पंजाब में आप की जीत से कांग्रेस के छूटे पसीने, हिमाचल में सोनिया गांधी करेंगी ‘मेजर सर्जरी’

विधानसभा चुनाव 2022 में पंजाब की जीत को लेकर आप ने काफी मेहनत की, जिसका फल उसे पंजाब विधानसभा चुनाव में आम आदमी पार्टी की प्रचंड जीत से हासिल हुआ, लेकिन इस जीत से  हिमाचल प्रदेश में कांग्रेस की चिंता बढ़ती नजर आ रही है। वहीं पार्टी छोड़कर AAP के साथ जाने वाले कांग्रेसियों ने इस चिंता में आग में घी डालने का काम किया है। ऐसे में पार्टी आलाकमान अब हिमाचल कांग्रेस में ‘मेजर सर्जरी’ की तैयारी कर रहा है।

कांग्रेसी नेताओं को सोनिया गांधी ने दिल्ली बुलाया

सोनिया गांधी ने इसके लिए हिमाचल के बड़े कांग्रेसी नेताओं को दिल्ली तलब किया है। इन गतिविधियों के बीच आने वाले दिनों में हिमाचल कांग्रेस में नए प्रदेश अध्यक्ष समेत कुछ बड़े बदलाव देखने को मिल सकते हैं। इस बदलाव के पीछे कांग्रेस G-23 नेताओं का तल्ख तेवर भी एक वजह है, क्योंकि पार्टी की पांच राज्यों में हार के बाद G-23 ग्रुप एक बार फिर से एक्टिव हो गया है।

बैठक में विस्तार से होगी चर्चा

नई दिल्ली में पार्टी की अंतरिम अध्यक्ष सोनिया गांधी मंगलवार दोपहर बाद प्रदेश कांग्रेस के शीर्ष नेताओं के साथ मीटिंग करेंगी। इस दौरान पंजाब चुनाव परिणामों के हिमाचल पर पड़ने वाले असर पर विस्तार से चर्चा हो सकती है। अंतरिम अध्यक्ष पार्टी के नेताओं और कार्यकर्ताओं को एकजुट रहने के लिए कुछ टिप्स भी देंगी। साथ ही यह भी पक्का किया जाएगा कि आने वाले दिनों में कोई भी कांग्रेसी कार्यकर्ता या नेता पार्टी छोड़कर न जाए। इसे सुनिश्चित करने के लिए पार्टी आलाकमान स्टेट लीडरशिप में बदलाव भी कर सकता है।

नाराज युवा लीडरशिप का AAP पर टिकी नजर

हिमाचल में इस साल के अंत में विधानसभा चुनाव होना है। पंजाब और उत्तराखंड में हार के कारण पार्टी अभी से हिमाचल में संगठन को मजबूत करने की फिराक में है। पार्टी की नाराज चल रही युवा लीडरशिप का झुकाव अब AAP की ओर हो गया है। ऐसे नेता जो किसी न किसी कारण से संगठन से नाराज हैं, अब उन्होंने पार्टी का साथ छोड़ना शुरू कर दिया है। कांग्रेस की इस टूट के कारण ही प्रदेश में AAP की स्थिति मजबूत हो रही है। यही कारण है कि आम आदमी पार्टी ने भी पहाड़ी प्रदेश हिमाचल में अपनी सक्रियता बढ़ा दी है।

पंजाब-उत्तराखंड के नतीजों ने बदल डाले हिमाचल समीकरण

पंजाब और उत्तराखंड के नतीजों के कारण कांग्रेस के लिए हिमाचल में समीकरण बदलते नजर आ रहे हैं। वहीं पंजाब में मजबूती से सत्ता में आई आम आदमी पार्टी ने अपनी गतिविधियां पहाड़ी राज्य में बढ़ा दी हैं। AAP की निगाहें अब उन असंतुष्टों पर रहेंगीं, जो कांग्रेस से लंबे समय से नाराज हैं और हाशिए पर चल रहे हैं। वहीं कांग्रेस के लिए भी अब ऐसे कार्यकर्ताओं और नेताओं को अपने साथ रखना एक बड़ी चुनौती रहेगा।

