपूर्ति सुनिश्चित करने के लिए अनुरोध करेंगे. भारत को एस-400 सतह से हवा में मार करने वाली मिसाइल प्रणाली की पहले खेप की आपूर्ति 2021 के अंत तक निर्धारित है. जून के बाद सिंह की यह दूसरी मास्को यात्रा है. उन्होंने 24 जून को मास्को में विजय दिवस परेड में भारत का प्रतिनिधित्व किया था.

खबरें और भी हैं...