डॉ. प्रबलीन कौर : राजस्थान की पहली Certified Interventional Pain Sonologist, दर्द-मुक्त जीवन की ओर एक नई राह

भास्कर समाचार सेवा 
जयपुर/राजस्थान। चिकित्सा जगत में दर्द प्रबंधन (Pain Management) आज एक अलग और बेहद ज़रूरी शाखा के रूप में उभर रहा है। ऐसे समय में राजस्थान की युवा और प्रतिभाशाली चिकित्सक, डॉ. प्रबलीन कौर, इस क्षेत्र में नई आशा और दिशा लेकर सामने आई हैं। वे न केवल अपनी विशेषज्ञता के लिए जानी जाती हैं, बल्कि रोगियों के प्रति उनकी संवेदनशीलता और करुणा उन्हें अन्य चिकित्सकों से अलग बनाती है।
व्यक्तिगत अनुभव से बना जीवन का उद्देश्य
डॉ. प्रबलीन कौरकी प्रेरणा उनके अपने अनुभव से जुड़ी है। एमबीबीएस के दौरान उन्हें लगातार पेट दर्द की समस्या रही, जिसका कारण शीर्ष गैस्ट्रोएंटेरोलॉजिस्ट और सर्जनों से परामर्श के बावजूद स्पष्ट नहीं हो पाया। इस व्यक्तिगत संघर्ष ने उन्हें महसूस कराया कि दर्द स्वयं में एक बीमारी है, जिसका उपचार उतना ही महत्वपूर्ण है जितना किसी अन्य रोग का। इसी ने उन्हें एनेस्थीसिया और आगे चलकर इंटरवेंशनल पेन मैनेजमेंट की ओर प्रेरित किया। उनका मानना है कि अधिकतर क्रॉनिक दर्द (Chronic Pain) के मरीज सालों तक इधर-उधर भटकते रहते हैं क्योंकि उन्हें इस बात की जानकारी ही नहीं होती कि दर्द प्रबंधन के लिए विशेषज्ञ चिकित्सक मौजूद हैं। यही कारण है कि उन्होंने इस क्षेत्र को चुना और इसे अपनी जीवन की मुख्य प्रतिबद्धता बना लिया।
शिक्षा और प्रशिक्षण
डॉ. कौर ने एमडी (एनेस्थीसिया) की उपाधि प्राप्त की और उसके बाद उन्होंने उन्नत दर्द प्रबंधन तकनीकों में गहन प्रशिक्षण हासिल किया। उन्होंने कोलकाता स्थित दाराडिया इंस्टीट्यूट ऑफ पेन मैनेजमेंट से फेलोशिप पूरी की। सबसे बड़ी उपलब्धि यह है कि वे अमेरिका स्थित वर्ल्ड इंस्टीट्यूट ऑफ पेन से Certified Interventional Pain Sonologist (CIPS) बनने वाली राजस्थान की पहली और एकमात्र चिकित्सक हैं। यह प्रमाणपत्र न केवल उनकी विशेषज्ञता को प्रमाणित करता है, बल्कि उन्हें अंतरराष्ट्रीय स्तर पर मान्यता दिलाता है।
क्लिनिकल विशेषज्ञता और दृष्टिकोण
डॉ. प्रबलीन कौरअल्ट्रासाउंड-गाइडेड और सी-आर्म गाइडेड हस्तक्षेपों (interventions) की विशेषज्ञ हैं। वे जिन प्रक्रियाओं में निपुण हैं, उनमें शामिल हैं:

• अल्ट्रासाउंड-गाइडेड नर्व ब्लॉक
• स्पाइनल इंटरवेंशन्स
• क्रॉनिक दर्द, खेल संबंधी चोटों और पोस्ट-सर्जिकल दर्द का प्रबंधन
• रीजनरेटिव थेरेपी – जैसे PRP (Platelet Rich Plasma), GFC (Growth Factor Concentrate), और बोन मैरो स्टेम सेल इंजेक्शन उनका दृष्टिकोण समग्र (holistic) है। वे केवल उपचार ही नहीं बल्कि रोगी की जीवनशैली, पुनर्वास (rehabilitation) और फिजियोथेरेपी को भी उपचार का हिस्सा मानती हैं।