कांग्रेस तीन नई नियुक्तियां कर सकती है

राजनीतिक गलियारों में चर्चा गर्म है कि हिमाचल में कांग्रेस तीन नई नियुक्तियां कर सकती है। इनमें नए प्रदेशाध्यक्ष, नेता प्रतिपक्ष और प्रदेश चुनाव प्रचार समिति अध्यक्ष का नाम फाइनल हो सकता है। यह कवायद इसलिए की जा रही है ताकि अभी से ही प्रदेश को विधानसभा चुनावों के लिए जोन में बांट कर जिम्मेदारी सौंपी जा सके।

वहीं, हिमाचल में मौजूदा प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष कुलदीप सिंह राठौर का कार्यकाल पूरा हो चुका है। उपचुनाव में भी पार्टी ने 4-0 से शानदार जीत दर्ज की। इसके बाद कयास लगाए जा रहे हैं कि कुलदीप राठौर को विधानसभा चुनाव तक न बदला जाए। हालांकि प्रदेश कांग्रेस का एक धड़ा उन्हें प्रदेशाध्यक्ष पद से हटाने की कोशिशों में जुटा है।

जानिए किसके हाथ में होगा कमान

वर्तमान में हिमाचल विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष मुकेश अग्निहोत्री को प्रदेश अध्यक्ष की जिम्मेदारी सौंपने पर मीटिंग में विचार हो सकता है। आलाकमान यह निर्णय लेता है तो इस बात पर भी विचार करेगा कि सदन में विपक्ष की आवाज उठाने वाला नेता प्रतिपक्ष कौन होगा। हालांकि हाल ही में पांच राज्यों में हुए चुनावों के नतीजों के बाद कांग्रेस हिमाचल में ऐसे जोखिम नहीं उठाना चाहेगी।

जाने किन नेताओं को बुलाया गया दिल्ली

सोनिया ने नेता प्रतिपक्ष मुकेश अग्निहोत्री, सांसद प्रतिभा सिंह, आशा कुमारी, पूर्व प्रदेश अध्यक्ष सुखविंद्र सिंह सुक्खू, पूर्व मंत्री ठाकुर कौल सिंह, सुधीर शर्मा, हर्ष वर्धन, रामलाल ठाकुर, कर्नल धनीराम शांडिल समेत कई दिग्गजों को दिल्ली तलब किया है। राष्ट्रीय अध्यक्ष के साथ होने वाली बैठक में कांग्रेस प्रदेश प्रभारी राजीव शुक्ला, सह प्रभारी संजय दत्त, तजेंद्र पाल सिंह, गुरकीरत कोटली भी रहेंगे।

आप की एंट्री से कंगाल हुई कांग्रेस

हिमाचल में आम आदमी पार्टी की एंट्री से सबसे ज्यादा नुकसान कांग्रेस को ही होगा। पार्टी के प्रदेश संगठन में टूट इसका सबसे बड़ा कारण है। पूर्व मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह के निधन के बाद पार्टी में वैसे नेतृत्व क्षमता वाले नेताओं का अभाव है। पार्टी के जो नेता हैं भी, वह कुर्सी के लिए खींचतान में जुटे हैं। भाजपा के नेतृत्व वाली सरकार के खिलाफ एंटी इनकम्बेंसी के कारण कांग्रेस हिमाचल में इस बार चुनावों में मजबूत होती, लेकिन नेताओं की टूट के कारण पार्टी और कमजोर हुई है। ऐसे में इस टूट के कारण सीधा लाभ आम आदमी पार्टी को ही मिलेगा।

G-23 ग्रुप की भूमिका पर भी नजर

वहीं पांच राज्यों में हुए चुनावों के परिणामों के बाद एक बार फिर सक्रिय हुए कांग्रेस के असंतुष्ट नेताओं के G-23 ग्रुप की भूमिका पर भी नजर रहेगी। सोनिया ने पिछले हफ्ते इन असंतुष्ट नेताओं से संपर्क किया है। पार्टी सूत्रों के अनुसार इनमें से कई वरिष्ठ नेताओं को पार्टी की निर्णय लेने वाली संस्था में समायोजित किया जाएगा। उन्हें पार्टी में महत्वपूर्ण भूमिकाएं दी जा सकती हैं। शुक्रवार को इस संबंध में सोनिया और पार्टी के वरिष्ठ नेता गुलाम नबी आजाद की बैठक भी हुई थी। यह सारी कवायद हिमाचल समेत अन्य राज्यों में होने वाले चुनावों में पार्टी को एकजुट रखने के लिए की जा रही है।

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