राज्यसभा से बुधवार को नागरिकता (संशोधन) बिल 2019 पास हो गया। बिल के पक्ष में 117 जबकि विरोध में 92 वोट पड़े। लोकसभा में बिल के पक्ष में वोटिंग करने वाली शिवसेना ने राज्यसभा में वॉकआउट किया और वोटिंग में शामिल नहीं हुई। अब इस बिल को राष्ट्रपति के पास भेजा जाएगा। राष्ट्रपति की मुहर के बाद ये बिल कानून बन जाएगा। इस कानून के जरिए पड़ोसी तीनों देशों पाकिस्तान, अफगानिस्तान और बांग्लादेश के छह अल्पसंख्यक समुदायों (हिंदू, बौद्ध, जैन, पारसी, ईसाई और सिख) से ताल्लुक़ रखने वाले लोगों को भारतीय नागरिकता मिल सकेगी।
पीएम मोदी ने बिल के पास होने के बाद खुशी जताते हुए इसे ऐतिहासिक दिन बताया। पीएम मोदी ने कहा, ‘भारत और हमारे देश के लिए करुणा और भाईचारे के लिए एक ऐतिहासिक दिन! खुशी है कि राज्यसभा में नागरिकता संशोधन बिल 2019 पास किया गया। सभी सांसदों का आभार जिन्होंने विधेयक के पक्ष में मतदान किया। यह विधेयक कई लोगों की पीड़ा को दूर करेगा जिन्होंने वर्षों तक उत्पीड़न का सामना किया।’
बिल पर चर्चा के बाद गृहमंत्री का जवाब
अमित शाह ने कहा, ये बिल कभी न लाना पड़ता, ये कभी संसद में न आता, अगर भारत का बंटवारा न हुआ होता। बंटवारे के बाद जो परिस्थितियां आईं, उनके समाधान के लिए मैं ये बिल आज लाया हूं। पिछली सरकारें समाधान लाईं होती तो भी ये बिल न लाना होता। नेहरू-लियाकत समझौते के तहत दोनों पक्षों ने स्वीकृति दी कि अल्पसंख्यक समाज के लोगों को बहुसंख्यकों की तरह समानता दी जाएगी, उनके व्यवसाय, अभिव्यक्ति और पूजा करने की आजादी भी सुनिश्चित की जाएगी, ये वादा अल्पसंख्यकों के साथ किया गया। लेकिन, वहां लोगों को चुनाव लड़ने से भी रोका गया, उनकी संख्या लगातार कम होती रही। जबकि यहां राष्ट्रपति, उपराष्ट्रपति, चीफ जस्टिस जैसे कई उच्च पदों पर अल्पसंख्यक रहे। यहां अल्पसंख्यकों का संरक्षण हुआ।
नागरिकता संशोधन देश में पहली बार नहीं-शाह
अमित शाह ने कहा, मैं पहली बार नागरिकता के अंदर संशोधन लेकर नहीं आया हूं, ये कई बार हुआ है। उन्होंने कहा, जब श्रीलंका के लोगों को नागरिकता दी तो उस समय बांग्लादेशियों को क्यों नहीं दी? जब युगांड़ा से लोगों को नागरिकता दी तो बांग्लादेश और पाकिस्तान के लोगों को क्यों नहीं दी? जब इंदिरा जी ने 1971 में बांग्लादेश के शरणार्थियों को स्वीकारा, तब श्रीलंका के शरणार्थियों को क्यों नहीं स्वीकारा। शाह ने कहा, समस्याओं को उचित समय पर ही सुलझाया जाता है। इसे राजनीतिक रंग नहीं देना चाहिए।
दो साथी संसद को डरा रहे हैं-शाह
