
जपाईगो के सहयोग से प्रशिक्षित हुए कम्यूनिटी हेल्थ ऑफिसर
बहराइच l सामान्यतः शरीर में होने वाली किसी भी बीमारी के सापेक्ष मुंह और दाँत में होने वाली समस्याओं के प्रति सजगता कम रहती है। यही कारण है जब तक दातों में अत्यधिक पीड़ा या उनके गिरने की नौबत न आ जाय तब तक डॉक्टरी सलाह की अवश्यकता महसूस नहीं होती। वहीं गलत खान-पान व मुख एवं दांतों की ठीक से देखभाल न होने पर कैंसर सहित अन्य बीमारियों के जन्म लेने का खतरा बना रहता है।
यह बातें अचल प्रशिक्षण केंद्र में कम्यूनिटी हेल्थ ऑफिसर को संबोधित करते हुये दंत रोग विशेषज्ञ डॉ0 जसमीत सिंह ने कही। उन्होने बताया दांत तीन प्रकार की परतों से मिलकर बना है। इसमें पहली व दूसरी परत में क्षति होने पर व्यक्ति को कोई खास समस्या या दर्द नहीं होता। वहीं बैक्टीरिया की वजह से जब दांत की तीसरी परत को क्षति पहुँचती है, ऐसे में व्यक्ति को असहनीय दर्द, दांतों का हिलना या पानी लगना आदि समस्याएँ होती हैं। उन्होने बताया पहली परत के क्षति होने पर ही यदि उपचार कर लिया जाय तो लंबे समय तक दांतों को स्वस्थ रखा जा सकता है।
तंबाकू मुँह के कैंसर का बढ़ा कारण –
डॉ0 जसमीत ने बताया देश में हर साल 1.30 लाख मुँह के क़ैसर के मामले आते हैं। वहीं कैंसर के सभी प्रकार के मरीजों में 10 में से 4 मरीज मुँह के क़ैसर के होते हैं। मुँह के क़ैसर के मरीजों की 5 साल तक जीवित रहने की संभावना केवल पचास फीसदी ही होती है। उन्होने बताया सभी नियमित तंबाकू चबाने वालों को हर महीने पूरे मुँह का स्वयं परीक्षण कर किसी भी तरह का लक्षण होने पर चिकित्सीय परामर्श लेना चाहिए।
जल्दी पता लगाने से बच सकता है जीवन –
नोडल व डीसीपीएम मो0 राशिद ने बताया कि दातों की बनावट मुँह एवं दांतों के आकार व रंग आदि के सामान्य परीक्षण से शुरुआत में ही शुगर,लीवर, एनीमिया व कैंसर जैसी कई बीमारियों का जल्दी पता लगाया जा सकता है। इसके लिए जनपद के 224 हेल्थ एंड वेलनेश सेंटरों पर तैनात 224 कम्यूनिटी हेल्थ ऑफिसर यानि सीएचओ को अलग अलग बैचों में प्रशिक्षित किया जाएगा। सभी सीएचओ अपने क्षेत्र की आशाओं को दंत एवं मुख रोग के सामान्य लक्षणों की पहचान से अवगत कराएंगे। तत्पश्चात आशाएँ लक्षणों के आधार पर लोगों को हेल्थ एंड वेलनेश सेंटरों पर इलाज के लिए प्रेरित करेंगी।
मुँह के कैंसर के मुख्य कारण –
◆ सिगरेट/बीड़ी
◆ तंबाकू
◆ तंबाकू से बने मंजन
◆ शराब
◆ सुपारी
क़ैसर पूर्व अवस्था –
◆ मुँह में सफ़ेद चकत्ता
◆ लाल मखमली पैच
◆ तालू का सफ़ेद होना
◆ दांतों व मसूड़ों मे घाव
◆ खून का रिसाव
◆ लंबे समय से छाले
◆ मुँह का सुखना
बचपन से ही करें मुँह के स्वास्थ्य की देखभाल –
जपाईगो की प्रोग्राम ऑफिसर डॉ0 नेहा ने बताया कि बच्चों के दातों में कीड़ा लगने की संभावना अधिक होती है । इसलिए जन्म से ही शिशु के मुँह की देखभाल करनी चाहिए । उन्होने बताया स्तनपान के बाद साफ गीले कपड़े से शिशु के मसूड़ों को साफ कर दें । इसके अलावा बच्चों को मीठे चिपचिपे खाद्य पदार्थ जैसे टाफी, चाकलेट , केक जैम चीनी युक्त जूस, बिस्कुट इत्यादि खाने के बाद कुल्ला अवश्य कराया जाय ।दांतों में सड़न दिखाई देने पर चिकित्सक की सलाह लें।