नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार के तीन तलाक पर दोबारा अध्यादेश को चुनौती देने वाली एक और याचिका पर सुनवाई करने से इनकार कर दिया है। याचिका समस्त केरल जमीयत उलेमा ने दायर की है। याचिका में कहा गया था कि पारिवारिक मामले में सजा का प्रावधान गलत है।
सरकार कानून पास करने की बजाय बार-बार इस पर अध्यादेश ला रही है। पिछले 11 मार्च को वकील दीपक कंसल की याचिका पर भी कोर्ट ने सुनवाई से इनकार कर दिया था। कोर्ट ने कहा था कि हम इसमें कुछ नहीं कर सकते क्योंकि ये विधेयक राज्यसभा में नहीं भेजा गया है और लोकसभा भंग हो गई है। ट्रिपल तलाक बिल लोकसभा में पारित हो गया था लेकिन ये राज्यसभा में पेश नहीं हो सका। विधेयक को संसद की मंजूरी नहीं मिलने की वजह से इस पर दोबारा अध्यादेश लाया गया।
दोबारा अध्यादेश लाने के सरकार के फैसले के खिलाफ यह याचिका दायर की गई थी। 2 नवंबर 2018 को भी सुप्रीम कोर्ट ने पहली बार लाए गए अध्यादेश के खिलाफ दायर याचिका पर सुनवाई करने से इनकार कर दिया था। चीफ जस्टिस रंजन गोगोई ने कहा कि इस अध्यादेश को केंद्र सरकार ने 19 सितंबर 2018 को लाया था। इस अध्यादेश के आए हुए तीन महीने बीत गए हैं ऐसे में इस याचिका का क्या मतलब है।