Cough Syrup: मप्र में ‘जानलेवा’ कप सिरफ से पीड़ित दो और बच्चों ने दम तोड़ा, मृतकों की संख्‍या हुई 21, कोल्ड्रिफ निर्माता कंपनी का डायरेक्टर फरार

– कोल्ड्रिफ निर्माता कंपनी का डायरेक्टर फरार, छिंदवाड़ा पुलिस ने 20 हजार का इनाम घोषित किया

भोपाल। मध्य प्रदेश में जहरीले कोल्ड्रिफ कफ सिरप की वजह से बच्चों की मौत का सिलसिला थमने का नाम नहीं ले रहा है। बुधवार तक कफ सिरप के सेवन के बाद किडनी फेल होने से दो और बच्चों की बुधवार को मृत्यु हो गई। छह वर्षीय दिव्यांशु यदुवंशी और तीन साल के वेदांश काकोड़िया ने नागपुर में दम तोड़ दिया। इसके बाद मृतक बच्चों की कुल संख्या 21 हो गई है। इनमें 18 बच्चे छिंदवाड़ा, दो बैतूल और एक पांढुर्णा जिले का था। सभी की उम्र आठ वर्ष से कम है।

कोल्ड्रिफ में जहरीला रसायन डायथिलीन ग्लायकाल मानक से 486 गुना अधिक (0.1 प्रतिशत से कम की जगह 48.6 प्रतिशत) मिलाने वाली तमिलनाडु के कांचीपुरम की श्रीसन फार्मास्यूटिकल का डायरेक्टर जी रंगनाथन फरार है। पुलिस उप महानिरीक्षक छिंदवाड़ा जोन राकेश कुमार सिंह ने फरार दवा निर्माता कंपनी श्रीसन फार्मास्यूटिकल मैन्युफैक्चरर के संचालक रंगनाथन की गिरफ्तारी या गिरफ्तारी कराने वाले व्यक्ति को बीस हजार रुपये का नगद इनाम देने की घोषणा की है।

गौरतलब है कि प्रकरण की गंभीरता को देखते हुए, पुलिस महानिरीक्षक (आईजी) जोन जबलपुर प्रमोद वर्मा ने मामले की विवेचना के लिए विशेष एसआईटी टीम गठित की है। एसडीओपी जितेन्द्र जाट को इस टीम के नेतृत्व में विधिवत साक्ष्य संकलन और चालानी कार्रवाई पूर्ण करने के निर्देश दिए गए हैं। परासिया के बीएमओ डॉ. अंकित सहलाम द्वारा प्रस्तुत आवेदन के आधार पर यह पुष्टि हुई कि औषधि कोल्ड्रिफ में विषैला मिलावटी पदार्थ डाई ईथीलीन ग्लाइकोल पाया गया। इस संबंध में थाना परासिया में 05 अक्टूबर को धारा 105, 276 बी.एन.एस. (भारतीय न्याय संहिता), और 27(ए) औषधि और प्रसाधन सामग्री अधिनियम 1940 के तहत मामला दर्ज किया गया है।

मध्य प्रदेश पुलिस की एसआईटी ने कांचीपुरम पहुंचकर बुधवार को जी. रंगनाथन की तलाश में छापेमारी की। एसआईटी ने औषधि प्रशासन व अन्य संबंधित विभागों में दिनभर पूछताछ की और दस्तावेज खंगाले। टीम ने तमिलनाडु पुलिस के सहयोग से फैक्ट्री में कर्मचारियों से पूछताछ की और कार्यालय व अन्य जगहों पर भी दबिश दी। कंपनी के मालिक जी. रंगनाथन के आवास पर भी ताला लगा है। यह जानकारी मिलने के बाद छिंदवाड़ा पुलिस ने जी. रंगनाथन की गिरफ्तारी के लिए इनाम की घोषणा की।