संस्थान और कार्यक्षेत्र
डॉ. कौर जयपुर इंस्टीट्यूट ऑफ पेन एंड स्पोर्ट्स इंजरीज़ (JIPSI) की सह-संस्थापक और सलाहकार हैं। इस केंद्र पर वे न्यूनतम इनवेसिव तकनीकों के माध्यम से मरीजों को दर्द से राहत दिलाने का कार्य करती हैं। इससे पहले वे HSK हॉस्पिटल, शल्बी हॉस्पिटल और भगवान महावीर कैंसर हॉस्पिटल जैसे सुपरस्पेशियलिटी संस्थानों में कार्य कर चुकी हैं। यहाँ उन्होंने गंभीर सर्जरी के दौरान क्रिटिकल केयर, एनेस्थीसिया, पेन मैनेजमेंट और पैलिएटिव केयर की अहम जिम्मेदारियाँ निभाईं।
अनुसंधान और नवाचार
चिकित्सा क्षेत्र में उनका योगदान शोध और प्रकाशनों से भी झलकता है। lहाल ही में उन्होंने जर्नल ऑफ अल्ट्रासाउंड में GIBPS तकनीक प्रकाशित की है। यह कंधे के दर्द (Shoulder Pain) के लिए एक नई अल्ट्रासाउंड-गाइडेड तकनीक है, जिसमें एक ही प्रवेश बिंदु से दो अलग कारणों को संबोधित किया जाता है। यह मरीजों के लिए तेज़, सुरक्षित और दर्द-मुक्त उपचार साबित हो रहा है। उन्होंने PRP और अन्य रीजनरेटिव थेरेपी पर शोध पत्र प्रकाशित किए हैं और कई अंतरराष्ट्रीय कॉन्फ्रेंसों में अपनी प्रस्तुतियाँ दी हैं। वे कई राष्ट्रीय कार्यशालाओं और मेडिकल कॉन्फ्रेंसों में बतौर फैकल्टी आमंत्रित की जाती रही हैं।
सम्मान और उपलब्धियाँ
• Certified Interventional Pain Sonologist (CIPS), USA – राजस्थान की पहली विशेषज्ञ
• बेस्ट पेपर अवार्ड, कर्नाटक स्टेट कॉन्फ्रेंस (2018)
• बेस्ट पेपर (फैकल्टी कैटेगरी), ISSPCON पुणे (2024)
• बेस्ट COVID वॉरियर अवार्ड, भगवान महावीर कैंसर हॉस्पिटल (2021)
• कई शोध पत्र और मेडिकल पुस्तकों में अध्याय लेखन

चुनौतियाँ और उनका समाधान
डॉ. प्रबलीन कौरका मानना है कि सबसे बड़ी चुनौती है दर्द के असली कारण की पहचान करना और हर मरीज के लिए अलग-अलग रणनीति बनाना। कोई भी एक उपचार सभी मरीजों के लिए उपयुक्त नहीं हो सकता। इसलिए वे प्रत्येक मरीज को VIP की तरह देखती हैं और उनकी समस्या के अनुरूप व्यक्तिगत उपचार योजना तैयार करती हैं। दूसरी चुनौती है जनजागरूकता की कमी। बहुत से लोग यह जानते ही नहीं कि दर्द प्रबंधन विशेषज्ञ मौजूद हैं। इस कमी को दूर करने के लिए वे लगातार शिक्षा, कार्यशालाओं और जनजागरूकता अभियानों पर जोर देती हैं।
भविष्य की दृष्टि
डॉ. कौर का सपना है कि समाज में दर्द-मुक्त जीवन की संस्कृति विकसित हो। वे चाहती हैं कि JIPSI ऐसा नाम बने, जहाँ आने वाला हर मरीज यह भरोसा लेकर जाए कि अब उसका जीवन दर्द-मुक्त और बेहतर होगा। वे मानती हैं कि इस क्षेत्र में सफलता केवल तकनीक या उपचार से नहीं, बल्कि रोगी की बात सुनने और उसे समझने से मिलती है। उनका विज़न है कि बुज़ुर्ग और मध्यम आयु वर्ग के लोग भी सक्रिय और स्वस्थ जीवन जी सकें।
युवा चिकित्सकों के लिए संदेश डॉ. प्रबलीन कौरका संदेश है:
• हमेशा ईमानदारी और करुणा के साथ कार्य करें।
• अपने कौशल को लगातार निखारें और कभी भी आत्मसंतुष्टि में न रहें।
• मरीजों को केवल रोगी न समझें, बल्कि इंसान के रूप में देखें।
• दर्द प्रबंधन चिकित्सा जगत का भविष्य है, और इसमें असीम संभावनाएँ हैं।
निष्कर्ष
डॉ. प्रबलीन कौरसिर्फ एक चिकित्सक नहीं, बल्कि दर्द से जूझ रहे लाखों लोगों के लिए उम्मीद की किरण हैं। अपने व्यक्तिगत अनुभव, शैक्षणिक उत्कृष्टता और नवाचारों के माध्यम से उन्होंने यह साबित किया है कि चिकित्सा केवल इलाज नहीं, बल्कि संवेदना और सेवा का संगम है। राजस्थान से लेकर अंतरराष्ट्रीय स्तर तक, डॉ. प्रबलीन कौरआज एक ऐसा नाम हैं, जो आने वाले समय में दर्द-मुक्त भारत और एक स्वस्थ समाज के निर्माण में अहम भूमिका निभाएगा।

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