अमित शाह ने कहा, ‘अनुच्छेद 14 में जो समानता का अधिकार है वो ऐसे कानून बनाने से नहीं रोकता जो रीजनेबल क्लासिफिकेशन के आधार पर है। यहां रीजनेबल क्लासिफिकेशन आज है। हम एक धर्म को ही नहीं ले रहे हैं, हम तीनों देशों के सभी अल्पसंख्यकों को ले रहे हैं और उन्हें ले रहे हैं जो धर्म के आधार पर प्रताड़ित है। शाह ने कहा, दो साथी संसद को डरा रहे हैं कि संसद के दायरे में सुप्रीम कोर्ट आ जाएगी। कोर्ट ओपन है। कोई भी व्यक्ति कोर्ट में जा सकता है। हमें इससे डरना नहीं चाहिए। हमारा काम अपने विवेक से कानून बनाना है, जो हमने किया है और ये कानून कोर्ट में भी सही पाया जाएगा।
शाह ने याद दिलाया मनमोहन सिंह का बयान
शाह ने सदन में कांग्रेस के एक संकल्प पढ़ा- ‘कांग्रेस पार्टी पाकिस्तान के उन सभी गैर मुस्लिमों को पूर्ण सुरक्षा देने के लिए बाध्य है जो उनकी उनके जीवन और सम्मान की रक्षा के लिए सीमा के उस पार से भारत आए हैं, या आने वाले हैं।’ शाह ने कहा, डॉ मनमोहन सिंह ने भी पहले इसी सदन में कहा था कि वहां के अल्पसंख्यकों को बांग्लादेश जैसे देशों में उत्पीड़न का सामना करना पड़ रहा है। अलग उनको हालात मजबूर करते हैं तो हमारा नैतिक दायित्व है कि उन अभागे लोगों को नागरिकता दी जाए। शाह ने कांग्रेस सदस्यों से कहा, ‘आज आप अपने ही संकल्प को नहीं मान रहे हैं।’
शाह ने शिवसेना पर साधा निशाना
शाह ने कहा, ‘शिवसेना ने कल लोकसभा में इस बिल का समर्थन किया था। महाराष्ट्र की जनता जानना चाहती है कि रात में ही ऐसे क्या हुआ कि उन्होंने आज अपना स्टैंड बदल दिया?’ उन्होंने कहा, ‘इतिहास तय करेगा कि 70 साल से लोगों को भगवान के भरोसे छोड़ दिया था। इसको न्याय नरेन्द्र मोदी जी ने दिया, इतिहास इसको स्वर्ण अक्षरों से लिखेगा। लाखों-करोड़ों लोग नर्क की यातना में जी रहे थे। क्योंकि वोट बैंक के लालच के अंदर आंखे अंधी हुई थी, कान बहरे हुए थे, उनकी चीखें नहीं सुनाई पड़ती थी। नरेन्द्र मोदी जी ने केवल और केवल पीड़ितों को न्याय करने के लिए ये बिल लेकर आए हैं’
ये नागरिकता देने का बिल है- शाह
शाह ने कहा, इस बिल में मुसलमानों के कोई अधिकार नहीं छीने जा रहे हैं। ये नागरिकता देने का बिल है, नागरिकता लेने का बिल नहीं है। मैं सबसे कहना चाहता हूं कि भ्रामक प्रचार में मत आइए। इस बिल का भारत के मुसलमानों की नागरिकता से कोई संबंध नहीं है। शाह ने कहा, मुझे आइडिया ऑफ इंडिया समझाने का प्रयास करते हैं। मेरी तो सात पुश्ते यहां जन्मी हैं, मैं विदेश से नहीं आया हूं। हम तो इसी देश में जन्में हैं, यहीं मरेंगे।
