डॉक्टरों को काम पर लौटना होगा, लोग आपका इंतजार कर रहे हैं : CJI

कोलकाता मामले पर सुनवाई के दौरान वरिष्ठ अधिवक्ता तुषार मेहता ने कहा कि डॉक्टर्स 36-36 घंटे काम कर रहे हैं। कोर्ट से डॉक्टर्स को सुरक्षा का भरोसा मिल जाए तो उनको संतोष होगा, उन्हें अपनी बात कहने का मौका दिया जाए। इस पर CJI चंद्रचूड़ ने कहा कि डॉक्टरों की 36 से 48 घंटों की ड्यूटी सही नहीं है, हम जानते हैं कि डॉक्टर 36 घंटे काम कर रहे हैं। मैं खुद एक सरकारी अस्पताल में फर्श पर सोया हूं, जब मेरे परिवार का एक सदस्य बीमार था। हमें बहुत सारे ईमेल मिले हैं जिसमें कहा गया है कि डॉक्टर्स पर बहुत दबाव है। CJI ने कहा कि अगर हम सभी हितधारकों का प्रतिनिधित्व मांगना शुरू कर देंगे तो मामले को ठीक से संभालना संभव नहीं होगा। पहले समिति को फैसला करने दीजिए। समिति सुनिश्चित करेगी कि डॉक्टरों और इंटर्न की चिंताओं का समाधान किया जाए।


वहीं CBI ने SC में पेश की गई स्टेटस रिपोर्ट में कहा है कि कोलकाता में मौका-ए-वारदात से छेड़छाड़ की गई है। केस की लीपापोती की कोशिश की गई। अंतिम संस्कार के बाद एफआईआर दर्ज हुई। इस पूरे मामले को लेकर अस्पताल प्रशासन का रवैया उदासीन रहा है। घटना की सूचना पीड़िता के परिजनों को देरी से दी गई। परिवार को पहले सुसाइड की खबर दी गई। मर्डर को सुसाइड बताने की कोशिश करना संदेह पैदा करता है। वारदात पर पर्दा डालने की कोशिश की गई। कोर्ट ने भी कहा कि पुलिस डायरी और पोस्टमार्टम के वक्त में अतंर है। आरोपी की मेडिकल जांच पर भी कोर्ट ने सवाल उठाए हैं।

SC ने पंचनामे को लेकर भी कई सवाल उठाए हैं। कोर्ट ने कहा कि अगर स्वाभाविक मौत थी तो पोस्टमार्टम क्यों किया गया? पोस्टमार्टम के बाद FIR से हैरानी होती है। कोलकाता मामले पर जस्टिस पारदीवाला ने कहा कि ये केस चौंकाने वाला है। हमने बीते 30 साल में ऐसा केस नहीं देखा, यह पूरा मामला सदमा देने वाला है। बंगाल पुलिस का व्यवहार शर्मनाक है।

साथ ही CJI चंद्रचूड़ ने वकीलों को हिदायत दी कि वे अपने तर्क सोशल मीडिया पोस्ट के आधार पर तैयार नहीं करें। CJI ने कहा कि हमारे पास पोस्टमार्टम रिपोर्ट है, उन्होंने 151 ml सीमेन मिलने वाली थ्योरी को खारिज कर दिया। इस दौरान सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कहा कि पुलिस का ये आरोप सरासर गलत है कि डॉक्टर की मौत से सदमे में आए उसके पिता ने शुरुआत में FIR दर्ज नहीं करने को कहा था, लेकिन बाद में पिता के कहने पर FIR दर्ज हुई। सॉलिसिटर जनरल ने कहा कि FIR हॉस्पिटल ने नहीं बल्कि पीड़िता के पिता ने दर्ज कराई। कोलकाता पुलिस का यह आरोप गलत है कि पीड़िता के पिता ने ही FIR दर्ज नहीं करने को कहा था।

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