अलीगढ़ : अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी (AMU) के रिसर्च स्कॉलर रहे और बाद में हिजबुल मुजाहिदीन के आतंकी बने मन्नान वानी के जम्मू एवं कश्मीर में सुरक्षा बलों के हाथों मारे जाने के बाद यहां विश्वविद्यालय परिसर में शोक सभा हुई थी, जिसका फुटेज अब सामने आया है। इसमें कुछ छात्र बैठे नजर आ रहे हैं तो कुछ चहलकदमी करते और दूर से उन्हें देखते नजर आ रहे हैं। इस दौरान पुलिसकर्मियों की भी उपस्थिति नजर आ रही है। विश्वविद्यालय प्रशासन इस मामले में 3 छात्रों को पहले ही निलंबित कर चुका है।
मन्नान वानी को सुरक्षा बलों ने गुरुवार को जम्मू एवं कश्मीर के कुपवाड़ा जिले में मार गिराया था। वह एएमयू से पीएचडी कर रहा था, लेकिन जनवरी के बाद उसके बारे में कोई जानकारी नहीं मिली। इस बीच हथियारों के साथ उसकी तस्वीरें सामने आई थीं, जिसके बाद इसका अंदेशा जताया गया कि वह जम्मू एवं कश्मीर में सक्रिय आतंकी संगठन हिजबुल मुजाहिदीन में शामिल हो गया। इसके बाद यूनिवर्सिटी ने मन्नान वानी को निष्कासित कर दिया था।
मन्नान वानी के मारे जाने के बाद AMU कैंपस में कुछ छात्र विरोध जताने के लिए एकजुट हुए थे। बताया जाता है कि यहां करीब 15 छात्र शोकसभा के लिए जुटे थे। हालांकि इस मामले में त्वरित कार्रवाई करते हुए विश्वविद्यालय प्रशासन ने 3 छात्रों को निलंबित कर दिया, जबकि 4 अन्य को भी कारण बताओ नोटिस जारी किया। इन पर शोकसभा के लिए जुटने वाले छात्रों को मदद देने का आरोप है। प्रशासन इन छात्रों के एकेडमिक रिकॉर्ड खंगाल रहा है। विश्वविद्यालय ने साफ कर दिया है कि यूनिवर्सिटी कैंपस में किसी भी तरह की राष्ट्रविरोधी गतिविधियां बर्दाश्त नहीं की जाएंगी।
4 छात्रों को कारण बताओ नोटिस
तीन छात्रों को सस्पेंड करने के अलावा चार छात्रों को कारण बताओ नोटिस जारी किया है। इन चार छात्रों पर सस्पेंड किए गए छात्रों का सपॉर्ट करने का आरोप है। छात्रों का ऐकडेमिक रिकॉर्ड निकलवाया जा रहा है। प्रॉक्टर ने साफ किया कि राष्ट्रविरोधी गतिविधियां यूनिवर्सिटी परिसर में बर्दाश्त नहीं की जाएंगी।
एक होनहार छात्र आतंकी क्यों बना?’
वहीं मन्नान की मौत पर जब एएमयू छात्रसंघ के अध्यक्ष मस्कूर अहमद उस्मानी से बात की गई तो उसने कहा, ‘सरकार को इस बात की जांच करानी चाहिए कि आखिर ऐसा क्या कारण था कि एक होनहार छात्र पढ़ाई छोड़कर आतंकवादी संगठन में शामिल हो गया। शायद उसे यह लगा हो कि अपनी बात रखने का उसके पास सिर्फ यही एक रास्ता है। सरकार को इस बात को गंभीरता से लेना चाहिए ताकि कोई अन्य युवा या छात्र ऐसा कदम न उठाए। अगर वह आतंकवादी था तो उसके लिए कोई हमदर्दी नहीं की जानी चाहिए।’