चार से अधिक दशकों की शिक्षा यात्रा और रिसर्च में अग्रणी योगदान के लिए डॉ प्रेम लाल जोशी को मिला लाइफटाइम अचीवमेंट अवॉर्ड

शिक्षा सिर्फ पेशा नहीं होती, यह समाज निर्माण का माध्यम होती है — इस विचार को अपने जीवन की धुरी बनाकर आगे बढ़े प्रो. डॉ. प्रेम लाल जोशी को हाल ही में मुंबई में आयोजित एशिया एजुकेशन कॉन्क्लेव में ‘लाइफटाइम अचीवमेंट अवॉर्ड’ से सम्मानित किया गया। यह सम्मान उन्हें अकाउंटिंग शिक्षा और शोध में चार दशकों के अविरत योगदान के लिए दिया गया।

मुंबई के पवई स्थित होटल मेलुहा में आयोजित इस समारोह में जब उनके नाम की घोषणा हुई, तो हॉल तालियों की गड़गड़ाहट से गूंज उठा। भारत, बहरैन, मलेशिया, तुर्की जैसे देशों में अकाउंटिंग शिक्षा को नया आकार देने वाले प्रो. जोशी के सम्मान में पूरा श्रोता समुदाय खड़ा हो गया। प्रोफेसर जोशी ने अकाउंटिंग और वित्त के क्षेत्र में 10  किताबें लिखी हैं। उनकी कुछ किताबें बहरीन के सरकारी स्कूलों के पाठ्यक्रम में शामिल हैं। 

शिक्षा के प्रति समर्पण की मिसाल

सन् 1952 उत्तराखंड के गढ़वाल में जन्मे प्रो. जोशी ने अपनी प्रारंभिक शिक्षा एसएम जैन मॉडर्न हायर सेकेंडरी स्कूल, दिल्ली से पूरी की। इसके बाद हंसराज कॉलेज, दिल्ली विश्वविद्यालय से बीकॉम और साउथ दिल्ली कैंपस से एमकॉम की डिग्री हासिल की। 1981 में गढ़वाल विश्वविद्यालय से पीएचडी की उपाधि प्राप्त की। इसके तुरंत बाद उन्होंने शिक्षण में प्रवेश किया और जल्द ही NITIE मुंबई (अब IIM मुंबई) में असिस्टेंट प्रोफेसर के रूप में नियुक्त हुए। 1980 और 90 के दशक में उन्होंने  शून्य पर आधारित बजट  पर अपने कार्य और प्रशिक्षण के लिए महत्वपूर्ण योगदान दिया।  शिक्षक फेलोशिप के लिए उन्हें भारतीय सामाजिक विज्ञान अनुसंधान परिषद (ICSSR) से भी सम्मानित किया गया।

गढ़वाल से ग्लोबल पहचान तक का सफर

1989 में उन्हें तुर्की की प्रतिष्ठित बिल्केंट यूनिवर्सिटी ने विजिटिंग प्रोफेसर के रूप में आमंत्रित किया। इसके बाद उन्होंने बहरैन यूनिवर्सिटी में लगभग 19 वर्षों तक प्रोफेसर की भूमिका निभाई, जहां उन्होंने 
उन्होंने शिक्षण, अनुसंधान और नेतृत्व के माध्यम से महत्वपूर्ण योगदान दिया । 2013 से 2019 तक वे मलेशिया की मल्टीमीडिया यूनिवर्सिटी में प्रोफेसर रहे। इसके अलावा उन्होंने ‘सेन्टर फॉर एक्सीलेंस इन बिजनेस परफॉर्मेंस’ के चेयरमैन के रूप में भी सेवा दी।

रिसर्च की दुनिया में मिली प्रतिष्ठा 

प्रो. जोशी ने 150 से अधिक इंटरनेशनल रिसर्च पेपर्स प्रकाशित किए हैं। उनकी लेखनी को अकादमिक जगत में बड़ी गंभीरता से लिया गया है और उनके शोध कार्य का अंतर्राष्ट्रीय शोधकर्ताओं द्वारा व्यापक रूप से उल्लेख किया गया है।उन्होंने चार प्रमुख अंतरराष्ट्रीय शोध जर्नल्स की स्थापना और संपादन किया है, जिनमे इंटरनेशनल जर्नल ऑफ अकाउंटिंग ऑडिटिंग एंड परफॉर्मेंस इवैल्युएशन, अफ्रो एशियन जर्नल ऑफ फाइनेंस एंड अकाउंटिंग और इंटरनेशनल जर्नल ऑफ ऑडिटिंग एंड अकाउंटिंग स्टडीज शामिल हैं।

पुरस्कारों की लंबी सूची

प्रो. जोशी को पहले भी कई राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय पुरस्कार मिल चुके हैं। उन्हें “हिंद रत्न अवार्ड” एनआरआई वेलफेयर सोसाइटी द्वारा 2009 में, “भारत गौरव अवार्ड” , भारत अंतर्राष्ट्रीय मैत्री सोसायटी, नई दिल्ली द्वारा 2010 में, और “सरदार पटेल इंटरनेशनल अवार्ड” शिक्षा एवं शोध में उत्कृष्टता के लिए 2011 में दिया गया। इसके साथ ही, उन्हें एनआरआई इंस्टीट्यूट, नई दिल्ली द्वारा 2013 में सम्मानित किया गया, तथा और “इकॉन सॉल्यूशंस अवार्ड फॉर हायर एजुकेशन” 2015 में प्राप्त हुआ। वर्ष 2019 में शिक्षा और प्रशिक्षण में भारत निर्माण पुरस्कार, 2019, कोलकाता, एमटीसी ग्लोबल ने उन्हें “डिस्टिंग्विश्ड टीचर”  और एमटीसी ग्लोबल रूसीकुमार लाइफ टाइम अचीवमेंट पुरस्कार-2024  उन्हें सम्मानित किया गया ।  डॉ. जोशी को शिक्षा जगत में उनके उत्कृष्ट योगदान के लिए 2007 में अमेरिका में “मार्किस हूज़ हू इन द वर्ल्ड” की सूची में शामिल किया गया था।

 “शिक्षा से बड़ा कोई धर्म नहीं”

सम्मान ग्रहण करते समय उन्होंने कहा, “मेरे लिए शिक्षा कभी नौकरी नहीं रही। यह समाज को दिशा देने का साधन है। शिक्षक का काम सिर्फ पढ़ाना नहीं, बल्कि सोच पैदा करना है।”

उनकी यह जीवन यात्रा न केवल शिक्षकों के लिए, बल्कि हर युवा शोधार्थी के लिए एक प्रेरणा है कि सीमाओं से परे जाकर ज्ञान के क्षेत्र में योगदान कैसे दिया जाता है।

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