कोल्ड्रिफ सिरप बनाने वाली कंपनी को किया गया सील

मध्य प्रदेश के छिंदवाड़ा और बैतूल जिले में बच्चों की मौत का कारण बने कोल्ड्रिफ सिरप बनाने वाली कंपनी को तमिलनाडु सरकार ने बुधवार को सील कर दिया। तमिलनाडु सरकार ने चेन्नई बेस्ट कंपनी के खिलाफ आपराधिक प्रकरण दर्ज करने की भी बात कही है। तमिलनाडु के स्वास्थ्य मंत्री सुब्रमण्यम ने बुधवार को बताया कि सरकार ने कंपनी को दूसरा नोटिस जारी किया है, जिसमें पूछा गया है कि डाइएथिलीन ग्लाइकॉल जैसे जहरीले रसायन की मौजूदगी के चलते कंपनी के खिलाफ आपराधिक कार्रवाई क्यों न की जाए।

कोल्ड्रिफ सिरप बनाने वाली कंपनी को किया गया सील, मप्र की एसआईटी टीम ने भी चेन्नई पहुंचकर की जांच

मध्य प्रदेश के छिंदवाड़ा और बैतूल जिले में बच्चों की मौत का कारण बने कोल्ड्रिफ सिरप बनाने वाली कंपनी को तमिलनाडु सरकार ने बुधवार को सील कर दिया। तमिलनाडु सरकार ने चेन्नई बेस्ट कंपनी के खिलाफ आपराधिक प्रकरण दर्ज करने की भी बात कही है। तमिलनाडु के स्वास्थ्य मंत्री सुब्रमण्यम ने बुधवार को बताया कि सरकार ने कंपनी को दूसरा नोटिस जारी किया है, जिसमें पूछा गया है कि डाइएथिलीन ग्लाइकॉल जैसे जहरीले रसायन की मौजूदगी के चलते कंपनी के खिलाफ आपराधिक कार्रवाई क्यों न की जाए।

दरअसल, मप्र में कोल्ड्रिफ कफ सिरप के सेवन के बाद किडनी फैल होने से लगातार हो रही बच्चों की मौत के बाद मध्य प्रदेश सरकार द्वारा बनाई विशेष जांच टीम (एसआईटी) बुधवार को तमिलनाडु पहुंची। मप्र सरकार ने जबलपुर की एडीशनल एसपी अंजना तिवारी के नेतृत्व में एसआइटी बनाई गई है। परासिया एसडीओपी जितेंद्र जाट के नेतृत्व में दो टीमें बुधवार को तमिलनाडु के चेन्नई और कांचीपुरम पहुंची। टीम ने कंपनी के रजिस्टर्ड ऑफिस और कांचीपुरम स्थित प्लांट का दौरा कर साक्ष्य जुटाए। अधिकारियों के मुताबिक, कंपनी का मालिक तीन दिन पहले ही परिसर छोड़कर चला गया था।

गौरतलब है कि मध्य प्रदेश में बच्चों की मौत के बाद कोल्ड्रिफ कप सिरप के नमूने जांच के लिए चेन्नई भेजे गए थे। तमिलनाडु सरकार की जांच में कोल्ड्रिफ सिरप में 48.6% जहरीला रसायन डायएथिलिन ग्लायकॉल पाया गया था। कोल्ड्रिफ कफ सिरप बनाने की फैक्ट्री कांचीपुरम जिले के सुंगुवर्चत्रम में स्थित है और पिछले 14 वर्षों से इस सिरप का निर्माण कर रही थी। यह कंपनी अपने उत्पादों की आपूर्ति कई राज्यों को करती रही थी।

केन्द्र ने सभी राज्यों के औषधि नियंत्रकों को लिखा पत्र, औषधियों के परीक्षण में कड़ाई से अनुपालन के दिए निर्देश


देश के कई राज्यों में मिलावटी कफ सिरप पीने से बच्चों की मौत की खबरों के बीच औषधि नियंत्रक जनरल (सीडीएससीओ) डॉ. राजीव सिंह रघुवंशी ने सभी राज्यों के औषधि नियंत्रकों को दवाइयों के परीक्षण में सख्ती से पालन करने के निर्देश दिए। सात अक्टूबर को सभी राज्यों के औषधि नियंत्रकों को लिखे पत्र में सीडीएससीओ ने कहा कि औषधीय निर्माण में प्रयुक्त किए जाने वाले कच्चे माल(एक्सीपिएंट्स) के उपयोग से पूर्व परीक्षण किया जाना अत्यंत आवश्यक है। हाल ही में मध्य प्रदेश के छिंदवाड़ा में बच्चों की मृत्यु की घटनाएं रिपोर्ट की गई हैं, जो कथित रूप से दूषित खांसी की दवाओं से संबंधित हैं तथा इन दवाओं की गुणवत्ता पर चिंता व्यक्त की गई है।

