28-29 अक्टूबर की दरमियानी रात में साल का आखिरी चंद्र ग्रहण होगा। ये आंशिक चंद्र ग्रहण रात 1.05 से शुरू होगा और 2.24 तक ग्रहण खत्म हो जाएगा। चंद्र ग्रहण होने के 9 घंटे पहले से सूतक शुरू हो जाता है। इस कारण मंदिरों के कपाट आज शाम 4 बजे तक बंद हो जाएंगे और रात में शरद पूर्णिमा उत्सव भी नहीं मनाया जाएगा। ग्रहण खत्म होने के बाद रविवार को सुबह मंदिरों की शुद्धि होगी, फिर पट खुलेंगे।
ये ग्रहण तकरीबन 1 घंटा 19 मिनट का रहेगा। 1.44 के आसपास चंद्रमा का 12.6 % हिस्सा पृथ्वी की छाया से ढंका हुआ दिखेगा। मौसम साफ होने पर ये खगोलीय घटना पूरे भारत में देखी जा सकेगी।
भारत के साथ पूरे एशिया, यूरोप, ऑस्ट्रेलिया, अफ्रीका, नॉर्थ अमेरिका में भी ये ग्रहण दिखाई देगा। इसके बाद भारत में दिखने वाला अगला चंद्र ग्रहण 2024 में 17-18 सितंबर की रात में होगा।
आंशिक चंद्र ग्रहण : सभी राशियों पर होता है इसका असर
जब सूर्य और चंद्रमा के बीच में पृथ्वी पूरी तरह से नहीं आ पाती और पृथ्वी की छाया चांद के कुछ हिस्से पर ही पड़ती है। इसे आंशिक चंद्र ग्रहण कहा जाता है। इस बार चंद्रमा के 12.6 % हिस्से पर ही धरती की छाया पड़ेगी। ज्योतिर्विज्ञान और धर्मग्रंथों के मुताबिक इस ग्रहण में भी सूतक काल के नियमों का ध्यान रखा जाता है। ऐसे ग्रहण का असर सभी राशियों पर पड़ता है।
18 साल बाद शरद पूर्णिमा पर चंद्र ग्रहण
शरद पूर्णिमा पर 18 साल बाद चंद्र ग्रहण हो रहा है। इससे पहले 2005 में ऐसा योग बना था। मेष राशि और अश्विनी नक्षत्र पर ग्रहण रहेगा। इस कारण दक्षिण और पूर्व दिशा में मौजूद राज्यों में इसका असर दिखेगा।
ग्रहण का असर: प्रशासन और राजनीति में बदलाव के योग
28-29 अक्टूबर की रात शुक्र और शनि को छोड़कर बाकी सभी ग्रह आमने-सामने रहेंगे। सितारों की ये स्थिति देश की सीमाओं पर तनाव बढ़ाने वाली रहेगी। इन ग्रह-नक्षत्रों के कारण प्रशासन और राजनीति से जुड़े बड़े उलटफेर होने के योग बन रहे हैं। इस चंद्र ग्रहण के प्रभाव से देश-दुनिया में प्राकृतिक आपदा आने की भी आशंका है।
ग्रहण से 9 घंटे पहले शुरू होता है सूतक, इस दौरान मंत्र जाप का विधान
धर्म ग्रंथों के मुताबिक चंद्र ग्रहण शुरू होने से 9 घंटे पहले ही धार्मिक कामों पर पाबंदियां लग जाती हैं। इसे सूतक काल कहते हैं। जो कि शाम 4 बजे से शुरू हो रहा है।
इस समय पूजा-पाठ, मंदिर दर्शन, विवाह, गृह प्रवेश, मुंडन, व्यापार प्रारंभ जैसे शुभ काम नहीं होंगे। इसी कारण सूतक शुरू होते ही सभी मंदिर बंद हो जाते हैं। सूतक काल में देवी देवताओं के मंत्रों का जप करने का विधान है।
ग्रहण के दरमियान भगवान को छूने की मनाही, ग्रहण खत्म होने पर नहाते हैं
ग्रहण के बाद शरीर अपवित्र हो जाता है। ऐसे में चंद्र ग्रहण के दौरान देवताओं की पूजा करना या उन्हें छूने की मनाही होती है। ग्रहण के बाद मूर्तियों को गंगाजल से धोकर पवित्र करते हैं।
ग्रहण के दौरान मंत्रों का जाप करते हैं और भक्ति गीत गाते हैं।
ग्रहण के दौरान पका हुआ खाना अपवित्र न हो, इसके लिए उसमें कुशा या तुलसी के पत्ते डालते हैं।
ग्रहण के दौरान गर्भवती महिलाओं को घर में रहने को कहा जाता है।
इस वक्त सब्जी काटने और कपड़े सिलने की मनाही होती है।
ग्रहण के बाद नहाकर साफ कपड़े पहनते हैं और गंगाजल का छिड़काव करते हैं।