नई दिल्ली. अपराध की दुनिया में विचित्र और हैरतअंगेज नाम रखना, अपराधियों का शगल माना जाता है. खासकर, नक्सल-आंदोलन से जुड़े उग्रवादियों के नाम ऐसे ही होते हैं. अपराधी, अपनी दहशत को बढ़ा-चढ़ाकर दिखाने के लिए ऐसे नाम चुनते हैं. इससे एक तरफ जहां वे अपराध की दुनिया में अपनी रौब जमाते हैं, वहीं दूसरी ओर समाज में उनके नाम का खौफ फैलता है. पुलिस भी अक्सर ऐसे नाम-धारियों को उनके प्रचलित नामों से ही बुलाती है, लिहाजा विचित्र तरह के नाम अपराधियों की पहचान बन जाते हैं. कुछ ऐसा ही हाल आजकल झारखंड में है, जहां एक खास किस्म की पिस्टल को ‘सेक्सी’ नाम दिया गया है.
आपको जानकर हैरानी होगी कि झारखंड की राजधानी रांची और आसपास के इलाकों के अपराधी आजकल 9 एमएम की पिस्टल के लिए ‘सेक्सी’ नाम का इस्तेमाल कर रहे हैं. अपनी बेहतरीन खूबियों के कारण इस पिस्टल का अवैध इस्तेमाल धड़ल्ले से किया जा रहा है. इसका प्रमाण है पिछले 3 महीनों में रांची और आसपास के इलाकों में पुलिस द्वारा 5 दर्जन से ज्यादा ‘सेक्सी’ यानी 9 एमएम पिस्टल बरामद किया जाना. रांची पुलिस अपराध की दुनिया में 9 एमएम की इस पिस्टल के बड़े पैमाने पर इस्तेमाल से परेशान है.
क्यों पॉपुलर है 9 एमएम की पिस्टल
अचूक मारक क्षमता, बेहतरीन लुक, आकर्षक ब्लैक मेटल कलर, जबर्दस्त हैंडग्रिप के कारण 9 एमएम की पिस्टल अपराधियों के बीच लोकप्रिय हो रही है. छोटे से लेकिन बेहद खतरनाक इस हथियार की खूबी यह भी है कि इसमें एक बार में दर्जनभर से ज्यादा गोलियां लोड की जा सकती हैं. इस्तेमाल में आसानी और पास रखने में सुविधाजनक होने के कारण इसे कहीं भी पुलिस की नजरों से छुपाकर लाया-ले जाया जा सकता है.
वहीं, लगातार फायर करने के बाद भी इसकी बॉडी गर्म नहीं होती, इसलिए यह इस्तेमाल करने में भी सुरक्षित है. हालांकि, आम लोगों के लिए हथियार का लाइसेंस हासिल करना ही बहुत कठिन काम है, उसमें भी पिस्टल के लिए लाइसेंस लेना आसान नहीं है. लेकिन अवैध रूप से पिस्टल या कोई भी हथियार सहजता से मिल जाता है. जाहिर है, इन हथियारों का अवैध इस्तेमाल बढ़ने के कारण ही पुलिस परेशान है. रांची रेंज के आईजी ए.वी. होमकर ने बीते दिनों रांची में एक स्थानीय टीवी चैनल इनाडु से बातचीत में भी माना कि झारखंड की राजधानी और आसपास के इलाकों में 9 एमएम की पिस्टल और अन्य अवैध हथियारों की बरामदगी होना चिंता की बात है. उन्होंने कहा कि पुलिस हथियार तस्करी और आर्म्स डीलरों पर लगाम कसने की दिशा में काम कर रही है.
सिर्फ ‘सेक्सी’ ही नहीं, अन्य हथियारों की भी तस्करी
रांची रेंज के आईजी ए.वी. होमकर ने टीवी चैनल से बातचीत में कहा कि बीते दिनों 7.65 एमएम और 9 एमएम की पिस्टल बरामद होने के कई मामलों को देखते हुए पुलिस झारखंड के पड़ोसी राज्यों से अवैध रूप से आने वाले हथियारों की गहनता से निगरानी कर रही है. उन्होंने कहा कि पुलिस की नजर उन तमाम हथियार तस्करों और राज्य में सक्रिय अपराधियों पर है जो पड़ोसी राज्यों से हथियार लाने-ले जाने का काम करते हैं. पुलिस ने ऐसे सभी संदिग्ध लोगों का डाटाबेस बना लिया है.
इस काम में सीआईडी और पड़ोसी राज्यों की पुलिस की भी मदद ली जा रही है, ताकि अवैध हथियारों की तस्करी पर लगाम लगाई जा सके. पुलिस हथियार तस्करी में इस्तेमाल होने वाले बच्चों और महिलाओं पर भी नजर रख रही है. क्योंकि पता चला है कि हथियार तस्करी में सक्रिय लोग पिस्टल जैसे छोटे आग्नेयास्त्रों की तस्करी के लिए बच्चों और महिलाओं का सहारा लेते हैं, ताकि पुलिस को संदेह न हो. होमकर ने हाल के दिनों में रांची के विभिन्न इलाकों से बड़ी तादाद में 9 एमएम की पिस्टलों की बरामदगी को पुलिस की इसी कवायद का नतीजा बताया.
50 हजार से 1 लाख रुपए में मिलता है हथियार
झारखंड के विभिन्न हिस्सों में सक्रिय अपराधियों के लिए अवैध रूप से हथियार हासिल करना बहुत कठिन काम नहीं है. पुलिस के अनुसार, झारखंड में ज्यादातर अवैध हथियार पड़ोसी राज्य बिहार के मुंगेर से लाए जाते हैं. कभी बंदूक कारखानों के लिए मशहूर रहा बिहार का मुंगेर जिला, आजकल अवैध हथियारों के सबसे बड़े ठिकाना बन गया है. मुंगेर से बड़े पैमाने पर पिस्टल, देसी कारतूस, कट्टा आदि अवैध रूप से झारखंड लाए जाते हैं. मुंगेर में बनने वाले ये पिस्टल 50 हजार से लेकर 1 लाख रुपए तक में हासिल हो जाते हैं. चूंकि छोटे आकार की वजह से पिस्टल को लाना-ले जाना सुविधाजनक है, इसलिए हथियार तस्कर पुलिस की नजर बचाकर आसानी से ये हथियार अपराधियों तक पहुंचा देते हैं.