नई दिल्ली। एनफोर्समेंट डायरेक्टोरेट (ED) ने मंगलवार को चीनी कंपनी वीवो मोबाइल के तीन और लावा के एक अधिकारी को गिरफ्तार किया है। यह गिरफ्तारी मनी लॉन्ड्रिंग केस में हुई है।
एक रिपोर्टस के मुताबिक अरेस्ट किए गए अधिकारियों में चीनी नागरिक गुआंगवेन क्यांग, लावा इंटरनेशनल के MD हरिओम राय के अलावा चार्टर्ड अकाउंटेंट राजन मलिक और नितिन गर्ग शामिल हैं। करीब एक साल पहले ईडी ने देशभर में वीवो मोबाइल्स और उसकी 23 एसोसिएटेड कंपनीज की 48 लोकेशन्स पर तलाशी ली थी, जिसके बाद गिरफ्तारी की यह कार्रवाई की गई है।
टैक्स बचाने के लिए कई कंपनियां बनाईं और पैसा चीन भेजा
ईडी का आरोप है कि चीन को अवैध रूप से फंड ट्रांसफर करने के शुरुआती मकसद से भारत में कई कंपनियों को इनकॉर्पोरेट किया गया था। इसके अलावा, जांच से पता चलता है कि वीवो मोबाइल्स इंडिया ने अपनी सेल्स से हुई आय का लगभग आधा हिस्सा (करीब 1.25 लाख करोड़ रुपए) चीन को ट्रांसफर किया। ऐसा टैक्स बचाने के लिए किया गया।
दिल्ली पुलिस की FIR के आधार पर केस दर्ज किया था
दिल्ली पुलिस ने धारा 417, 120बी और 420 के तहत कालकाजी पुलिस स्टेशन में वीवो की एसोसिएट कंपनी ग्रैंड प्रॉस्पेक्ट इंटरनेशनल कम्युनिकेशन प्राइवेट लिमिटेड (GPICPL), उसके डायरेक्टर, शेयरहोल्डर्स और सर्टिफाइंग प्रोफेशनल्स के खिलाफ केस दर्ज किया था। इसी FIR के आधार पर ED ने 3 फरवरी 2022 को मनी लॉन्ड्रिंग का केस दर्ज कर अपनी जांच शुरू की थी।
1 अगस्त 2014 को वीवो मोबाइल्स स्थापित हुई थी
ईडी के अनुसार, वीवो मोबाइल्स इंडिया प्राइवेट लिमिटेड को 1 अगस्त 2014 को हॉन्ग कॉन्ग स्थित कंपनी मल्टी एकॉर्ड लिमिटेड की सहायक कंपनी के रूप में स्थापित किया गया था और ROC दिल्ली में रजिस्टर किया गया था।
वीवो के तीन चीनी अधिकारियों ने देश छोड़ा
GPICPL को CA नितिन गर्ग, झेंगशेन ओउ, बिन लू और झांग जी ने स्थापित किया था। इसे 3 दिसंबर 2014 को ROC शिमला में रजिस्टर किया गया था। बिन लू ने 26 अप्रैल 2018 को भारत छोड़ दिया। झेंगशेन ओउ और झांग जी ने भी 2021 में भारत छोड़ दिया।
फोन मार्केट में चीनी कंपनियों का दबदबा
देश में मोबाइल मार्केट में चाइनीज कंपनियों का दबदबा है। बीते दिनों आईटी मिनिस्टर राजीव चंद्रशेखर ने बताया था कि 2021-22 में चीनी मोबाइल हैंडसेट कंपनियों का भारत में क्युमुलेटिव कारोबार 1.5 लाख करोड़ रुपए होने का अनुमान है।