पाकिस्तान की भाषा बोल रही कांग्रेस-शाह
अमित शाह ने कहा, कांग्रेस के नेताओं के बयान और पाकिस्तान के नेताओं के बयान कई बार घुल-मिल जाते हैं। कल ही पाकिस्तान के पीएम ने जो बयान दिया और आज जो इस सदन में बयान दिए गए हैं, वो एक समान हैं। एयर स्ट्राइक के लिए जो पाकिस्तान ने बयान दिए वो और कांग्रेस के नेताओं के बयान एक समान हैं। सर्जिकल स्ट्राइक के समय जो बयान पाकिस्तान के नेताओं और कांग्रेस के नेताओं ने दिए वो एक समान हैं। मैं जो बिल लेकर आया हूं वो किसी की भावना को आहत करने के लिए नहीं है। किसी भी धर्म समुदाय के लोगों को दुखी करने के लिए नहीं है।
रविशंकर प्रसाद, बीजेपी
रविशंकर प्रसाद ने कहा कि हमारी सरकार के सारे बिल कानून विभाग द्वारा भली-भांति देखकर ही लाए जाते हैं। मैंने कश्मीर में ऐसे लोगों को देखा जो 1948 से कैंपों में रह रहे हैं उन्हें न वोटिंग का अधिकार मिला न वह अपने घर बना सके। प्रसाद ने कहा कि उन लोगों ने कहा हमने गलती की कि हमने तब के कश्मीरी नेताओं पर विश्वास किया और हम कश्मीर से पंजाब नहीं गए।
कांग्रेस नेता कपिल सिब्बल
जिनके पास भारत का कोई विचार नहीं है, वे भारत के विचार की रक्षा नहीं कर सकते हैं। मुझे समझ नहीं आता कि गृहमंत्री अमित शाह ने कौन सी इतिहास की किताबें पढ़ी हैं। टू नेशन थ्योरी हमारी नहीं है। यह सावरकर की बनाई गई थ्योरी थी। मैं गृहमंत्री से अनुरोध करता हूं कि वह कांग्रेस पर लगाए उस आरोप को वापस लें क्योंकि हम एक राष्ट्र में विश्वास करते हैं, और आप उस पर विश्वास नहीं करते हैं।
गुलाम नबी आजाद, कांग्रेस
गुलाम नबी आजाद ने पूछा कि गृहमंत्री ने इस बिल में कुछ देश और कुछ धर्मों को ही क्यों रखा। उन्होंने पूछा कि अगर सभी इस बिल के पक्ष में हैं तो असम में विरोध प्रदर्शन क्यों हो रहे हैं और बसों को क्यों जलाया जा रहा है?
पी चिदंबरम, कांग्रेस
ये विधेयक संसद के मुंह पर तमाचा है और संसद से असंवैधानिक कदम उठाने को कहा जा रहा है। चिदंबरम ने कहा कि सरकार के किसी ज़िम्मेदार व्यक्ति को इन सवालों के जवाब देने चाहिए, फिर चाहे देश के अटॉर्नी जनरल हों या फिर दूसरे अधिकारी। चिदंबरम ने पूछा: सिर्फ़ पाकिस्तान, बांग्लादेश, अफ़ग़ानिस्तान की बात क्यों? श्रीलंका के हिंदू, भूटान के ईसाई क्यों शामिल नहीं? धर्म को बिल का आधार क्यों बनाया गया? कैसे सिर्फ़ छह धर्म के लोगों को शामिल किया गया? क्या ये समानता के मूल अधिकार का उल्लंघन नहीं है?
