
देहरादून। दून अस्पताल परिसर (Doon Hospital Mazar) में बनी फर्जी मजार ने कई सवाल खड़े कर दिए हैं। प्रशासनिक जांच के अनुसार, इस मजार के निर्माण का सही समय और जिम्मेदार व्यक्ति का पता अभी तक नहीं लगाया जा सका है। मजार के चढ़ावे से लाभान्वित होने वाले व्यक्तियों की पहचान भी अभी स्पष्ट नहीं हो पाई है। हालांकि, यह मजार दिन-प्रतिदिन बढ़ती गई, लेकिन संबंधित विभाग और अधिकारियों की उदासीनता ने इस मामले को और गंभीर बना दिया है।
जानकारी के अनुसार, दून अस्पताल परिसर जहां यह फर्जी मजार स्थित है, वह एक व्यस्त स्थान है। यहां 24 घंटे चहल-पहल बनी रहती है और अस्पताल में आने-जाने वाले व्यक्ति इस स्थान से गुजरते हैं। ऐसे में यह सवाल उठता है कि क्या स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों को मजार का निर्माण नजर नहीं आया, या वे इसे देखने की इच्छा नहीं रखते थे।
जैसे ही यह मामला बाहर आया, प्रशासन ने मजार को ध्वस्त करने की कार्रवाई की। लेकिन इसके बाद भी स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों के प्रति सवाल उठने लगे हैं। क्या उनको इस फर्जी मजार की जानकारी नहीं थी? या उन्होंने जानबूझकर इसे नजरअंदाज किया? इसने स्वास्थ्य विभाग की कार्यप्रणाली पर संदेह के बादल छा दिए हैं।
अधिकारियों का कहना है कि मामले की गहराई से जांच की जाएगी और दोषियों के खिलाफ कठोर कार्रवाई की जाएगी। विषेशज्ञ बताते हैं कि इस तरह के मामलों में प्रशासनिक सजगता और नियमित निरीक्षण आवश्यक हैं, ताकि ऐसे फर्जी निर्माण किसी भी सरकारी या सार्वजनिक स्थान पर न बन सकें।