
Shashi Tharoor : कोलंबिया की राजधानी बोगोटा में भारत के सात सर्वदलीय प्रतिनिधिमंडल का नेतृत्व कर रहे कांग्रेस सांसद शशि थरूर ने पाकिस्तान के सैन्य उपकरणों और आतंकवाद के संबंध में गंभीर खुलासे किए हैं। उन्होंने कहा कि पाकिस्तान में 81 प्रतिशत रक्षा उपकरण चीन से आते हैं, लेकिन ये उपकरण पाकिस्तान की रक्षा के बजाय हमला करने के काम आते हैं।
शशि थरूर ने कहा, “डिफेंस शब्द बहुत उदार है। ये उपकरण पाकिस्तान की रक्षा के लिए नहीं बल्कि आक्रमण के लिए हैं।” उन्होंने आतंकवाद के खिलाफ भारत द्वारा किए गए ऑपरेशन सिंदूर को लेकर कोलंबिया सरकार के साथ जानकारी साझा की और बताया कि भारत का कदम केवल आत्मरक्षा का अधिकार है, जबकि पाकिस्तान आतंकियों का समर्थन करता है।
आतंकियों की मौत पर शोक जताने पर कोलंबिया सरकार से निराश शशि थरूर ने कहा कि उन्हें उम्मीद थी कि कोलंबिया स्थिति को बेहतर समझेगा। उन्होंने कहा कि कोलंबिया ने भारत के आतंकवाद के खिलाफ कदमों पर संवेदना जताई, लेकिन उन्हें लगा कि वहां की प्रतिक्रिया पूरी तरह से स्थिति को नहीं समझ पाई है।
थरूर ने कहा, “हमने कोलंबिया को यह स्पष्ट कर दिया कि आतंकवादियों को भेजने वालों और उनका विरोध करने वालों के बीच कोई तुलना नहीं हो सकती। भारत अपने अधिकार का प्रयोग कर रहा है। पाकिस्तान ने पहलगाम में नरसंहार कर मानवता का कत्ल किया है, और कोलंबिया भी आतंकवादी हमलों का सामना कर चुका है।”
उन्होंने यह भी बताया कि भारत का ऑपरेशन सिंदूर बहुत जरूरी था, और इसके परिणामस्वरूप पाकिस्तान कांपने लगा है। “यह पाकिस्तान का डर है कि भारत का रुख सख्त है और वह आतंकियों के खिलाफ कार्रवाई जारी रखेगा।”
प्रतिनिधिमंडल के दूसरे सदस्य शिवसेना सांसद मिलिंद देवड़ा ने कहा कि कोलंबिया ने अपने गुरिल्ला युद्ध के अनुभवों के कारण भारत की बात को समझा है।
दूसरी ओर, लातविया में भारत की राजदूत नम्रता कुमार ने कहा कि भारत और लातविया के बीच मजबूत मैत्रीपूर्ण संबंध हैं। उन्होंने बताया कि सांसद कनिमोझी के नेतृत्व में भारत का प्रतिनिधिमंडल रीगा पहुंच चुका है, जहां बाल्टिक असेंबली के सदस्यों से मुलाकात हुई।
उन्होंने बताया कि बाल्टिक देशों लिथुआनिया, एस्टोनिया और लातविया के सांसदों का प्रतिनिधित्व होने वाली इस असेंबली में भारत के साथ संबंध मजबूत हैं और लातविया आतंकवाद के खिलाफ भारत के साथ है।
साथ ही, दक्षिण अफ्रीका की राजधानी प्रिटोरिया में सांसद सुप्रिया सुले के नेतृत्व में भारतीय प्रतिनिधिमंडल ने स्थानीय नेताओं, थिंक टैंकों और प्रभावशाली व्यक्तियों से मुलाकात की। इस दौरे का समापन भारतीय प्रतिनिधिमंडल ने किया, जहां उन्होंने अपने अनुभव साझा किए।
यह यात्रा विभिन्न देशों में भारत की आतंकवाद विरोधी नीति और विदेश संबंधों को मजबूत करने का प्रयास है, जिसमें नेताओं ने अपने-अपने देशों के साथ भारत के संबंधों को और अधिक मजबूत बनाने का संदेश दिया है।