आनंद शर्मा, कांग्रेस
इतनी जल्दबाजी क्यों? इसे संसदीय समिति को भेजा जाना चाहिए था। लोकसभा में विधेयक को इस तरह पारित किया गया था जैसे कि देश किसी प्रकार के संकट में है। हम इसका विरोध करते हैं। विरोध का कारण राजनीतिक नहीं बल्कि नैतिक और संवैधानिक है। विधेयक भारतीय संविधान और लोकतंत्र पर हमला है। इससे भारत की आत्मा आहत होती है।
एमडीएमके नेता वाइको
यदि यह अप्रिय, घृणित, अलोकतांत्रिक, अनुचित, असंवैधानिक विधेयक पारित हो जाता है, तो यह इस उच्च सदन के इतिहास में एक काला अध्याय बन जाएगा।
जगत प्रकाश नड्डा, भाजपा
2003 में, राज्यसभा में डॉ. मनमोहन सिंह ने उस समय के डिप्टी पीएम आडवाणी जी से बांग्लादेश जैसे देशों से आए शरणार्थियों को नागरिकता प्रदान करने में अधिक उदार दृष्टिकोण रखने की बात कही थी। नड्डा ने कहा, ‘इसलिए, हम केवल वही कह रहे हैं जो उन्होंने (सिंह) कहा था।’
सुब्रमण्यम स्वामी, बीजेपी
सुब्रमण्यम स्वामी ने कहा कि कांग्रेस पार्टी एनआरसी और नागरिकता संशोधन बिल को लेकर असमंजस में है और वह सदन को गुमराह करने का काम कर रही है। उन्होंने कहा कि पाकिस्तान, अफगानिस्तान और बांग्लादेश में इस बिल में शामिल अल्पसंख्यकों को प्रताड़ित किया जा रहा है। बीजेपी की सरकार एक्ट पास करने के बजाय काम करती है. इस संशोधन ने अनुच्छेद 14 का कोई भी उल्लंघन नहीं होने जा रहा है।
डेरेक ओ ब्रायन, तृणमूल कांग्रेस
नागरिकता विधेयक के खिलाफ लोग आंदोलन कर रहे हैं। हम एक लोकतंत्र से तानाशाही की ओर बढ़ रहे हैं। सीएबी के तत्व नाजी कॉपीबुक से खींचे गए हैं। NRC एक राज्य में विफल रहा, और अब आप कैसे कह रहे हैं कि इसे 27 राज्यों में लागू किया जाएगा। यह बहुमत बनाम नैतिकता की लड़ाई है।
केजी केनये, NPF
मैं इस बिल का समर्थन करता हूं। उत्तर-पूर्व में लोग सांप्रदायिक नहीं हैं … यह धर्म, अल्पसंख्यक या बहुसंख्यक समुदायों के बारे में नहीं है। यह अवैध प्रवासियों के बारे में है जो हमारे क्षेत्र में आ गए हैं और हमारी आबादी को धमकी दे रहे हैं।
संजय सिंह AAP
AAP के संजय सिंह ने नागरिकता पर संशोधन पर कहा, मैं इस विधेयक का विरोध कर रहा हूं क्योंकि यह बाबा साहेब अंबेडकर के बनाए गए संविधान के खिलाफ है। यह संविधान की प्रस्तावना के खिलाफ है। यह महात्मा गांधी और भगत सिंह के सपनों के भारत के खिलाफ है।
डी कुप्रेंद्र रेड्डी, जेडी (एस)
यह विधेयक इस देश में हमारी धर्मनिरपेक्षता नीति को कमजोर करेगा। मैं इस विधेयक का कड़ा विरोध करता हूं। मेरा सुझाव है कि विधेयक को जांच के लिए संसद की एक प्रवर समिति को भेजा जाए।
बालासाहेब थोराट, कांग्रेस
महाराष्ट्र के कैबिनेट मंत्री और कांग्रेस के नेता बालासाहेब थोराट ने एक बयान में कहा कि हमारा देश संविधान के हिसाब से चलता और संविधान समानता के सिद्धांत पर आधारित है। हम आशा करते हैं कि शिवसेना राज्यसभा में नागरिकता संशोधन बिल के लिए वोटिंग के समय अपने दिमाग में ये बात रखेगी।
कमल हासन, मक्कल नीडि माईम
कमल हासन ने अपने बयान कहा, ‘यह भारत को एक ऐसा देश बनाने की को कोशिश है जहां एक ही तरह के लोग रहें, जो भेदभाव है। यंग इंडिया जल्द ही इस प्रस्ताव को खारिज कर देगा। यह हमारी जिम्मेदारी है कि हम संविधान में किसी त्रुटि को सुधारें लेकिन अच्छी चीज और त्रुटि रहित व्यवस्था में सुधार लोगों और लोकतंत्र के साथ विश्वासघात है। केंद्र सरकार का लाया गया विधेयक बीमारी से मुक्त व्यक्ति की सर्जरी का प्रयास करने जैसा अपराध है।