देहरादून । उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने यूनिफॉर्म सिविल कोड यानी समान नागरिक संहिता को लागू करने में एक ओर कदम आगे बढ़ा दिया है. आज सरकार ने इसके लिए पांच सदस्यीय यूनिफॉर्म सिविल कोट ड्राफ्ट कमेटी का गठन कर दिया है. वहीं, सीएम धामी ने इस ड्राफ्ट कमेटी को लेकर एक ट्वीट भी किया है जिसमें उन्होंने कहा है कि देवभूमि की संस्कृति को संरक्षित और सभी धार्मिक समुदायों को एकरूपता प्रदान करने में यह कानून मददगार साबित होगा।
देवभूमि की संस्कृति को संरक्षित करते हुए सभी धार्मिक समुदायों को एकरूपता प्रदान करने के लिए मा. न्यायाधीश उच्चतम न्यायालय (सेवानिवृत्त) रंजना प्रकाश देसाई जी की अध्यक्षता में समान नागरिक संहिता (UCC) के क्रियान्वयन हेतु विशेषज्ञ समिति का गठन कर दिया गया है।#UniformCivilCode pic.twitter.com/JneieKhNmc
— Pushkar Singh Dhami (@pushkardhami) May 27, 2022
बता दें कि इस ड्रॉफ्ट कमेटी की पांच सदस्यीय टीम में सुप्रीम की रिटायर्ड जस्टिस रंजना देसाई चेयरमैन बनाया गया है. वहीं, ड्राफ्ट कमेटी के अन्य सदस्यों में दिल्ली हाई कोर्ट के पूर्व जस्टिस प्रमोद कोहली, उत्तराखंड के पूर्व प्रमुख सचिव शत्रुघ्न सिन्हा, सुरेख डंगवाल और मनु गौड़ शामिल हैं।
कर्तव्य को लागू किए जाने का प्रावधान
यूनिफॉर्म सिविल कोड या समान नागरिक संहिता बिना किसी धर्म के दायरे में बंटकर हर समाज के लिए एक समान कानूनी अधिकार और कर्तव्य को लागू किए जाने का प्रावधान है. इसके तहत राज्य में निवास करने वाले लोगों के लिए एक समान कानून का प्रावधान किया गया है. धर्म के आधार पर किसी भी समुदाय को कोई विशेष लाभ नहीं मिल सकता है।
यूनिफॉर्म सिविल कोड लागू होने की स्थिति में राज्य में निवास करने वाले प्रत्येक व्यक्ति पर एक कानून लागू होगा. कानून का किसी धर्म विशेष से कोई ताल्लुक नहीं रह जाएगा. ऐसे में अलग-अलग धर्मों के पर्सनल लॉ खत्म हो जाएंगे. अभी देश में मुस्लिम पर्सनल लॉ, इसाई पर्सनल लॉ और पारसी पर्सनल लॉ को धर्म से जुड़े मामलों में आधार बनाया जाता है. यूनिफॉर्म सिविल कोड लागू होने की स्थिति में यह खत्म हो जाएगा। इससे शादी, तलाक और जमीन-जायदाद के मामले में एक कानून हो जाएंगे।
यूनिफॉर्म सिविल कोड लागू होने की स्थिति में राज्य में निवास करने वाले प्रत्येक व्यक्ति पर एक कानून लागू होगा. कानून का किसी धर्म विशेष से कोई ताल्लुक नहीं रह जाएगा. ऐसे में अलग-अलग धर्मों के पर्सनल लॉ खत्म हो जाएंगे. अभी देश में मुस्लिम पर्सनल लॉ, इसाई पर्सनल लॉ और पारसी पर्सनल लॉ को धर्म से जुड़े मामलों में आधार बनाया जाता है. यूनिफॉर्म सिविल कोड लागू होने की स्थिति में यह खत्म हो जाएगा। इससे शादी, तलाक और जमीन-जायदाद के मामले में एक कानून हो जाएंगे।
खुशी के बजाय हो रहा है विरोध
राज्य में निवास करने वाले लोगों को एक समान कानूनी अधिकार मिलने की स्थिति में तो लोगों को खुश होना चाहिए, फिर विरोध क्यों हो रहा है? इस सवाल का जवाब विशेषज्ञ देते हैं कि धर्म का मामला बताकर कई मामलों में लोग कानूनी प्रावधानों से बच जाते हैं. मुस्लिम धर्म में पहले तीन तलाक की प्रथा चली आ रही थी. उसे देश की संसद ने खत्म कर दिया।
ऐसे में यूनिफॉर्म सिविल कोड लागू होने के बाद चार शादियों वाली प्रथा पर भी रोक लग जाएगी. एक से अधिक शादियां करना गैरकानूनी हो जाएगा. वहीं, जमीन-जायदाद पर हक के मामलों में अन्य धर्मों में महिलाओं को अधिकार कम दिए गए हैं. यूनिफॉर्म सिविल कोड महिलाओं को पुरुषों के समान ही पिता की संपत्ति पर अधिकार दिला देगा।
यह कुछ लोगों को खटक रहा है.साथ ही, यूनिफॉर्म सिविल कोड के जरिए एक धर्म को बढ़ावा देने का आरोप लगता रहा है. यह भारतीय जनता पार्टी और आरएसएस के एजेंडे में शामिल रहा है. वहीं, कुछ धर्मों के नियम खत्म करने का आरोप भी इस पर लगता रहा है. मुस्लिम समुदाय की ओर से टारगेट करके मुस्लिम पर्सनल लॉ को खत्म करने का आरोप लगाया जाता रहा है।