पंजाब कांग्रेस ने चुनाव से पहले नशे के खिलाफ कार्रवाई के दावे किए। बिक्रम मजीठिया पर मामला दर्ज करके भी कांग्रेस हाईकमान ने लोगों से वोट मांगे। अब जब वोट डालने की प्रक्रिया खत्म हो गई है तो कांग्रेस सांसद गुरजीत औजला ने डीजीपी वीरेश कुमार भावरा को खत लिख नशा खत्म करने की मांग की है। उन्होंने पुलिस पर नशा बेचने वालों पर कार्रवाई ना करने के आरोप लगाए हैं।
डीजीपी को लिखे खत में सांसद औजला ने कहा है कि पंजाब राज्य के लोग जो कभी अपनी बुद्धि और वीरता के लिए जाने जाते थे, अब उन्हें अंतरराष्ट्रीय मंचों पर नशेड़ी कहा जाता है। पंजाब राज्य में मादक पदार्थों की लत और नशीली दवाओं से संबंधित मौतों की संख्या में तेजी से वृद्धि हुई है, जिसकी जिम्मेदारी पुलिस प्रशासन पर आती है।
वह लंबे समय से नशीली दवाओं के खतरे के खिलाफ काम कर रहे हैं। कई मौकों पर उन्होंने जिला पुलिस को कार्रवाई करने के लिए सतर्क किया है, लेकिन स्थानीय पुलिस के चुप रहने के रवैये ने निवासियों का उन पर विश्वास खो दिया है।
खुले में बिक रहा नशा
औजला ने कहा है कि ज्यादातर स्लम क्षेत्रों में अवैध नशा, अवैध शराब और दड़ा सट्टा आम हो रहा है और इसके लिए लोगों में असंतोष है। यह असंतोष निम्न और मध्यम वर्ग के निवासियों को बुरी तरह उलझा रहा है। मादक पदार्थ की तस्करी की जांच में कई वरिष्ठ अधिकारियों और राजनेताओं के नाम कई मौकों पर सामने आए हैं, लेकिन वे कार्रवाई के बजाय सीलबंद लिफाफे में पड़े हैं।
संसद में भी उठाया मुद्दा
इस मामले को लोकसभा में भी उन्होंने उठाया है। थाना स्तर पर कंजम्पशन और पेडलर से पकड़ी गई सामग्री काफी छोटी होती है। लेकिन पुलिस उसके आगे बड़ी मछली तक पहुंचने का प्रयास ही नहीं करते। हाल के दिनों में विभिन्न राज्यों के पुलिस विभागों ने पारंपरिक तरीकों को दरकिनार करते हुए आधुनिक साधनों और तकनीकों के साथ अपने क्षेत्रों में इस खतरे को रोकने के लिए पूरी जिम्मेदारी ली है। ऐसा ही पंजाब में भी करने की जरूरत है।