यूपी में कोरोना वाला ‘कातिल’ गुरुवार, मौत का टूटा रिकॉर्ड, नए केस ने तोड़े सारे रिकॉर्ड

लखनऊ : कोरोना संक्रमण के मामले में गुरुवार को यूपी में नया रेकॉर्ड बना है। कोरोना वायरस संक्रमण के एक ही दिन में सबसे अधिक 4658 मामले सामने आए हैं। साथ ही एक दिन में सर्वाधिक 61 मरीजों की मौत हुई है। अब तक यूपी में कोरोन से 1,918 मरीजों की मौत हो चुकी है।

अपर मुख्य सचिव (चिकित्सा एवं स्वास्थ्य) अमित मोहन प्रसाद ने बताया कि कोरोना के 43, 654 मरीजों का इलाज चल रहा है जबकि 63, 402 लोग ठीक हो चुके हैं। प्रदेश में संक्रमितों की संख्या 1, 08, 974 हो गई है। इस तरह राज्य में एक दिन में संक्रमण और मौत के सर्वाधिक मामले सामने आए हैं। 

होम आइसोलेशन में हैं 14, 206 मरीज
प्रसाद ने बताया कि बुधवार को प्रदेश में 87, 348 नमूनों की जांच की गई। अब तक 27, 97, 687 नमूनों की जांच हो चुकी है। बुधवार को 59, 846 नमूनों की जांच एंटीजन के जरिए और बाकी आरटी-पीसीआर एवं ट्रूनेट के जरिए की गई। अपर मुख्य सचिव ने बताया कि इस समय प्रदेश में होम आइसोलेशन में 14, 206 लोग रह रहे हैं, जबकि 1282 लोग निजी अस्पतालों में इलाज करा रहे हैं, जहां भुगतान के द्वारा इलाज की सुविधा उपलब्ध है।

कुल 46, 504 इलाकों में निगरानी का काम
इसके अलावा अर्द्धभुगतान व्यवस्था में 178 लोग इलाज करा रहे हैं। ऐसी व्यवस्था में होटलों में लक्षणविहीन लोग जहां रहते हैं, वहां सरकारी चिकित्सकीय टीम उन्हें चिकित्सा सुविधा देती है। बाकी सभी मरीज हमारी त्रिस्तरीय व्यवस्था एल-1, एल-2, और एल-3 में अस्पतालों में अपना इलाज करा रहे हैं। निगरानी का काम लगातार चल रहा है। कुल 46, 504 इलाकों में निगरानी का काम किया गया।

प्रसाद ने बताया कि प्रदेश में कोविड हेल्प डेस्क की स्थापना की गई है। प्रमुख कार्यालयों, प्रतिष्ठानें, सरकारी अस्पतालों और निजी चिकित्सालयों में कोविड हेल्पडेस्क की स्थापना की गई है, जहां किसी भी व्यक्ति की प्रारंभिक स्क्रीनिंग की जा सकती है। अब तक 61, 350 कोविड हेल्पडेस्क बनाए गए हैं और इनके जरिए लक्षण वाले 3, 12, 972 लोगों को चिन्हित किया गया है। उनके नमूने की जांच कराई गई है।

हेल्‍पडेस्‍क से हो रहा फायदा
उन्होंने बताया, ‘कोविड हेल्पडेस्क उत्तर प्रदेश राज्य का अनोखा प्रयोग है । उसका हमें लगातार लाभ मिल रहा है। कोविड हेल्पडेस्क पर इन्फ्रारेड थर्मामीटर, पल्स ऑक्सिमीटर और सेनिटाइजर उपलब्ध होता है। वहां जांच के बाद अगर किसी में लक्षण मिलता है तो उसे प्रतिष्ठान में आने से मना किया जाता है ताकि अन्य लोगों को किसी तरह के संक्रमण की आशंका ना रहे।’

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