सीडीएससीओ ने चिंता व्यक्त करते हुए कहा कि निर्माण इकाइयों में की गई निरीक्षणों एवं मानक गुणवत्ता के अनुरूप न पाई गई औषधियों की जांच के दौरान यह देखा गया है कि निर्माता, निर्माण से पहले प्रयुक्त प्रत्येक बैच के एक्सीपिएंट्स निष्क्रिय एवं सक्रिय औषधीय बैच का परीक्षण नहीं कर रहे हैं और न ही तैयार औषधि उत्पादों का नियमानुसार परीक्षण कर रहे हैं। ड्रग्स नियम, 1945 की नियम 74(सी) एवं नियम 78(सी)(ii) के अनुसार, लाइसेंसधारी को अपने स्वयं के प्रयोगशाला में या लाइसेंसिंग प्राधिकारी द्वारा अनुमोदित किसी प्रयोगशाला में अपने उत्पाद के निर्माण में प्रयुक्त प्रत्येक बैच अथवा लॉट के कच्चे माल तथा प्रत्येक बैच के अंतिम उत्पाद का परीक्षण अवश्यक करें।

सीडीएसओ ने सभी राज्यों के औषधि नियंत्रकों को दवाओं के परीक्षण की प्रक्रिया की निगरानी सुनिश्चित करने को कहा है। इसके इस दिशा में की गई कार्रवाई की रिपोर्ट भी सौंपने को कहा है।

कफ सिरप में ‘डेक्सट्रोमेथॉर्फन हाइड्रोब्रोमाइड’ घटक के उपयोग पर पूरी तरह प्रतिबंध नहींः सरकार


देश के अलग-अलग हिस्सों में इन दिनों कफ सिरप से बच्चों की मौत की खबर के बीच सोशल मीडिया पर एक वीडियो में दावा किया गया है कि सरकार ने कफ सिरप में ‘डेक्सट्रोमेथॉर्फन हाइड्रोब्रोमाइड’ नामक घटक पर पूरी तरह से प्रतिबंध लगा दिया है। वहीं, केन्द्र सरकार ने इस खबर को भ्रामक और पूरी तरह से गलत बताया है।

केन्द्र सरकार के पत्र सूचना कार्यालय (पीआईबी) फैक्ट चेक ने बुधवार को बताया कि खासी की दवा कफ सिरप में ‘डेक्सट्रोमेथॉर्फन हाइड्रोब्रोमाइड’ घटक के उपयोग पर पूरी तरह से प्रतिबंध नहीं है। केंद्रीय औषधि मानक नियंत्रण संगठन (सीडीएससीओ) ने ‘डेक्सट्रोमेथॉर्फन हाइड्रोब्रोमाइड’ युक्त कुछ निश्चित-खुराक संयोजनों पर प्रतिबंध लगा दिया है। विशेष रूप से उन पर जो एंटीहिस्टामाइन और डिकंजेस्टेंट के साथ मिलाए जाते हैं। मुख्य रूप से 4 साल के बच्चों में उनके उपयोग को सीमित किया गया है।

उल्लेखनीय है कि डेक्सट्रोमेथॉर्फन हाइड्रोब्रोमाइड एक कफ सप्रेसेंट है जिसका उपयोग सूखी, अनुत्पादक खांसी से राहत पाने के लिए खांसी की इच्छा को कम करके किया जाता है। यह आमतौर पर सर्दी-ज़ुकाम की दवाओं में अस्थायी राहत के लिए पाया जाता है। देश के अलग-अलग हिस्सों में इन दिनों कफ सिरप से बच्चों की मौत की खबर लगातार सामने आ रही है। राजस्थान, मध्य प्रदेश जैसे कई राज्यों में कफ सिरप पीने से कई बच्चों की मौत हो गई है।

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