
भास्कर समाचार सेवा
गुजरात। वंतारा वाइल्ड लाइफ सेंटर में इलाज और देखभाल के लिए लाई गई हथिनी महादेवी को अब वापस कोल्हापुर के उस धार्मिक संस्थान में भेजा जा सकता है, जहाँ से उसे रेस्क्यू किया गया था। ये फैसला तब सामने आया है, जब स्थानीय समूहों और भक्तों की भावनात्मक अपीलें तेज़ हो गई हैं।
वंतारा में महादेवी को विशेषज्ञ डॉक्टरों, बहेवियर एक्सपर्ट्स और केयरगिवर्स की एक टीम द्वारा खास देखभाल दी जा रही थी। उसे ज़ंजीरों से आज़ादी मिली, खुले में घूमने की जगह दी गई और ऐसा खाना दिया गया जो उसकी प्रजाति के लिए उपयुक्त हो। पुराने फ्रैक्चर का इलाज, दर्द देने वाले टूटे नाखून की मरम्मत और नियमित ग्रूमिंग के ज़रिये वह शारीरिक और मानसिक रूप से बेहतर होने लगी थी।
लेकिन अब इन सबके बावजूद, महादेवी को वापस भेजे जाने की प्रक्रिया शुरू हो गई है। बताया जा रहा है कि कोल्हापुर में बढ़ते विरोध और अपीलों की वजह से वंतारा को यह कदम उठाने के लिए मजबूर किया गया है।
महादेवी पहले कोल्हापुर जिले के करवीर तहसील के नंदनी गांव स्थित स्वस्तिश्री जैनसेन भट्टारक पट्टाचार्य महास्वामी संस्था में थी। जब PETA ने उसकी हालत पर चिंता जताई, तब एक हाई पावर्ड कमिटी ने उसे वंतारा भेजने की सिफारिश की थी। यह फैसला बॉम्बे हाई कोर्ट और बाद में सुप्रीम कोर्ट द्वारा भी बरकरार रखा गया था, जिसने मठ की याचिका खारिज कर दी थी।
अब डर ये है कि वापसी के बाद महादेवी फिर से बंदी जीवन जीने को मजबूर हो सकती है, संभव है कि उसे फिर से भिक्षावृत्ति या धार्मिक आयोजनों के लिए इस्तेमाल किया जाए। जानवरों के हक़ के लिए काम करने वालों का मानना है कि ये उसके जीवन की गरिमा और आज़ादी के खिलाफ है।
इस पूरे मामले में देशभर से एक ही अपील उठ रही है कि महादेवी की भलाई, उसकी सेहत, आज़ादी और सम्मान को सबसे पहले रखा जाए।